
नेपाल की पहली महिला पीएम सुशीला कार्की
काठमांडू: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में सोशल मीडिया बैन लगने के खिलाफ युवा सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन हिंसा में बदल गई और इसमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, कई घायल हुए। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, प्रधानमंत्री आवास और सहित कई प्रमुख स्थलों में आग लगा दी और खूब बवाल काटा। इन विरोध प्रदर्शनों के कारण के.पी.शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और सुशीला कार्की देश की पहली महिला प्रधानमंत्री नियुक्त की गईं। राष्ट्रपति पौडेल ने शुक्रवार को सुशीला कार्की को पीएम पद की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति ने नवनियुक्त प्रधानमंत्री की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा को भंग करते हुए कहा कि देश में अगला संसदीय चुनाव 5 मार्च को होगा।
राष्ट्रपति पौडेल ने सोशल मीडिया बैन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे जेन जी के समूहों की मांग स्वीकार करते हुए 12 सितंबर को नेपाल की वर्तमान संसद भंग कर दी थी और सुशीला कार्की को पीएम पद की शपथ दिलाई गई। इसके साथ ही के.पी. शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल में आई राजनीतिक अनिश्चितता तो खत्म हो गई है लेकिन सुशीला कार्की के लिए भी यह कांटों भरा ताज है। उन्हें कई तरह की चुनौतियों से जूझना होगा। नेपाल पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि विरोध प्रदर्शनों में एक भारतीय नागरिक सहित कम से कम 51 लोगों की मौत हो गई।
नेपाल में तबाही के निशान
अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए सुशीला कार्की का चयन सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल और राष्ट्रपति पौडेल के साथ Gen-Z प्रतिनिधियों की दो दिनों तक चली वार्ताओं के बाद हुआ। कार्की रविवार को एक छोटा मंत्रिमंडल गठित करेंगी। उनके पास गृह, विदेश और रक्षा सहित लगभग दो दर्जन मंत्रालय होंगे। सरकारी सूत्रों के अनुसार, विरोध प्रदर्शनों के दौरान सिंह दरबार सचिवालय स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में आग लगा दी गई थी, इसलिए सिंह दरबार परिसर में गृह मंत्रालय के लिए नवनिर्मित भवन को प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए तैयार किया जा रहा है।प्रधानमंत्री कार्यालय को वहां स्थानांतरित करने के लिए इमारत के आसपास के इलाकों से राख हटाने और साफ-सफाई का काम चल रहा है।
नेपाल में शांति
पीएम सुशीला कार्की के सामने क्या होंगी चुनौतियां
सत्ता संभालते ही नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी, जिसमें से सबसे बड़ी चुनौती भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से निपटने की है। नेपाली युवाओं में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सोशल मीडिया प्रतिबंध को लेकर ही ओली सरकार के खिलाफ भयंकर गुस्सा था। पीएम कार्की को पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।
सरकार के ठेकों और नियुक्तियों में फैले भ्रष्टाचार पर सख्तीा से लगाम लगानी होगी और बेरोजगारी कम करने के लिए शिक्षा-प्रशिक्षण कार्यक्रम, स्टार्टअप को बढ़ावा देना और निजी निवेश के लिए बेहतर माहौल तैयार करना होगा और युवाओं को भरोसे में लेना होगा।
नेपाल की युवा पीढ़ी जो सोशल मीडिया पर सक्रिय है, जिसने सोशल मीडिया पर बैन को लेकर आंदोलन शुरू किया, उनकी बात सुननी होगी। उनकी समस्याओं का निपटारा करने के साथ ही उनसे संवाद बनाना भी बेहद जरूरी होगा।
पीएम कार्की के लिए छह महीने का कार्यकाल बेहद महत्वपूर्ण होगा। अगर वे जनता का विश्वास चुनाव तक बनाए रखी रहने में कामयाब होंगी तो आगे उनके लिए रास्ता कुछ आसान होगा।
नेपाल में यह पहली बार है जब युवा आंदोलन ने सत्ता परिवर्तन के लिए मजबूर किया है। सुशीला कार्की को युवाओं की आकांक्षाओं पर खरा उतरना होगा। अंतरिम मंत्रिमंडल में शामिल नेता अपनी महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित होकर सहयोग भी कर सकते हैं और चुनौती भी।
नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों और शीर्ष अधिवक्ता संघ ने राष्ट्रपति के संसद भंग करने के फैसले की कड़ी आलोचना की है और इस कदम को ‘‘असंवैधानिक’’, ‘‘मनमाना’’ और लोकतंत्र के लिए एक बड़ा झटका बताया है। भंग की गई प्रतिनिधि सभा के मुख्य सचेतकों ने संसद भंग करने का विरोध करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया। इन्हें भी शांत कराना एक बड़ी चुनौती होगी।
नेपाल की पीएम सुशीला कार्की
भारत नेपाल के बेहतर संबंधों की जगी उम्मीद
भारत के साथ बेहतर संबंध बनाने होंगे। हालांकि पीएम पद की शपथ लेने के तुरंत बाद सुशीला कार्की ने भारत-नेपाल संबंधों को लेकर बेहद भावनात्मक बयान दिया। उन्होंने कहा- ‘भारत में दर्द होता है, तो आंसू हमारे भी आते हैं, भारत दिल के बहुत करीब है।’उनका ये बयान ऐसे समय आया है जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और राजनीतिक खींचतान के कारण रिश्तों में खटास आई थी। कार्की का बयान एक नई शुरुआत की उम्मीद जगाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं, नेपाल में स्थिरता और विकास की कामना की। उन्होंने लिखा- भारत नेपाल की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और जनता की आकांक्षाओं का सम्मान करता है। मोदी ने कहा कि यह कदम महिला सशक्तिकरण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने विश्वास जताया कि कार्की नेपाल में शांति स्थिरता और विकास का मार्ग प्रशस्त करेंगी। पीएम मोदी ने कहा कि भारत नेपाल के लोगों के साथ इस परिवर्तन के समय मजबूती से खड़ा है।
नेपाल में उपद्रव के बाद के हालात
चीन की तरफ से अबतक कोई आधिकारिक बयान नही
नेपाल में हुए सत्ता परिवर्तन पर कई देशों की नजर है। नेपाल से दोस्ती निभाने वाले चीन ने अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। नेपाल में चीन ने सड़क, बिजली और रेल परियोजनाओं में भारी निवेश कर रखा है, इसीलिए नेपाल में चीन का अगला कदम क्या होगा ये देखना अहम होगा। वहीं, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने नेपाल में लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सत्ता परिवर्तन का स्वागत किया है। किसी बड़े देश ने फिलहाल नेपाल में हुए सत्ता परिवर्तन पर किसी तरह का आलोचनात्मक रुख नहीं अपनाया है।
नेपाल की पीएम कार्की का भारत के प्रति नरम रुख साफ संकेत देता है कि वे भारत से रिश्ते सुधारना चाहती हैं। लेकिन चीन की आर्थिक मौजूदगी को नजरअंदाज करना उनके लिए इतना आसान नहीं होगा।आने वाले महीनों में नेपाल की विदेश नीति में कार्की कैसे यह संतुलन बनाए रखती हैं, ये देखना सबसे अहम होगा।
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