
संयुक्त राष्ट्र (फाइल फोटो)
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र में स्विट्ज़रलैंड को भारत ने अल्पसंख्यकों को लेकर ज्ञान दिए जाने के मामले में करारा जवाब दिया है। स्विट्जरलैंड यूएन में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार पर चिंता जता रहा था, जिसके बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। स्विट्ज़रलैंड भारत को “अल्पसंख्यकों की रक्षा करने” की सलाह दे रहा था। इस पर भारत ने ऐसा सबक सिखाया, जिसे वह हमेशा याद रखेगा। भारत ने स्विट्जरलैंड को दूसरे देशों की चिंता करने के बजाय अपने देश में मौजूद नस्लवाद, व्यवस्थित भेदभाव और विदेशियों के प्रति नफरत (ज़ेनोफोबिया) की याद दिलाई। इसके बाद उसकी बोलती बंद हो गई।
अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान दे स्विट्जरलैंड
भारत ने स्विट्जरलैंड को महासभा में फटकार लगाने के बाद कहा कि वह दूसरे देशों पर सवाल उठाने के बजाया अपने आंतरिक मामलों पर ध्यान दे, जो उससे संभल नहीं रहे। भारत के स्थायी मिशन में परामर्शदाता क्षितिज त्यागी ने संयुक्त राष्ट्र में स्विस प्रतिनिधि की टिप्पणी पर जवाब देते हुए कहा कि स्विट्ज़रलैंड को अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, न कि उसे दूसरों को सलाह देने का हक है।
स्विट्ज़रलैंड ने दिया था ये बयान
मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में स्विस प्रतिनिधि ने भारत से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व मीडिया की स्वतंत्रता बनाए रखने की अपील की। स्विट्ज़रलैंड ने भारत से प्रभावी कदम उठाने को कहा, ताकि देश में सभी नागरिकों को उनकी मौलिक स्वतंत्रताएं मिल सकें।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने स्विट्जर लैंड की इस सलाह पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। भारतीय प्रतिनिधि क्षितिज त्यागी ने स्विट्ज़रलैंड को उसके अपने सामाजिक मुद्दों की ओर इशारा करते हुए कहा कि वहां पर “नस्लवाद, व्यवस्थित भेदभाव और ज़ेनोफोबिया” जैसी समस्याएं मौजूद हैं। स्विट्जरलैंड को पहले अपने उन आंतरिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह इस तरह की आलोचना को स्वीकार नहीं करेगा, विशेषकर तब जब आलोचक स्वयं गंभीर आंतरिक समस्याओं से जूझ रहा हो।