भारत के 5TH जनरेशन फाइटर जेट बनाने के लिए 7 कंपनियों ने लगाई बोली, 2 लाख करोड़ रुपये से बनेंगे 125 ज्यादा लड़ाकू विमान


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एएमसीए का प्रोटोटाइप मॉडल

भारतीय वायुसेना में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान शामिल करने की प्रक्रिया तेज से आगे बढ़ रही है। भारत सरकार का प्लान 2 लाख करोड़ रुपये की लागत से 125 से ज्यादा विमान बनाने का है। इसके लिए सात कंपनियों ने बोली लगाई है। एडवांस मीडियम कॉंबेट एयरक्राफ्ट भारत में बनाए जाएंगे। ये पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट होंगे। इनके प्रोटोटाइप को डिजाइन और विकसित करने के लिए डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) किसी एक या एक से ज्यादा कंपनियों के साथ साझेदारी कर सकता है।

बोली लगाने वाली सात कंपनियों में से सरकार दो का चयन करेगी। इन कंपनियों को पांच मॉडल बनाने के लिए 15,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके बाद विमान बनाने के अधिकार दिए जाएंगे।

इन कंपनियों ने लगाई बोली

रक्षा अधिकारियों ने बताया कि इस बोली में शामिल सात कंपनियों में लार्सन एंड टुब्रो, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और अडानी डिफेंस शामिल हैं। उनकी बोलियों का मूल्यांकन ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व प्रमुख ए शिवथानु पिल्लई की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। समिति अपनी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंपेगी। मंत्रालय अंतिम चयन करेगा।

क्या है प्लान?

एएमसीए 2 लाख करोड़ रुपये की विनिर्माण परियोजना है, जिसके तहत 125 से अधिक लड़ाकू जेट विमान बनाए जाने हैं। इन विमानों के 2035 से पहले वायुसेना में शामिल होने के लिए तैयार होने की उम्मीद नहीं है। हालांकि, ऐसा होते ही भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों वाले देशों की सूची में शामिल हो जाएगा। मई 2025 तक केवल संयुक्त राज्य अमेरिका (F-22 और F-35), चीन (J-20) और रूस (Su-57) के पास ही ये विमान हैं।

एएमसीए क्या है?

भारत का पहला पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान एकल सीट वाला दो इंजन वाला जेट होगा, जिसमें उन्नत स्टील्थ कोटिंग्स और आंतरिक हथियार कक्ष होंगे, जैसे कि अमेरिकी और रूसी विमानों एफ-22, एफ-35 और एसयू-57 में होते हैं। इसकी परिचालन क्षमता 55,000 फीट होने की उम्मीद है और यह आंतरिक हिस्सों में 1,500 किलोग्राम हथियार और बाहरी हिस्सों में 5,500 किलोग्राम अतिरिक्त हथियार ले जा सकेगा। एएमसीए संभवतः 6,500 किलोग्राम अतिरिक्त ईंधन ले जा सकेगा।

दूसरे वर्जन में लगेगा देसी इंजन

रिपोर्ट से पता चलता है कि इसके दो संस्करण होंगे। भारत को उम्मीद है कि दूसरे संस्करण में स्वदेशी रूप से विकसित इंजन होगा, जो संभवतः पहले संस्करण में लगे अमेरिकी निर्मित GE F414 से अधिक शक्तिशाली होगा। यह एक बेहद कुशलऔर गुप्त बहुउद्देशीय लड़ाकू जेट होगा। इसमें 21वीं सदी में विकसित प्रमुख तकनीक को शामिल किया गया जाएगा। यह परिचालन में सबसे आधुनिक लड़ाकू जेट हैं। इसमें बेहतर युद्धक्षेत्र सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है, जो पायलट को युद्ध क्षेत्र और दुश्मन लड़ाकों के बारे में विस्तृत जानकारी देता है, साथ ही उन्हें बढ़त दिलाने वाली हर चीज भी देता है।

सेना को आधुनिक हथियार दे रहा भारत

भारत अपने सैनिकों को आधुनिक हथियार देना चाहता है। इसी कड़ी में यह कदम उठाया गया है। भारत ने अप्रैल में फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन से 26 राफेल-एम लड़ाकू विमान का समुद्री संस्करण खरीदने के लिए 63,000 करोड़ रुपये का सौदा किया। 2031 तक आपूर्ति किए जाने वाले ये विमान पुराने रूसी मिग-29के की जगह लेंगे। वायु सेना पहले से ही 36 राफेल-सी लड़ाकू विमानों का संचालन कर रही है। पिछले एक दशक में भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित विमान वाहक पोत, युद्धपोत और पनडुब्बियां भी लॉन्च की हैं। इसके साथ ही लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण भी किया है। राजनाथ सिंह ने भारत में निर्मित हथियारों के उत्पादन को बढ़ावा देने और निर्यात से राजस्व बढ़ाने के लिए 2033 तक कम से कम 100 बिलियन डॉलर के नए घरेलू सैन्य हार्डवेयर अनुबंधों का भी वादा किया है। (इनपुट- एएनआई)

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