
रेवंत रेड्डी मामले में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
चीफ जस्टिस गवई ने आज बड़ी टिप्पणी की, हम बार-बार कह रहे हैं कि इस अदालत का इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाई के लिए न करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप राजनेता हैं तो आपकी चमड़ी मोटी होनी चाहिए। इस पर बीजेपी की ओर से वकील ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने अपने ही तर्क का खंडन किया है। बता दें कि तेलंगाना बीजेपी के नेता की तरफ से तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देश के राजनीतिक दलों को भी बड़ी नसीहत दी है।
भाजपा ने लगाया था आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने सीएम रेवंत रेड्डी के खिलाफ मानहानि के मामले को खारिज करने वाले हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ बीजेपी की याचिका को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। इस याचिका के तहत भाजपा तेलंगाना के महासचिव के. वेंकटेश्वरलू ने आरोप लगाया था कि रेड्डी ने चुनाव के दौरान बीजेपी को बदनाम करने वाला भाषण दिया था।
इसके बाद रेवंत रेड्डी की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर यह मानहानि है तो इस पर कोई राजनीतिक बहस नहीं हो सकती। इस बीच बीजेपी के वकील ने कहा कि तेलंगाना हाई कोर्ट ने अपना ही विरोधाभास पेश कर दिया है, लेकिन बेंच ने इस याचिका पर आगे विचार करने से इनकार कर दिया।
क्या था मामला
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार के दौरान सीएम रेवंत रेड्डी के भाषण के बाद, भाजपा नेता वेंकटेश्वरलू ने मानहानि की शिकायत की थी और इसके लिए मजिस्ट्रेट की अदालत पहुंच गए थे। अदालत ने आईपीसी और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के विभिन्न प्रावधानों के तहत रेवंत रेड्डी के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। चुनाव प्रचार के दौरान रेड्डी ने कथित बयान में कहा, ‘अगर भारतीय जनता पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में 400 सीटें जीतती है तो वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को खत्म कर देगी।’
इसपर, तेलंगाना हाई कोर्ट ने अगस्त में इस याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि कथित बयान बीजेपी के खिलाफ थे और तेलंगाना यूनिट को सीआरपीसी की धारा 199 (1) के तहत ‘पीड़ित व्यक्ति’ नहीं माना जा सकता। याचिकाकर्ता ने अपनी व्यक्तिगत हैसियत से शिकायत दर्ज कराई थी और कहीं भी यह जिक्र नहीं था कि बीजेपी का सदस्य होने के कारण उन्हें पीड़ित व्यक्ति माना जाना चाहिए।