Explainer: ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासियों के खिलाफ क्यों हो रहा प्रदर्शन? जातीय समूहों का डाटा भी जान लीजिए


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रविवार को मेलबर्न में मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया के दौरान अप्रवास विरोधी रैली में प्रदर्शनकारी

नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया में रविवार को सड़कों पर कुछ अलग ही तरह का नजारा देखने के लिए मिला। हजारों लोगों की भीड़ आव्रजन विरोधी (Anti-Immigration) रैलियों में शामिल हुई और यहां भारतीय प्रवासियों को भी निशाना बनाया गया। “मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया” रैलियां सिडनी, मेलबर्न और अन्य प्रमुख शहरों में आयोजित की गईं, जहां कई झड़पें भी हुईं क्योंकि प्रदर्शनकारियों को जवाबी प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा।

इन रैलियों का मकसद ये जताना है कि ऑस्ट्रेलिया में प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है, जिससे वहां के स्थानीय लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ये गुस्सा भले ही अन्य देशों के प्रवासियों के खिलाफ भी हो लेकिन मुख्य तौर पर प्रदर्शन के दौरान भारतीय प्रवासियों को ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

एंटी-इमीग्रेशन रैलियों का क्या अर्थ है?

एंटी-इमीग्रेशन या अप्रवासी-विरोधी का अर्थ है ऐसे राजनीतिक दृष्टिकोण या भावना जो किसी देश में आने वाले अप्रवासियों (इमीग्रेंट्स) को प्रतिबंधित करना या उनका विरोध करना चाहती है। ऑस्ट्रेलिया में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है, जो दूसरे देश से आए प्रवासियों का विरोध करते हैं। यही विरोध करने वाले लोग रैलियों का आयोजन कर रहे हैं।

ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासी निशाने पर

रैलियों को आयोजित करने के लिए ‘मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया’ (March For Australia) नाम के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जा रहा है। रैलियों के लिए जारी किए गए विज्ञापन में मुख्य रूप से भारतीय मूल के निवासियों को टारगेट करते हुए दिखाया गया है, जबकि इनकी संख्या अब वहां की जनसंख्या की सिर्फ 3 प्रतिशत है। इस दौरान तमाम तरह के प्रोपेगंडा भी फैलाए गए। 

एक पर्चे पर तो ये भी लिख दिया गया, “5 साल में जितने भारतीय आए हैं, उतने तो 100 साल में ग्रीक और इटालियन भी नहीं आए। यह सिर्फ एक देश से आए हैं। ऑस्ट्रेलिया कोई ऐसा आर्थिक क्षेत्र नहीं है जिसकी संपत्ति का अंतरराष्ट्रीय शोषण किया जा सके।”

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ऑस्ट्रेलिया में सड़कों पर उतरे लोग

क्या है मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया?

मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया एक तरह का आंदोलन है। जिसमें उन रैलियों की जानकारी रहती है, जो आने वाले समय में आयोजित होंगी। इसके तहत आव्रजन विरोधी (Anti-Immigration) रैलियों का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुड़ते हैं। 

मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया की वेबसाइट पर इसके बारे में जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि वर्षों से, ऑस्ट्रेलिया की एकता और साझा मूल्यों को उन नीतियों और आंदोलनों ने नष्ट कर दिया है जो हमें विभाजित करते हैं। हमारी सड़कों पर ऑस्ट्रेलिया-विरोधी नफरत, विदेशी संघर्ष और टूटते विश्वास के बढ़ते प्रदर्शन देखे गए हैं, जबकि बड़े पैमाने पर प्रवासन ने हमारे समुदायों को एक साथ रखने वाले बंधनों को तोड़ दिया है। यह मार्च उन लोगों, संस्कृति और राष्ट्र के लिए एक आवाज है जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया का निर्माण किया है।

मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया के तहत हो रही रैलियों का उद्देश्य ही ये है कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया में विदेशी झंडे नहीं चाहिए और वह बड़े पैमाने पर प्रवास का अंत करना चाहते हैं।

क्या चाहते हैं मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया के तहत रैली करने वाले?

मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया की वेबसाइट पर जो जानकारी दी गई है, उसके मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के 80% लोग कम प्रवासन और कम आव्रजन चाहते हैं। ये डाटा इस वेबसाइट ने TAPRI, 2025 के हवाले से दिया है।


इसमें ये भी कहा गया है कि अधिकांश ऑस्ट्रेलियाई मानते हैं कि उनकी आवाज को नजरअंदाज किया जा रहा है। एक राष्ट्र के रूप में हम कौन हैं, जब हर तीन में से एक व्यक्ति विदेश में पैदा हुआ है? हमारा झंडा जलाना कोई संकेत नहीं था, यह एक लक्षण था। हमें तुरंत कार्रवाई करनी होगी।

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प्रवासियों के खिलाफ प्रदर्शन

सच्चाई क्या है; डाटा क्या कहता है?

इन आंदोलनों से इतर जमीनी सच्चाई बिल्कुल अलग नजर आती हैं। मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया के तहत रैलियों में भारतीय प्रवासियों को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि रैलियों में ये झूठ फैलाया गया कि ऑस्ट्रेलिया में भारत से आकर बसने वालों की संख्या ज्यादा है, जबकि डाटा कुछ और ही सच्चाई बयां करता है।

Statista से मिले आंकड़े के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या के 33 प्रतिशत अंग्रेज और 29.9 फीसदी ऑस्ट्रेलियन हैं। इसके अलावा 9.5 फीसदी आयरिश, 8.6 फीसदी स्कॉटिश, 5.5 फीसदी चायनीज, 4.4 फीसदी इटैलियन, 4 फीसदी जर्मन, 3.1 फीसदी इंडियन हैं। इसके अलावा 2.9 फीसदी ऑस्ट्रेलियन एबऑरेजिनल, 1.7 फीसदी ग्रीक और 4.7 फीसदी अनस्पेसीफाइड हैं। ये डाटा साल 2021 तक के जातीय समूहों का है। इसे टेबल के जरिए भी समझा जा सकता है।

ऑस्ट्रेलिया में जातीय समूहों का डाटा:














अंग्रेज 33 प्रतिशत
ऑस्ट्रेलियन 29.9 फीसदी
आयरिश 9.5 फीसदी 
स्कॉटिश 8.6 फीसदी 
चायनीज 5.5 फीसदी 
इटैलियन 4.4 फीसदी 
जर्मन 4 फीसदी 
इंडियन 3.1 फीसदी
ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी 2.9 फीसदी 
ग्रीक 1.7 फीसदी 
अनस्पेसीफाइड 4.7 फीसदी 





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