
पाकिस्तान में क्यों आती है बाढ़
भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तन जो कुछ ही महीनों पहले पानी की मांग लेकर खून बहाने की बात कर रहा था, भारत को गीदड़भभकियां दे रहा था, अब वही पाकिस्तान पानी की वजह से आए सैलाब पर आंसू बहा रहा है। पड़ोसी मुल्क में बाढ़ बारिश का कहर ऐसा बरपा है कि उसके कई शहर जलमग्न हो गए हैं, अचानक आई बाढ़ से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है, लोग. लोग बेघर हो गए है और चारों तरफ प्रलय की तबाही के निशान दिख रहे हैं। कुदरत की सबसे ज्यादा मार पड़ी है पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में जहां कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और कई अबतक लापता हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के खैबर पख्तूनख्वा मामलों के सूचना समन्वयक इख्तियार वली खान ने अचानक आए इस जलप्रलय की हालत को गंभीर बताते हुए इस पर चिंता जताई है। उन्होंने दावा किया है कि खैबर पख्तूनख्वा में हाल ही में आई अचानक आई बाढ़ में लगभग 1,000 लोगों की मौत होने की आशंका है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने भी पाकिस्तान में मची तबाही पर चिंता जाहिर की है। यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने प्रवक्ता के ज़रिए जारी एक वक्तव्य में प्रभावित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की है।

पाकिस्तान में मची तबाही
बता दें कि साल 1947 में आजादी मिलने के बाद से लेकर अब तक पाकिस्तान में 29 बार ऐसी बाढ़ आई है, जो चर्चा और चिंता का विषय बन चुकी है, लेकिन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) का कहना है कि 2010 के बाद से पाकिस्तान में गंभीर बाढ़ अब तो लगभग हर साल होने वाली घटना बन गई है, जो अचानक आती है और इसकी तीव्रता में चिंताजनक बदलाव सामने आया है। 2022 में, पाकिस्तान ने कुछ क्षेत्रों में औसत से लगभग तीन गुना से अधिक बारिश हुई, जिससे विनाशकारी बाढ़ आई और लाखों लोगों के घर उसमें समा गए।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु संकट के प्रभाव के कारण पूरी दुनिया में मौसम का पैटर्न तेजी से बदल रहा है जिससे अचानक बारिश बहुत ज्यादा हो रही है। गर्म तापमान होने की वजह से वातावरण में अधिक नमी हो सकती है, जिससे अचानक बादल फटने और अत्यधिक बारिश होने की आशंका रहती है। इसकी वजह से ही पाकिस्तान के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र विशेष रूप से बाढ़ को लेकर संवेदनशील हो गए हैं और हर साल तबाही आ रही है।
उत्तरी पाकिस्तान में हैं सबसे ज्यादा ग्लेशियर
उत्तरी पाकिस्तान में 7,000 से अधिक ग्लेशियर हैं, जिनकी संख्या धरती के ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर लगभग कहीं भी इतनी ज्यादा नहीं हैं। बढ़ते तापमान के कारण ये ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इससे ग्लेशियर झील विस्फोट और उस कारण पाकिस्तान में बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। तबाही तब ज्यादा होती जब ग्लेशियर पिघलने से बनी झीलें जल प्रवाह ज्यादा होने के कारण अपने किनारों को तोड़ देती हैं और अचानक पानी का बहाव बहुत तेजी से होता है और उस मार्ग में आने वाला सबकुछ उस सैलाब में समा जाता है।

पाकिस्तान में अचानक क्यों आती है बाढ़
ग्लेशियर वाले क्षेत्रों में वनों की अंधाधुंध कटाई ने अचानक आने वाली बाढ़ की समस्या को और बढ़ा दिया है, क्योंकि पेड़ की जड़ें मिट्टी को पकड़कर रखती हैं और बारिश के पानी को अवशोषित करती हैं, लेकिन पेड़ों की कटाई की वजह से ग्लेशियर वाली झील से निकला पानी और अचानक हुई बारिश विनाशकारी धाराओं में बदल रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में अचानक बाढ़ और तीव्र बारिश अब आम बात होती जा रही है। ऐसे में बादल फटना या असामान्य रूप से भारी बारिश स्थिति को और खराब कर दे रही है, जैसे कि पाकिस्तान में साल 2010 और 2020 में हुई थी।
पाकिस्तान के कश्मीर और बलूचिस्तान के कुछ हिस्सों में, खड़ी ढलान है जिससे अचानक बादल फटने या ग्लेशियर के पिघलने से बनी झील के अचानक किनारे तोड़कर आगे बढ़ने से पानी बहुत तेजी से नीचे की ओर बहता है, यही कारण है कि इन क्षेत्रों में अचानक बाढ़ आ जाती है। ऐसे में उस रास्ते में जो भी मिलता है नदी उसको बहाकर अपने साथ ले जाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि, मानसून की बारिश, जो पहले मध्य जुलाई में शुरू होती थी, अब जून के अंत में शुरू हो रही है और इसकी मात्रा और गति तेज होती जा रही है। कराची, लाहौर और इस्लामाबाद जैसे शहरों में भी, अचानक आई बाढ़ ने ्अब तबाही मचानी शुरू कर दिया है क्योंकि तूफान और बारिश के कारण जल बहाव के रास्ते में ऊंची इमारतों और अन्य संरचनाओं का निर्माण हो गया है। पहाड़ों पर जब बारिश होती है और पानी नालों और छोटे जल निकासी मार्गों से जब नीचे आता है, तो उसकी गति काफी तेज होती है।

पाकिस्तान में जल सैलाब से तबाही
मौसम विज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले समय में बारिश की तीव्रता और बढ़ सकती है, जो बारिश और बर्फ के पिघलने से उस पानी की मात्रा को और बढ़ा देगा जो किसी विशेष क्षेत्र से नीचे जा रहा है।इसके कारण, आने वाले समय में अचानक बाढ़ में वृद्धि हो सकती है। पाकिस्तान को ऐसे भी तीसरा ध्रुव कहा जाता है, क्योंकि यहां उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के बाहर सबसे अधिक ग्लेशियर हैं। इसी कारण से, अगर ग्लेशियर पिघलने लगते हैं तो चिंता बढ़ जाती है।
