
पुतिन, मोदी, जिनपिंग
SCO Summit: पीएम मोदी आज त्येनजिन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। करीब 40 मिनट की द्विपक्षीय बैठक में आपसी सहयोग को बेहतर बनाने के उपायों पर होगी चर्चा। वर्ष 2020 में लद्दाख के गलवान में भारतीय सेना और चीन की पीएलओ के बीच हुए संघर्ष के बाद और ट्रंप के टैरिफ प्रकरण के बाद यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। वहीं शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के मंच पर आज जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक साथ होंगे, तो सिर्फ ट्रंप ही नहीं बल्कि इस सम्मेलन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी होंगी। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या एससीओ के मंच से नया वर्ल्ड ऑर्डर बनेगा? तीनों महाशक्तियों की यह मुलाकात ट्रंप की धड़कनें बढ़ा देंगी?
वर्ल्ड लीडर के तौर पर उभरेगा चीन
यह शिखर सम्मेलन की सफलता बीजिंग को एक ऐसे वर्ल्ड लीडर के रूप में सामने ला सकती है जो पश्चिमी देशों के वर्चस्व वाली संस्थाओं को चुनौती दे सके। चीनी अधिकारियों ने इस शिखर सम्मेलन को एससीओ का अब तक का सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन बताया है। इस कूटनीति ने शी जिनपिंग के लिए अपने देश को एक स्थिर और शक्तिशाली वैकल्पिक नेता के रूप में पेश करने का मंच तैयार किया है। वह भी ऐसे समय में जब ट्रंप के टैरिफ वार से दुनिया के कई देश त्रस्त हैं।
पुतिन को मिलेगी नई ताकत
यह शिखर सम्मेलन रूसी राष्ट्रपति पुतिन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में ला दिया है। क्योंकि ट्रंप के साथ उनकी अलास्का शिखर सम्मेलन के ठीक दो हफ़्ते बाद यह सम्मेलन हो रहा है। रूस यूक्रेन में अपने हमले को रोकने के अंतरराष्ट्रीय दबाव को भी नजरअंदाज कर रहा है। इस हफ़्ते की शुरुआत में रूसी सेना ने अपने पड़ोसी पर पूर्ण आक्रमण के बाद दूसरा सबसे बड़ा हवाई हमला किया था।
टैरिफ पर ट्रंप के होश उड़ाएंगे मोदी
वहीं नरेंद्र मोदी की बात करें तो समिट के दौरान SCO में शामिल देशों की नज़र प्रधानमंत्री मोदी पर होंगी क्योंकि अमेरिका के 50 फीसदी ट्रैरिफ लगाने के बाद पहली बार पीएम मोदी दुनिया के किसी बड़े मंच पर होंगे।
ट्रंप के टैरिफ वार के आगे घुटने नहीं टेककर वे अपने मजबूत इरादों को संकेत दे चुके हैं। अब पुतिन और जिनपिंग से उनकी मुलाकात से ट्रंप की नींदें उड़ सकती हैं। भारत, रूस और चीन ये तीनों महाशक्तियां अमेरिका के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं।
इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच दो बार मुलाकत होगी। पहली बैठक द्विपक्षीय वार्ता होगी वहीं दूसरी बैठक रिसेप्शन के दौरान हो सकती है। पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान कई अहम मुद्दे पर चर्चा हो सकती है
- ट्रंप की टैरिफ ब्लैकमेलिंग
- भारत और चीन के बीच व्यापार पर जोर
- भारत के लिए चीन का बाजार खोलना
- पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद
- एशिया में अमेरिकी दबदबे को कम करना
ट्रंप की बढ़ेगी धड़कन?
वहीं सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच द्विपक्षीय बातचीत होगी। 40 मिनट तक होनी वाली इस बैठक में अमेरिका के ट्रैरिफ वार, बाजार पर अमेरिका के दबाव को कम करना, भारत के कच्चे तेल खरीद और दिसंबर में पुतिन के भारत दौरे का एजेंडा तय होगा। साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने पर भी दोनों नेताओं में बात हो सकती है। यानी पीएम मोदी की चीनी राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति से मुलाकात के 80 मिनट अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की धड़कन बढ़ाने वाले होंगे। इन 80 मिनट पर अमेरिका और यूरोप टकटकी लगाए देख रहे हैं क्योंकि दुनिया की कूटनीति का नया अध्याय छिपा है।
बढ़नेवाली है ट्रंप की चुनौती
बड़ी बात ये है कि भारत के साथ ट्रैरिफ दादागीरी करने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप को ये बहुत चुभने वाला है। ट्रंप के टैरिफ को टक्कर देने के लिए भारत कैसे कूटनीतिक जाल बिछा रहा है, अमेरिका के व्यापारिक वर्चस्व को कम करने के लिए भारत कैसे नए रास्ते तलाश रहा है, भारत की कूटनीतिक ताकत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है क्योंकि कल तक जो चीन भारत को लाल आंख दिखाता था. आज वो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लीडर के लिए लाल कारपेट बिछाए खड़ा है।