
बंटवारे के दौरान बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ
नई दिल्ली: 14 अगस्त 1947 एक ऐसी तारीख है जिसे भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता। इसी दिन भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान के नाम से दुनिया के मानचित्र पर एक नए राष्ट्र का उदय हुआ। देश के विभाजन ने करोड़ों लोगों के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। लाखों लोग विस्थापित हुए और देश ने सदी के सबसे बड़े सांप्रदायिक दंगों के दंश को झेला। इस दिन हुई घटनाओं ने दक्षिण एशिया के भूगोल और इतिहास को बदलकर रख दिया।
14 अगस्त की प्रमुख घटनाएं
- 14 अगस्त को भारत के अंतिम वायसरॉय लार्ड माउंटबेटन कराची गए और वहां उन्होंने पाकिस्तान की संविधान सभा को संबोधित किया। इस दौरान सत्ता हस्तांतरण की औपचारिक प्रक्रिया पूरी की गई। कराची को ही नए राष्ट्र की राजधानी घोषित कियाा गया था। बाद में इस्लामाबाद को राजधानी बनाया गया।
- मुहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान के पहल गवर्नर-जनरल के तौर पर शपथ ली। इस दौरान शपथ ग्रहण के साथ ही ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के भीतर ‘डोमिनियन ऑफ पाकिस्तान’ (जिसमें पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान, जो अब बांग्लादेश है, शामिल थे) आधिकारिक तौर पर अस्तित्व में आ गया।
- हालांकि देश के विभाजन की घोषणा के साथ ही बड़े पैमाने पर पलायन और सांप्रदायिक हिंसा शुरू हो गई थी। 14 अगस्त को यह त्रासदी अपने चरम पर थी। पाकिस्तान के हिस्से से बड़े पैमाने पर हिंदुओं का पलायन हुआ। विस्थापन के शिकार इन लोगों के चेहरों के सारे रंग गायब थे।
- 14 अगस्त को मानव इतिहास का सबसे बड़ा पलायन हुआ। लाखों लोग जिनमें हिंदू, सिख और मुसलमान भी थे, अपनी जान बचाने के लिए एक ऐसे देश में जाने को मजबूर हुए जहां वे सुरक्षित महसूस कर सकें। ट्रेनों के जरिए, बैलगाड़ी, पैदल विस्थापन करते हुए लोगों पर हमले हुए। रूह कंपा देनेवाला भीषण रक्तपात हुआ।
- ब्रिटिश शासन में कुल 565 रियासतें थीं जनमें से ज्यादातर रियासतों ने 14 अगस्त तक भारत या पाकिस्तान में रहने का अंतिम फैसला ले लिया था। लेकिन जम्मू और कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ जैसी प्रमुख रियासतों का भविष्य अभी भी अनिश्चित था, जो आगे चलकर बड़े विवाद का कारण बना।
- 14 अगस्त को जहां पाकिस्तान अपनी आजादी का जश्न मना रहा था वहीं दिल्ली में 15 अगस्त को होने वाले पहले स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं।
- 14 अगस्त जहां पाकिस्तान के लिए एक नए राष्ट्र के तौर विश्व भूगोल पर खुद का स्थापित करने का दिन था वहीं लाखों लोगों के लिए यह विभाजन, विस्थापन, हिंसा का दिन था। 14 अगस्त को हुई घटनाओं ने दक्षिण एशिया के भूगोल और इतिहास को स्थायी रूप से बदल दिया।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान वर्ष 2021 में 14 अगस्त की तारीख को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी। 14 अगस्त 2021 को गृह मंत्रालय की ओर से एक गजट जारी किया गया जिसमें कहा गया था कि भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ियों को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना और वेदना का स्मरण दिलाने के लिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में घोषित करती है।
