चीन ने निकाली विशाल सैन्य परेड, पुतिन, पेजेश्कियन और किम जोंग समेत कई अमेरिकी दुश्मन बने मेहमान


चीन की विशाल सैन्य परेड में बाएं से ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेश्कियन, रूस के राष्ट्रपति व्लादि- India TV Hindi
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चीन की विशाल सैन्य परेड में बाएं से ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेश्कियन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके बगल में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन।

बीजिंग: चीन ने बुधवार को द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी आक्रमण के खिलाफ अपनी जीत की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक भव्य सैन्य परेड के माध्यम से अपनी आधुनिक सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया। इस दौरान चीन ने अत्याधुनिक जेट लड़ाकू विमान, मिसाइल प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक उपकरण सहित कई अत्याधुनिक हथियारों को पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया।


पुतिन, पेजेश्कियन और किम जोंग की तिकड़ी से ट्रंप को झटका

चीन के इस ऐतिहासिक आयोजन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेश्कियन जैसे अमेरिका के कट्टर दुश्मनों की मौजूदगी ने ट्रंप को बड़ा झटका दिया है। यह सभी नेता चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ नजर आए। इस कार्यक्रम में 26 विदेशी राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति ने इसे एक प्रमुख वैश्विक राजनीतिक मंच में बदल दिया।


5 साल बाद किम जोंग पहुंचे चीन

किम जोंग उन अपनी बेटी किम जू ए के साथ मंगलवार रात ट्रेन से बीजिंग पहुंचे। यह 2019 के बाद से उनकी पहली चीन यात्रा है। किम जोंग की यात्रा ऐसे समय हो रही है जब उत्तर कोरिया और चीन के बीच संबंधों में खटास की अटकलें लगाई जा रही थीं। किम की यह यात्रा रूस के साथ उनके गहरे होते रिश्तों के संदर्भ में और भी अहम मानी जा रही है।

पाकिस्तान, नेपाल और मालदीव भी बने मेहमान

भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भी चीन की इस परेड में भाग लिया। मगर भारत इसमें शामिल नहीं हुआ। शी जिनपिंग और उनकी पत्नी पेंग लियुआन ने सभी विदेशी मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया।

SCO बैठक की पृष्ठभूमि में परेड

यह परेड त्येनजिन में हाल ही में संपन्न शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की उच्च स्तरीय शिखर बैठक के बाद आयोजित हुई, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शी जिनपिंग और पुतिन के साथ बैठकें चर्चा में रहीं। इस आयोजन की पृष्ठभूमि में अमेरिका द्वारा रूसी तेल खरीद को लेकर भारत पर 50% टैरिफ लगाने के निर्णय पर चर्चा भी अहम रही।

जापान से कूटनीतिक टकराव

यह आयोजन चीन-जापान के बीच कूटनीतिक तनाव का भी कारण बना है। जापान ने विश्व नेताओं से परेड में भाग न लेने की अपील की थी, लेकिन इसके बावजूद कई देशों के नेताओं की मौजूदगी ने बीजिंग की स्थिति को और मजबूत किया है। चीन ने जापान की अपील के खिलाफ राजनयिक विरोध दर्ज कराया है।

चीनी सेना का खुला प्रदर्शन

आमतौर पर अपने हथियारों को लेकर काफी गोपनीयता बरतने वाली चीन की सेना ने पहली बार सार्वजनिक रूप से अपने उन्नत हथियार तंत्र का प्रदर्शन किया। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) का दावा है कि ये हथियार अब अमेरिकी सैन्य तकनीक के समकक्ष हैं।

सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद

इस आयोजन के लिए तियानमेन चौक को सजाया गया था और चीन ने विश्व भर के पत्रकारों को आमंत्रित किया। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच इस परेड को दुनिया भर में लाइव प्रसारित किया गया। चीन ने अपनी सैन्य ताकत से जापान और अमेरिका को कड़ा संदेश देने का प्रयास किया है। (भाषा)

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