
गीत गातीं सीएम ममता।
Durga Puja 2025: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ के दुर्गा पूजा संस्करण का उद्घाटन करते हुए दुर्गा पूजा गीत ‘जागो दुर्गा’ गाया है। श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब दुर्गा पूजा पंडाल का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा, ‘आज मैं केवल पंडालों का उद्घाटन कर रही हूं। कल से मैं देवी की मूर्तियों का भी अनावरण करूंगी।’ बता दें कि, रविवार को पड़ने वाला महालया पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है जो पूर्वजों के सम्मान का एक पखवाड़ा है। इसके साथ ही देवी पक्ष की शुरुआत भी होती है, जिसके बाद दुर्गा पूजा होती है।
इनकी भी सुनिए
- TMC सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘आज महालया है… पहले लोग सिर्फ़ सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी, इन चार दिनों में ही दुर्गा पूजा पंडाल देखने जाते थे। लेकिन 2011 से, जब से बंगाल में मां, माटी, मानुष की सरकार आई है हमने दुर्गा पूजा को और बढ़ावा दिया है, अब लोग महालया के दिन से ही दुर्गा पूजा पंडाल देखने जाते हैं। हमारी सरकार ने पूजा के लिए प्रत्येक क्लब को 1 लाख 10 हजार रुपये की सहायता प्रदान की है, मैं मुख्यमंत्री का धन्यवाद करता हूं।’
- भाजपा विधायक और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेन्दु अधिकारी ने X पर लिखा कि, ‘मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद को विघटनकारी कारक साबित कर दिया है, जो जानबूझकर हमारे सदियों पुराने हिंदू रीति-रिवाजों और भावनाओं को केवल अपनी संकीर्ण वोट बैंक की राजनीति के लिए नुकसान पहुंचा रही हैं। पितृ पक्ष के आखिरी दिन; हिंदू कैलेंडर में 15 चंद्र दिवस की अवधि हमारे पूर्वजों के सम्मान और आदर के लिए समर्पित है, एक ऐसा समय जिसे आमतौर पर कुछ भी नया शुरू करने के लिए अशुभ माना जाता है, वह महालया से ठीक पहले दुर्गा पूजा पंडालों का उद्घाटन करती हैं। यह अज्ञानता नहीं है; यह जानबूझकर की गई दुर्भावना है। पितृ पक्ष गंभीर स्मरण, श्राद्ध और संयम का समय है। हमारे शास्त्र और परंपराएँ बिल्कुल स्पष्ट हैं: इस दौरान कोई नई शुरुआत नहीं, कोई उत्सव नहीं, क्योंकि यह अशुभता को आमंत्रित करता है। महालया, मां दुर्गा के आह्वान का प्रतीक है, जो शुभ शारदीय की सच्ची संवाहक हैं। लेकिन नहीं, ममता बनर्जी इंतजार नहीं कर सकतीं। उन्हें अपनी राजनीतिक धूमधाम के साथ भागना है, एक दिव्य उत्सव को अपने निजी पीआर स्टंट में बदलना है। यह हिंदू संस्कृति और परंपराओं के प्रति अनादर है, और हमारी आस्था से इतर लोगों को खुश करने के लिए हमारी परंपराओं को कमजोर करने का एक स्पष्ट प्रयास है।’
यूनेस्को दे चुका है मान्यता
गौरतलब है कि, यूनेस्को ने कोलकाता में दुर्गा पूजा को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की 2021 की सूची में शामिल किया, जिससे 334 साल पुराने शहर और राज्य के सबसे बड़े धार्मिक त्योहार को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली। बता दें, इस वर्ष पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूरे बंगाल में दुर्गा पूजा का आयोजन करने वाले सामुदायिक क्लबों के लिए राज्य का अनुदान 85,000 रुपये से बढ़ाकर 1.10 लाख रुपये कर दिया है।
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