
पाकिस्तान ही नहीं, अग्नि-5 मिसाइल को लेकर चीन भी टेंशन में है।
Agni-5 Missile Test: भारत ने बुधवार 20 अगस्त को ओडिशा के चांदीपुर से अपनी ताकतवर अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस परीक्षण में मिसाइल के सभी तकनीकी और ऑपरेशनल मापदंडों को पूरी तरह से परखा गया। अग्नि-5 मिसाइल की यह टेस्टिंग भारत की सैन्य ताकत को और मजबूत करने की कवायद के रूप में देखी जा रही है, और इसने पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान और चीन को सतर्क कर दिया है। अग्नि-5 की मारक क्षमता इतनी है कि यह न सिर्फ पूरे पाकिस्तान को, बल्कि चीन के दूर-दराज के इलाकों को भी निशाना बना सकती है।
अग्नि सीरीज की सबसे उन्नत मिसाइल है अग्नि-5
अग्नि-5 भारत के अग्नि सीरीज की पांचवीं और सबसे उन्नत मिसाइल है। इस सीरीज की शुरुआत 1989 में अग्नि-1 से हुई थी, जिसकी रेंज करीब 1,000 किलोमीटर थी। अग्नि-5 को पहली बार 2012 में टेस्ट किया गया था और तब से यह मिसाइल लगातार बेहतर होती जा रही है। मार्च 2024 में इस मिसाइल को मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक के साथ टेस्ट किया गया था, जिससे यह एक ही बार में कई निशानों को भेद सकती है। इस मिसाइल की रेंज 5,000 किलोमीटर है, जो इसे पाकिस्तान, तुर्की और चीन के कई हिस्सों तक पहुंचने में सक्षम बनाती है।
ध्वनि की गति से 24 गुना तेज है अग्नि-5 की रफ्तार
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अग्नि-5 की वास्तविक रेंज 8,000 किलोमीटर तक हो सकती है। यह मिसाइल 1,360 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकती है और इसकी रफ्तार मैक 24 (ध्वनि की गति से 24 गुना तेज) है। अग्नि-5 की खासियत इसका कैनिस्टराइज्ड लॉन्च सिस्टम है, जो इसे जल्दी तैनात करने में मदद करता है और कठिन मौसमी हालात में भी इसकी सुरक्षा करता है। यह मिसाइल सबमरीन से भी दागी जा सकती है और इसे परमाणु हथियार ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारत इस मिसाइल के भविष्य के वर्जन पर भी काम कर रहा है, जो बंकर-बस्टिंग क्षमता के साथ और भी खतरनाक होगा।
पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइल अग्नि-5 के आगे कहीं नहीं टिकती।
पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी क्यों है अग्नि-5?
अग्नि-5 की रेंज पूरे पाकिस्तान को कवर करती है, जिससे इस मुल्क में बेचैनी बढ़ गई है। ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनालिस्ट डेमियन सायमन ने एक नक्शा शेयर किया, जिसमें दिखाया गया कि अग्नि-5 की रेंज कहां तक है। इस्लामाबाद के एक थिंक टैंक स्ट्रैटेजिक विजन इंस्टिट्यूट (SVI) ने कहा कि यह मिसाइल क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाल सकती है और वैश्विक सुरक्षा के लिए ‘गंभीर परिणाम’ ला सकती है। SVI ने कहा, ‘8,000 किलोमीटर से ज्यादा रेंज वाली परमाणु-सक्षम मिसाइलें वैश्विक ताकत का प्रक्षेपण और आधिपत्य की मंशा दिखाती हैं।’ जाहिर सी बात है कि पाकिस्तान इस मिसाइल की छमता को लेकर टेंशन में है।
अग्नि-5 के सामने कुछ भी नहीं है शाहीन-3
SVI का कहना है कि यह मिसाइल वॉशिंगटन, मॉस्को, ब्रुसेल्स और बीजिंग जैसे बड़े शहरों को भी निशाना बना सकती है। पाकिस्तान के पास शाहीन-3 मिसाइल है, जिसकी रेंज 2,750 किलोमीटर है और यह भारत के अंडमान-निकोबार द्वीपों तक पहुंच सकती है। हालांकि, यह अग्नि-5 की तुलना में कहीं नहीं ठहरती। हाल ही में कुछ खबरों में यह भी दावा किया गया था कि पाकिस्तान चुपके से एक ऐसी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) बना रहा है, जो अमेरिका तक पहुंच सके। वैसे पाकिस्तान की मौजूदा मिसाइल क्षमता को देखते हुए अपने दम पर ऐसी मिसाइल बना पाना उसके लिए दूर की कौड़ी लगता है।
चीन को भी टेंशन दे रही है अग्नि-5
अग्नि-5 की रेंज चीन के सुदूर इलाकों तक पहुंचती है, जिससे वह भी इस टेस्टिंग को गंभीरता से ले रहा है। यह मिसाइल भारत को 7 देशों (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, इजरायल, ब्रिटेन और उत्तर कोरिया) के स्पेशल क्लब में शामिल करती है, जिनके पास ICBM तकनीक है। अग्नि-5 के अलावा भारत के पास कई और ताकतवर मिसाइलें हैं। इनमें ब्रह्मोस (सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, 300-500 किमी रेंज), पृथ्वी (शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल, 350 किमी रेंज), निर्भय (स्वदेशी क्रूज मिसाइल) और प्रलय (शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल) शामिल हैं। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल की गई स्कैल्प मिसाइलें (जिन्हें ब्रिटेन में स्टॉर्म शैडो कहा जाता है) भी भारत के शस्त्रागार का हिस्सा हैं।
अग्नि-5 मिसाइल की टेस्टिंग का क्या होगा असर?
अग्नि-5 मिसाइल की यह टेस्टिंग ऑपरेशन सिंदूर के 3.5 महीने बाद हुआ है, जिसमें भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान और उसके चीन व तुर्की-निर्मित हथियारों के खिलाफ अपनी ताकत दिखाई थी। अग्नि-5 का यह परीक्षण न सिर्फ भारत की सैन्य तैयारियों को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर भी गहरा असर डालता है। पाकिस्तान और चीन के लिए यह एक साफ संदेश है कि भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार मजबूत कर रहा है। और जिस तरह की चीजें सामने आ रही हैं, उनसे पता चलता है कि दोनों पड़ोसी देशों ने इस संदेश को गंभीरता से लिया है।