Image Source : reporter input
जोधपुर के खेजड़ली गांव में आयोजित खेजड़ली शहीद मेला इस बार भी अनोखे नजारे का गवाह बना। यहां पहुंचने वाला हर शख्स बिश्नोई समाज की महिलाओं को देखकर दंग रह गया। वजह थी– उनका शाही श्रृंगार और सोने-हीरे से सजी पारम्परिक सुर्ख लाल पोशाक।
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मेले में शामिल महिलाओं के गहनों की चमक देखते ही बनती थी। कई महिलाएं एक किलो से ज्यादा सोना धारण किए नजर आईं।
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यह कोई अपवाद नहीं बल्कि आम दृश्य था। बाजार की कीमत से हिसाब लगाएं तो प्रत्येक महिला के गहनों की कीमत एक करोड़ रुपये से भी अधिक आंकी गई।
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खास बात यह रही कि हजारों की भीड़ और करोड़ों के गहनों के बीच भी मेले का वातावरण पूरी तरह सुरक्षित और सुकूनभरा रहा। महिलाओं ने बिना किसी भय के अपने गहनों का प्रदर्शन किया और हर कोई उनके श्रृंगार और आत्मविश्वास को देखकर अचंभित रह गया।
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बिश्नोई समाज की महिलाओं के लिए यह केवल आभूषण नहीं बल्कि परंपरा, संस्कृति और गौरव का प्रतीक है। मेले में पहुंचने वाली हर महिला का पहला शौक यही होता है कि वह पूरे साज-श्रृंगार के साथ शामिल हो और अपनी संस्कृति का भव्य प्रदर्शन करे।
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खेजड़ली शहीद मेला इस मायने में खास रहा कि यह केवल शहादत और श्रद्धा का प्रतीक नहीं बल्कि राजस्थान की धरोहर और संस्कृति की झलक भी प्रस्तुत करता है।
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महिलाओं में इस मेले को लेकर खासा उत्साह रहता है। वे मां अमृता को श्रद्धांजलि देने के लिए विशेष तौर से श्रृंगार करके पूरी तरह से गहनों से लदकर खेजड़ली मेले में पहुंचती हैं।
(रिपोर्ट- चंद्रशेखर व्यास)
