
रूस के राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी व दाएं नाटो के चीफ मार्क रूट।
ब्रुसेल्सः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नोबल पुरस्कार पाने की लालसा इतनी अधिक बेकाबू हो गई है कि वह इसके लिए कुछ भी करवाने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच यूक्रेन युद्ध को लेकर पिछले कुछ दौर में फोन और आमने-सामने की हुई कई वार्ताओं को NATO चीफ मार्क रूट द्वारा अमेरिकी टैरिफ के दबाव का नतीजा बताना ट्रंप की इसी कोशिश का नतीजा महसूस होता है।
नाटो चीफ ने एक बयान में कहा कि ट्रंप द्वारा भारत पर रूस से तेल खरीदने के खिलाफ लगाए गए टैरिफ का मास्को पर बड़ा असर पड़ रहा है। इसीलिए दिल्ली और पुतिन की फोन पर यूक्रेन युद्ध में शांति को लेकर वार्ताएं चल रही हैं। हालांकि भारत ने नाटो चीफ के इस दावे को निराधार, भ्रामक और गलत करार दिया है।
नाटो चीफ के बयान के कितने मायने?
नाटो चीफ के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। एक तो यह कि ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को सही ठहराने की कोशिश करना। ताकि ट्रंप दुनिया में फर्जी प्रोपोगैंडा फैला सकें कि उन्होंने भारत पर टैरिफ लगाकर सही किया था। इसलिए पुतिन युद्ध रोकने पर मजबूर हुए और भारत ने रूस पर दबाव डाला।
क्या चाहते हैं ट्रंप?
दूसर यह कि पीएम नरेंद्र मोदी दुनिया भर में शांति के समर्थक माने जाते हैं। आधुनिक दुनिया में वह बड़े सर्वमान्य लीडर बनकर उभरे हैं। दुनिया के तमाम देशों में उनकी बात को राष्ट्राध्यक्ष बेहद गंभीरता और सम्मानपूर्वक लेते हैं। भारत और रूस की पारंपरिक दोस्ती के साथ पीएम मोदी और पुतिन के गहरे आपसी मित्रवत संबंधों को देखकर ट्रंप को लग रहा है कि कहीं यूक्रेन युद्ध समाप्त करवाने की क्रेडिट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न मिल जाए और ट्रंप नोबल पुरस्कार से वंचित रह जाएं।
अगर पीएम मोदी यूक्रेन युद्ध विराम करवाने में सफल रहे तो वैश्विक स्तर पर उनका कद और भी बढ़ जाएगा। यह अमेरिका और ट्रंप को कतई अच्छा नहीं लगेगा। ऐसे में हो सकता है कि वह नाटो चीफ से ऐसा बयान दिलवा रहे हैं। ताकि लोगों को यह कहकर भ्रमित कर सकें कि पीएम मोदी ने पुतिन से यूक्रेन युद्ध रोकने का दबाव तब बढ़ाया, जब अमेरिका ने भारत पर भारी टैरिफ लगाया। जबकि सच्चाई ये है कि पीएम मोदी आरंभ से ही यूक्रेन युद्ध में शांति के लिए दोनों देशों से वार्ता की मेज पर आने की वकालत करते आ रहे हैं।
NATO चीफ ने क्या कहा?
मार्क रूट ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए लगाए गए टैरिफ का मास्को पर “गहरा प्रभाव” पड़ रहा है। रूट ने यह भी दावा किया कि जब से ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ की घोषणा की है, तब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन पर उनकी रणनीति “समझाने” के लिए कह रहे हैं। उन्होंने शुक्रवार को न्यूयॉर्क में यूएनजीए सत्र के दौरान कहा “इस (टैरिफ) का तुरंत रूस पर असर पड़ता है, क्योंकि इसका मतलब है कि दिल्ली अब मास्को में व्लादिमीर पुतिन के फोन पर है, और नरेंद्र मोदी उनसे पूछ रहे हैं, ‘मैं आपका समर्थन करता हूं, लेकिन क्या आप मुझे अपनी रणनीति समझा सकते हैं…क्योंकि मुझे अब संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा 50% टैरिफ से नुकसान हुआ है।'”
भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
भारत ने शुक्रवार को NATO के महासचिव मार्क रूट द्वारा किए गए उस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के दबाव के चलते भारत ने रूस से यूक्रेन युद्ध पर उसकी रणनीति समझाने को कहा। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा कि ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है और इस तरह का दावा “तथ्यों से परे और पूरी तरह से आधारहीन” है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि NATO प्रमुख को भविष्य में ऐसी टिप्पणी करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए।
पीएम मोदी और पुतिन की कब हुई फोन पर बात?
प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन ने आखिरी बार 17 सितंबर को फोन पर बात की थी। पुतिन ने पीएम मोदी के 75वें जन्मदिन पर उनको फोन करके बधाई दी थी। पीएम मोदी के कार्यालय के अनुसार, उन्होंने फरवरी 2022 में शुरू हुए यूक्रेन संघर्ष के “शांतिपूर्ण समाधान” के लिए भारत के पूर्ण समर्थन को दोहराया था। इससे पहले चीन में 1 सितंबर को, दोनों नेता करीब एक घंटे तक एक ही वाहन में यात्रा करते हुए SCO शिखर सम्मेलन के बाद द्विपक्षीय बैठक की जगह पहुंचे थे। इस दौरान भी पीएम मोदी ने पुतिन से यूक्रेन युद्ध विराम को लेकर बात की थी।
ट्रंप ने NATOसे कहा-चीन पर टैरिफ लगाएं
इसी महीने, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि NATO देशों को चीन पर 50 से 100 प्रतिशत टैरिफ लगाना चाहिए और रूस से तेल खरीदना बंद कर देना चाहिए। ताकि यूक्रेन युद्ध खत्म हो सके। गत 13 सितंबर को Truth Social पर ट्रंप ने कहा कि जब सभी NATO देश सहमत होंगे और रूस से तेल खरीदना बंद करेंगे तो वे रूस पर “कड़ी पाबंदियां” लगाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, “NATO की जीत की प्रतिबद्धता 100% से कम रही है और कुछ देशों द्वारा रूस से तेल खरीदना चौंकाने वाला है!” उन्होंने कहा, “यह आपकी रूस के साथ वार्ता और सौदेबाजी की स्थिति को बहुत कमजोर करता है।”