
एंथनी अल्बनीज, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री।
कैनबराः भारतीय प्रवास के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में चल रहे अभियानों की अल्बनीज सरकार ने कड़ी निंदा की है। सरकार ने कहा कि देश में इ तरह की नस्लीय सोच के लिए कोई जगह नहीं है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने देश के विभिन्न शहरों में भारतीय प्रवास में वृद्धि के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों को निंदनीय करार दिया है।
दक्षिणपंथ के लिए कोई जगह नहीं
सरकार ने कहा कि यह गतिविधियां “नस्लवाद और जातीय श्रेष्ठता पर आधारित अति-दक्षिणपंथी सक्रियता” हैं, जिनके लिए आधुनिक ऑस्ट्रेलिया में कोई स्थान नहीं है। बता दें कि “मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया” नामक समूह द्वारा सिडनी, मेलबर्न, ब्रिस्बेन, कैनबरा, एडिलेड, पर्थ, होबार्ट सहित कई शहरों में रैलियों का आयोजन किया गया। सरकार ने इन रैलियों की आलोचना करते हुए कहा कि ये कार्यक्रम समाज में विभाजन और असुरक्षा फैलाने का प्रयास हैं।
ऑस्ट्रेलियाई भावना के खिलाफ है नस्लभेद
ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री टोनी बर्क ने कहा,”यह ऑस्ट्रेलियाई भावना के खिलाफ है। जो लोग हमारे समाज में विभाजन और अस्थिरता लाने की कोशिश करते हैं, उनके लिए हमारे देश में कोई जगह नहीं है। इससे अधिक गैर-ऑस्ट्रेलियाई कुछ नहीं हो सकता।” वहीं मल्टीकल्चरल अफेयर्स मंत्री ऐनी ऐली ने कहा, “बहुसंस्कृतिवाद हमारी राष्ट्रीय पहचान का एक अनमोल हिस्सा है। जातीय श्रेष्ठता और नस्लीय सोच पर आधारित यह अतिवादी अभियान ऑस्ट्रेलिया में स्वीकार्य नहीं है।”
प्रदर्शनकारी समूह का भड़काउ बयान
“मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया” समूह ने अपने वेबसाइट और प्रचार सामग्री में कहा, “पिछले 5 साल में जितने भारतीय आए हैं, उतने यूनानी और इतालवी 100 साल में भी नहीं आए। यह एक मामूली सांस्कृतिक बदलाव नहीं, बल्कि पूरी तरह से स्थानापन्न करने की कोशिश है। सोशल मीडिया पर समूह ने कहा कि उनका उद्देश्य है, “मुख्यधारा के राजनेताओं में जो साहस नहीं है, उसे हम करेंगे …और वह है जनसंख्या प्रवास को समाप्त करने की मांग।”
सरकार का सख्त रुख
पर्यावरण मंत्री मरे वॉट ने रविवार को स्काई न्यूज़ से कहा, “हम आज हो रही ‘मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया’ रैली की पूरी तरह निंदा करते हैं। यह सामाजिक सौहार्द बढ़ाने की बात नहीं, बल्कि नफरत फैलाने और समुदायों को बांटने का प्रयास है। उन्होंने यह भी कहा कि यह रैलियां “नव-नाज़ी संगठनों” द्वारा आयोजित और प्रचारित की गई हैं। (भाषा)