जहानाबाद: RJD विधायक के खिलाफ बगावत, कार्यकर्ताओं ने लगाए ‘सुदय हटाओ, जहानाबाद बचाओ’ के नारे


Suday Yadav- India TV Hindi
Image Source : REPORTER INPUT, EB/SUDAYYADAV
आरजेडी विधायक सुदय यादव के खिलाफ बगावत

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक हलचल तेज होती जा रही है। इसी कड़ी में जहानाबाद में राजद को चुनाव से पहले उसके ही गढ़ में बड़ा झटका लग सकता है। स्थानीय विधायक सुदय यादव के खिलाफ पार्टी कार्यकर्ताओं और महागठबंधन समर्थकों ने खुलकर मोर्चा खोल दिया है। रविवार को रतनी फरीदपुर प्रखंड के शकुराबाद स्थित एक निजी हॉल में महागठबंधन समर्थकों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में राजद कार्यकर्ता, पंचायत प्रतिनिधि, स्थानीय नेता और स्थानीय लोग शामिल हुए। 

बैठक के दौरान सुदय हटाओ,जहानाबाद बचाओ के नारे लगाए गए। जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि विधायक के खिलाफ असंतोष अब उबाल पर है। बैठक में कार्यकर्ताओं ने विधायक सुदय यादव पर कई गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि ये अनुकंपा से विधायक बने। दो बार विधायक रहने के बावजूद उन्होंने क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं किया। 

विकास फंड के दुरुपयोग का आरोप

राजद कार्यकर्ताओं का कहना है कि गया, जहानाबाद और अरवल को जोड़ने वाला 20 किलोमीटर लंबा मुरहारा पथ अब तक जर्जर हालत में है। इसके बावजूद इस सड़क पर कोई काम नहीं हुआ। कार्यकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि विधायक को जो विकास फंड करीब 32 करोड़ मिला था, उसका दुरुपयोग किया गया। एक-एक पंचायत को औसतन 70 से 75 लाख रुपये मिलने चाहिए थे, लेकिन आरोप है कि यह पूरा का पूरा फंड बेच दिया गया है। बैठक में मौजूद कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से सुदय यादव के कार्यकाल की सभी विकास योजनाओं की जांच कराने की मांग की। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह विरोध विधायक के खिलाफ पार्टी या कार्यकर्ताओं का नहीं बल्कि जनता का है। 

ईमानदार नेता को टिकट देने की मांग

राजद समर्थकों ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से यह मांग रखी कि आगामी चुनाव में सुदय यादव का टिकट काटा जाए और किसी अन्य योग्य एवं मजबूत कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाया जाए। उनका कहना है कि अगर पार्टी किसी भी जाति या वर्ग के ईमानदार नेता को टिकट देती है, तो जहानाबाद सीट भारी मतों से जीतना तय है। जहानाबाद लंबे समय से राजद का गढ़ रहा है, लेकिन चुनाव से ठीक पहले इस तरह की आंतरिक बगावत पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। यदि नेतृत्व ने समय रहते स्थिति नहीं संभाली, तो इसका असर महागठबंधन की चुनावी संभावनाओं पर स्पष्ट रूप से पड़ सकता है।

(जहानाबाद से मुकेश कुमार की रिपोर्ट)





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