
विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव।
मॉस्कोः भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी रूस यात्रा के दौरान बुधवार को रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव से मुलाकात की। जयशंकर ने मंतुरोव के साथ सह-अध्यक्षता में 26वें भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) की अत्यंत फलदायी बैठक आयोजित की। एस जयशंकर ने एक पोस्ट के जरिये बताया कि इस बैठक में व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर चर्चा हुई।
भारत-रूस के बीच गहरी होगी साझेदारी
जयशंकर ने अपनी पोस्ट में लिखा, “हमने व्यापार और आर्थिक क्षेत्र, कृषि, ऊर्जा, उद्योग, कौशल विकास, गतिशीलता, शिक्षा और संस्कृति सहित व्यापक क्षेत्रों में हमारे सहयोग पर विस्तार से विचार-विमर्श किया। जटिल भू-राजनीतिक परिस्थिति के बीच हुई इस बैठक में, हमने IRIGC-TEC को हमारी आर्थिक साझेदारी को और गहरा करने के लिए एक अधिक प्रभावी उत्प्रेरक बनाने हेतु कई अहम सुझाव दिए।”
जयशंकर के प्रमुख सुझाव
- रचनात्मक और नवोन्मेषी दृष्टिकोण की आवश्यकता।
- परस्पर सलाह-मशवरे के माध्यम से हमारे एजेंडे का निरंतर विविधीकरण और विस्तार।
- मापनीय लक्ष्य और निश्चित समयसीमा निर्धारित करना। ताकि हम स्वयं को अधिक प्राप्त करने की चुनौती दे सकें और संभवतः तय किए गए लक्ष्यों से भी आगे बढ़ सकें।
- IRIGC सत्रों के बीच कम से कम दो अंतर-सत्रीय बैठकें आयोजित करना। साथ ही सभी सह-अध्यक्षों के साथ एक वर्चुअल मध्यकालीन समीक्षा करना।
- व्यापार मंच और IRIGC-TEC के विभिन्न कार्य समूहों के बीच समन्वय तंत्र स्थापित करना, ताकि द्वि-दिशात्मक संवाद सुनिश्चित हो सके। आगे जयशंकर ने लिखा, “जैसे-जैसे हम वार्षिक नेता शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं, हमें पूर्ण विश्वास है कि आज की IRIGC-TEC बैठक के परिणाम समय-परीक्षित भारत-रूस साझेदारी को और मजबूत करेंगे।”
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व्यापार बढ़ाने पर जोर
जयशंकर ने लिखा, “प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव के साथ जुड़कर और भारत-रूस बिजनेस फोरम में भाग लेकर प्रसन्नता हुई। हमारे आर्थिक संबंधों की गहरी संभावनाओं के बारे में विभिन्न क्षेत्रीय नेताओं के आकलन और रिपोर्टों की मैं सराहना करता हूँ। मैंने दोहराया कि एक स्थायी रणनीतिक साझेदारी में एक मजबूत और टिकाऊ आर्थिक घटक होना अनिवार्य है। इसी संदर्भ में, मैंने हमारे व्यवसायों से अधिक व्यापार करने, निवेश और संयुक्त उपक्रमों पर विचार करने, तथा आर्थिक सहयोग के नए क्षितिज खोलने का आह्वान किया।”
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