साइलेंट किलर है ‘स्ट्रेस’, शरीर को दीमक की तरह कर देता है खोखला, जानें कैसे करें कंट्रोल?


  • आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग हर छोटी बड़ी बात का बहुत ज़्यादा स्ट्रेस लेने लगे हैं जिसका खामियाजा हमारा शरीर कई बीमारियों के रूप में चुकाता है। तनाव हमारे शरीर पर दीमक की तरह वार करता है और उसे अंदर से खोखला बना देता है। दरअसल,  जब हम लगातार तनाव में रहते हैं, तो शरीर में कोर्टिसोल हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है जो कई समस्याओं की वजह बनता है। चलिए जानते हैं ज़्यादा स्ट्रेस लेने से कौन कौन सी परेशानियां हो सकती हैं। साथ साथ ही इसे कंट्रोल कैसे करें?

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    आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग हर छोटी बड़ी बात का बहुत ज़्यादा स्ट्रेस लेने लगे हैं जिसका खामियाजा हमारा शरीर कई बीमारियों के रूप में चुकाता है। तनाव हमारे शरीर पर दीमक की तरह वार करता है और उसे अंदर से खोखला बना देता है। दरअसल, जब हम लगातार तनाव में रहते हैं, तो शरीर में कोर्टिसोल हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है जो कई समस्याओं की वजह बनता है। चलिए जानते हैं ज़्यादा स्ट्रेस लेने से कौन कौन सी परेशानियां हो सकती हैं। साथ साथ ही इसे कंट्रोल कैसे करें?

  • कोर्टिसोल हॉर्मोन हमारे हृदय गति और रक्तचाप को बढ़ाता है। यह हमारी पाचन क्रिया को धीमा कर देता है, जिससे एसिडिटी, कब्ज और पेट से जुड़ी अन्य समस्याएँ हो सकती हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर कर देता है, जिससे हम आसानी से बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। यह अनिद्रा और वज़न बढ़ने का कारण भी बन सकता है।

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    कोर्टिसोल हॉर्मोन हमारे हृदय गति और रक्तचाप को बढ़ाता है। यह हमारी पाचन क्रिया को धीमा कर देता है, जिससे एसिडिटी, कब्ज और पेट से जुड़ी अन्य समस्याएँ हो सकती हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर कर देता है, जिससे हम आसानी से बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। यह अनिद्रा और वज़न बढ़ने का कारण भी बन सकता है।

  • लगातार तनाव से सिर्फ़ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बुरी तरह प्रभावित होता है। इससे चिंता, अवसाद और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं जो हमारे दैनिक जीवन और रिश्तों को भी प्रभावित करती हैं।

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    लगातार तनाव से सिर्फ़ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बुरी तरह प्रभावित होता है। इससे चिंता, अवसाद और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं जो हमारे दैनिक जीवन और रिश्तों को भी प्रभावित करती हैं।

  • रोज़ाना 30 मिनट की सैर, योग या कसरत करने से तनाव पैदा करने वाले हॉर्मोन कम होते हैं और 'फील-गुड' हॉर्मोन, एंडोर्फिन का उत्पादन बढ़ता है। संतुलित और पौष्टिक भोजन करें। ताज़े फल, सब्ज़ियाँ, और साबुत अनाज खाने से शरीर और दिमाग स्वस्थ रहता है।

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    रोज़ाना 30 मिनट की सैर, योग या कसरत करने से तनाव पैदा करने वाले हॉर्मोन कम होते हैं और ‘फील-गुड’ हॉर्मोन, एंडोर्फिन का उत्पादन बढ़ता है। संतुलित और पौष्टिक भोजन करें। ताज़े फल, सब्ज़ियाँ, और साबुत अनाज खाने से शरीर और दिमाग स्वस्थ रहता है।

  • नींद की कमी से तनाव का स्तर और भी बढ़ सकता है इसलिए हर रात 7-8 घंटे की गहरी नींद लें। रोज़ाना कुछ मिनट ध्यान करने से दिमाग शांत होता है और तनाव कम होता है। अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएँ। अपनी भावनाओं को उनके साथ बाँटने से मन हल्का होता है।

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    नींद की कमी से तनाव का स्तर और भी बढ़ सकता है इसलिए हर रात 7-8 घंटे की गहरी नींद लें। रोज़ाना कुछ मिनट ध्यान करने से दिमाग शांत होता है और तनाव कम होता है। अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएँ। अपनी भावनाओं को उनके साथ बाँटने से मन हल्का होता है।





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