
ईरान का परमाणु कार्यक्रम
लंदनः संयुक्त राष्ट्र के बाद अब ब्रिटेन ने भी ईरान के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। ब्रिटेन ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए 70 व्यक्तियों और संगठनों पर नए प्रतिबंध लागू किए हैं। ब्रिटिश विदेश कार्यालय ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह कदम उस बढ़ती चिंता के तहत उठाया गया है जो ईरान के संभावित परमाणु हथियार निर्माण कार्यक्रम से उत्पन्न हो रही है। इन प्रतिबंधों में कुल 62 संस्थाओं और 9 प्रमुख व्यक्तियों को निशाना बनाया गया है जो ईरान के परमाणु और हथियार विकास कार्यक्रम से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं।
ईरान पर यूरेनियम संवर्धन का आरोप
ब्रिटेन का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब ईरान द्वारा अपने परमाणु कार्यक्रम को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है और वह हथियार-स्तर के यूरेनियम का संवर्धन कर रहा है। यह यूरेनियम परमाणु हथियारों के निर्माण में इस्तेमाल किया जा सकता है, जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन सकता है। विदेश मंत्री यवेट कूपर ने इस निर्णय पर टिप्पणी करते हुए कहा, “ईरान का परमाणु कार्यक्रम लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय रहा है। इससे न केवल क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शांति को खतरा उत्पन्न होता है।” उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिटेन इन प्रतिबंधों के माध्यम से ईरान को स्पष्ट संदेश देना चाहता है कि वह उसे परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
यूएन ने भी ईरान के खिलाफ प्रतिबंध न लगाने की सिफारिशों को कर चुका खारिज
इससे पहले सितंबर महीने में “ई3” देश कहे जाने वाले ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने सामूहिक रूप से “स्नैपबैक मैकेनिज्म” सक्रिय किया था। इस तंत्र के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र द्वारा हटाए गए पूर्व प्रतिबंधों को फिर से प्रभाव में लाया जा सकता है। ई3 देशों का मानना है कि ईरान ने 2015 के ऐतिहासिक परमाणु समझौते (JCPOA) की शर्तों का उल्लंघन किया है और अब उस समझौते के तहत मिली छूटों का लाभ नहीं उठा सकता। 2015 में हुए इस परमाणु समझौते के तहत ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के बदले में उस पर लगे कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत दी गई थी। लेकिन हाल के वर्षों में ईरान ने इस समझौते की शर्तों का उल्लंघन करते हुए संवर्धन गतिविधियां तेज कर दी हैं।
ब्रिटेन की सख्ती से ईरान की बढ़ेगी मुश्किल
ब्रिटेन द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल एक राजनीतिक संदेश है, बल्कि यह उन तकनीकी और आर्थिक संसाधनों को भी बाधित करेगा जिनके जरिए ईरान अपने हथियार कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है। यह प्रतिबंध ऐसे समय में लगाए गए हैं जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान के साथ कूटनीतिक समाधान की उम्मीद खोता जा रहा है। इस निर्णय के साथ ब्रिटेन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह परमाणु हथियारों के प्रसार के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता को लेकर गंभीर है और इस दिशा में वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व करने को तैयार है। (भाषा)