‘उपराष्ट्रपति पद के इस उम्मीदवार को न दें समर्थन’, नक्सल हिंसा के शिकार लोगों ने सांसदों से की अपील


Vice President election 2025, Sudarshan Reddy controversy, Salwa Judum Supreme Court- India TV Hindi
Image Source : PTI
उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन और विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी।

नई दिल्ली: नक्सल हिंसा के शिकार लोगों ने शुक्रवार को संसद के सभी सांसदों से भावुक अपील की है कि वे विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी का समर्थन न करें। बस्तर शांति समिति यानी कि BSS के बैनर तले इन लोगों ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और आरोप लगाया कि रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए सलवा जुडूम को खत्म करने का आदेश देकर नक्सलियों के खिलाफ उनकी जंग को कमजोर कर दिया, जिससे उनकी जिंदगियां तबाह हो गईं।

सलवा जुडूम पर रोक से नक्सली हुए ताकतवर

बस्तर शांति समिति के संयोजक जयराम ने कहा, ‘जब सलवा जुडूम को ताकत मिली थी, तब नक्सली इतने कमजोर हो गए थे कि उनका खात्मा होने वाला था। लेकिन रेड्डी साहब के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने नक्सलियों को फिर से हिम्मत दी। इससे नक्सलवाद एक नासूर बन गया।’ उन्होंने बताया कि सलवा जुडूम के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी नौजवानों को स्पेशल पुलिस ऑफिसर बनाकर नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोला था। लेकिन 2011 में सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस रेड्डी भी शामिल थे, ने इसे गैरकानूनी और असंवैधानिक बताकर सलवा जुडूम को तुरंत बंद करने और हथियार छीनने का आदेश दिया था।

नक्सलियों ने मेरे बेटे को मार डाला: शियाराम

बस्तर के एक ग्रामीण शियाराम रामटेक ने दुखी मन से बताया, ‘अगर रेड्डी साहब ने नक्सलियों का साथ न दिया होता, तो मेरा बेटा आज जिंदा होता।’ शियाराम का बेटा एक किसान था, जिसे नक्सलियों ने कथित तौर पर अगवा कर मार डाला। एक अन्य पीड़ित केदारनाथ कश्यप ने बताया कि नक्सलियों ने उनके छोटे भाई, जो पुलिस कांस्टेबल था, को बेरहमी से मार डाला। उन्होंने आंखों में नमी के साथ कहा, ‘नक्सलियों ने मेरे भाई को यातनाएं दीं और फिर बेरहमी से उसकी हत्या कर दी। अगर सलवा जुडूम पर रोक नहीं लगती, तो 2014 तक नक्सली हमारे इलाके से भाग गए होते और मेरा भाई आज मेरे साथ होता।’

नक्सलियों की हिंसा ने छीनी जिंदगी की रौनक

पीड़ितों ने बताया कि नक्सल हिंसा ने उनकी जिंदगियों को उजाड़ दिया। किसी का पैर बारूदी सुरंग यानी कि IED ब्लास्ट में उड़ गया, किसी की आंखों की रोशनी चली गई, किसी की रीढ़ की हड्डी टूट गई, तो कोई हमेशा के लिए अपंग हो गया। उन्होंने कहा, ‘जिस शख्स ने सलवा जुडूम को खत्म करने का आदेश दिया, उसे अब उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। यह हमारे जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है।’

‘किसी राजनीतिक विचारधारा से लेना-देना नहीं’

बस्तर शांति समिति ने साफ किया कि उनका किसी राजनीतिक दल या विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है, और वे सिर्फ इंसाफ चाहते हैं। उन्होंने सभी सांसदों से अपील की कि वे सुदर्शन रेड्डी को समर्थन न दें। एक बयान में उन्होंने कहा, ‘हमारा दर्द सुनें, हमारी पुकार सुनें, नक्सल पीड़ितों के लिए आवाज उठाएं। हमारे दुख को समझें, हमारी यादों का सम्मान करें और हमारी लड़ाई को पहचानें।’ बता दें कि उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होगा। बी. सुदर्शन रेड्डी विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार हैं, जबकि सत्तारूढ़ एनडीए ने सी. पी. राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है। (PTI)

Latest India News





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *