
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता में आ रही कमी पर चिंता जाहिर की और सुरक्षा परिषद (UNSC) में तत्काल सुधार की मांग की। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद की स्थायी और अस्थायी, दोनों सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए और भारत बड़ी जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है।
“जरूरी है कि हम इस निराशा को दूर करें”
जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता में कमी का मुख्य कारण सुधार का विरोध है। उन्होंने कहा, “अधिकांश सदस्य दृढ़ता से बदलाव चाहते हैं, लेकिन प्रक्रिया को ही परिणाम में बाधा बनाया जा रहा है। यह जरूरी है कि हम इस निराशा को दूर करें और सुधार एजेंडे पर सार्थक रूप से काम करें।”
पड़ोसियों की मदद में भारत की भूमिका
विदेश मंत्री ने संकट के समय में अपने पड़ोसियों की तत्काल जरूरतों पर भारत की त्वरित प्रतिक्रिया को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “…अशांत समय में यह जरूरी है कि हम संकट के क्षणों में आगे बढ़ें। भारत इस संबंध में खासकर अपने आस-पास के क्षेत्रों में हमेशा तत्पर रहा है। चाहे वह वित्त, भोजन, उर्वरक या ईंधन हो, हमने अपने पड़ोसियों की तत्काल जरूरतों को पूरा किया है।”
यूक्रेन और गाजा में चल रहे संघर्षों पर बोले
जयशंकर ने विशेष रूप से यूक्रेन और गाजा में चल रहे संघर्षों के परिणामों पर ध्यान आकर्षित किया, जिसका असर उन देशों पर भी महसूस किया जा रहा है जो सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा, “संघर्षों के मामले में विशेष रूप से यूक्रेन और गाजा में, जो सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं, उन्होंने भी इसका प्रभाव महसूस किया है। ऐसे राष्ट्र जो सभी पक्षों को बातचीत के लिए प्रेरित कर सकते हैं, उन्हें समाधान खोजने के लिए आगे आना चाहिए। भारत शत्रुता समाप्त करने का आह्वान करता है और किसी भी पहल का समर्थन करेगा जो शांति बहाल करने में मदद करेगी।”
AI पर भारत का दृष्टिकोण
आखिर में विदेश मंत्री ने विकास की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा, “…भारत विकास की अपनी यात्रा में अपने अनुभवों और उपकरणों को दूसरों के साथ साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की विकास के लिए व्यापक क्षमता को उजागर किया। जयशंकर ने बताया कि भारत का दृष्टिकोण AI का जिम्मेदारी से मानव कल्याण के लिए उपयोग करना है। उन्होंने घोषणा की कि समावेश और प्रभाव उन लक्ष्यों का आधार होंगे जिनके लिए भारत 2026 में एक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
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