
NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और INDI गठबंधन के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी हैं।
नई दिल्ली: 9 सितंबर को देश के उपराष्ट्रपति पद का चुनाव होने वाला है। ऐसे में पूरे देश की नजर इस चुनाव पर है और लोग ये जानने के लिए उत्सुक हैं कि देश के उपराष्ट्रपति NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन होंगे या INDI गठबंधन के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी बनेंगे।
हालांकि जानकारों का मानना है कि इस चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन जीत सकते हैं। लेकिन जीत का अंतर पिछले चुनावों जितना बड़ा होना मुश्किल लग रहा है।
किसके पास कितने सदस्य?
लोकसभा और राज्यसभा में कुल मिलाकर 781 सदस्य हैं। इसमें NDA को सपोर्ट करने वाले सदस्यों की संख्या 439 है और INDIA को सपोर्ट करने वाले सदस्यों की संख्या 327 है।
संख्या बल
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सीपी राधाकृष्णन के जीतने की संभावना क्यों?
उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य वोटिंग करते हैं। इस लिहाज से एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के पास सांसदों की संख्या ज्यादा है और ‘इंडिया’ ब्लॉक के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी उनसे पिछड़ सकते हैं।
लेकिन यहां पर ये बात भी ध्यान रखना जरूरी है कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में सांसद अपनी इच्छा से भी वोट दे सकते हैं। यानी इस चुनाव में कुछ भी हो सकता है और क्रॉस वोटिंग होना भी सामान्य बात है। उदाहरण के तौर पर साल 2022 में जब जगदीप धनखड़ ये चुनाव जीते थे तो उन्हें वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल के वोट भी मिले थे। ऐसे में देखना ये होगा कि उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन जीत दर्ज करता है।
लोकसभा में किसके पास कितने सदस्य?
लोकसभा में NDA के पास 299 सदस्य हैं और INDIA के पास 236 सदस्य हैं। यहां भी NDA का पलड़ा भारी है, जोकि उपराष्ट्रपति चुनाव में एक अहम फैक्टर साबित होगा।
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राज्यसभा में कितना है संख्याबल?
राज्यसभा में NDA के पास 140 सदस्य हैं, वहीं INDIA के पास 91 सदस्य हैं। ऐसे में राज्यसभा में भी NDA का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। इसके बारे में विस्तार से इन ग्राफिक्स प्लेट के जरिए समझा जा सकता है।
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अचानक क्यों हो रहा उपराष्ट्रपति पद का चुनाव?
गौरतलब है कि स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद यह चुनाव आवश्यक हो गया था। वराहगिरि वेंकट गिरि और रामास्वामी वेंकटरमन के बाद धनखड़ मध्यावधि में इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति हैं।
इतिहास में यह पहली बार है कि दोनों प्रमुख उम्मीदवार दक्षिणी राज्यों से हैं, क्योंकि राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं जबकि रेड्डी तेलंगाना से हैं। जब एनडीए ने जगदीप धनखड़ की जगह राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार चुना था, तब वे महाराष्ट्र के राज्यपाल थे। राधाकृष्णन झारखंड और तेलंगाना के राज्यपाल भी रहे। उन्होंने 1998 और 1999 में दो बार तमिलनाडु के कोयंबटूर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
वहीं रेड्डी 2007 से 2011 तक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे। वह 2005 से 2007 तक गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे और मार्च 2013 में गोवा के पहले लोकायुक्त भी रहे।