राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को सोने और चांदी की कीमतों में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया। कमजोर रुपये और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूती के चलते दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने की कीमत ₹600 की तेजी के साथ ₹1,00,770 प्रति 10 ग्राम (99.9% शुद्धता) पर पहुंच गई। यह जानकारी ऑल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन ने दी। सोमवार को यह कीमत ₹1,00,170 प्रति 10 ग्राम थी। वहीं, 99.5% शुद्धता वाला सोना ₹500 की तेजी के साथ ₹1,00,400 प्रति 10 ग्राम (सभी कर सहित) पर पहुंच गया, जो सोमवार को ₹99,900 था। पीटीआई की खबर के मुताबिक, चांदी की कीमतों में भी जोरदार उछाल देखा गया। यह ₹3,000 बढ़कर ₹1,18,000 प्रति किलोग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। सोमवार को चांदी ₹1,15,000 प्रति किलो थी।
किस वजह से चढ़े दाम
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी सीनियर एनालिस्ट सौमिल गांधी ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फेडरल रिजर्व की गवर्नर लिसा कुक को हटाए जाने के फैसले से निवेशकों में असमंजस और अस्थिरता बढ़ी है, जिसके चलते सुरक्षित निवेश विकल्प के तौर पर सोने की मांग बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप के इस कदम ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ा दिया है, जिससे गैर-ब्याज देने वाली संपत्तियों जैसे सोने को सपोर्ट मिला है।
घरेलू मुद्रा और टैरिफ की भूमिका
मंगलवार को रुपया 12 पैसे कमजोर होकर डॉलर के मुकाबले ₹87.68 पर बंद हुआ, जिसका असर भी सोने की कीमतों पर पड़ा। यह गिरावट अमेरिका द्वारा भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू करने की तैयारी की घोषणा के बाद घरेलू बाजार में आई कमजोरी के कारण हुई।
अंतरराष्ट्रीय बाजार का कैसा रहा रुख
न्यूयॉर्क में स्पॉट गोल्ड 0.37% की बढ़त के साथ USD 3,378.37 प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है। कोटक सिक्योरिटीज की कमोडिटी रिसर्च एवीपी कायनात चैनवाला ने बताया कि डॉलर में कमजोरी और फेड की स्वतंत्रता को लेकर बढ़ी चिंता के चलते सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों को समर्थन मिला है। हालांकि, स्पॉट सिल्वर 0.21% गिरकर USD 38.48 प्रति औंस पर कारोबार कर रही है।
अबांस फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ चिन्तन मेहता ने बताया कि भारत पर अतिरिक्त टैरिफ की अनिश्चितता, रूस-यूक्रेन युद्ध में बढ़ते तनाव, और चीन व तुर्की जैसे देशों द्वारा केंद्रीय बैंक स्तर पर सोने के भंडार में बढ़ोतरी, ये सभी कारक भी सोने की मांग को बल दे रहे हैं। अब निवेशकों की नजर अमेरिका के प्रमुख आर्थिक आंकड़ों, जैसे बेरोजगारी के आंकड़े और GDP संशोधन पर होगी, जिससे फेड की भविष्य की ब्याज दर नीति का संकेत मिल सकेगा।