भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 26 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में 2.334 अरब डॉलर घटकर 700.236 अरब डॉलर हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी। आरबीआई के मुताबिक, इससे पहले, पिछले सप्ताह में 396 मिलियन डॉलर की गिरावट आई थी और विदेशी मुद्रा भंडार 702.57 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। पीटीआई की खबर के मुताबिक, रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया कि 26 सितंबर को समाप्त सप्ताह में, विदेशी मुद्रा संपत्तियां, जो कि भंडार का एक प्रमुख घटक हैं, 4.393 अरब डॉलर घटकर 581.757 अरब डॉलर हो गईं।
सोने का भंडार कितना है?
खबर के मुताबिक, डॉलर में व्यक्त विदेशी मुद्रा संपत्तियों में उन गैर-अमेरिकी मुद्राओं जैसे यूरो, पाउंड और येन की कीमत में उतार-चढ़ाव का प्रभाव भी शामिल होता है, जो विदेशी मुद्रा भंडार में संचित होती हैं। हालांकि, सोने का भंडार इस अवधि में 2.238 अरब डॉलर बढ़कर 95.017 अरब डॉलर हो गया, जैसा कि केंद्रीय बैंक ने बताया। स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (एसडीआर) में भी 90 मिलियन डॉलर की गिरावट आई, और ये 18.789 अरब डॉलर पर पहुंच गए। इस दौरान, भारत की आईएमएफ के साथ रिजर्व स्थिति में भी 89 मिलियन डॉलर की गिरावट आई और यह 4.673 अरब डॉलर पर आ गई, जैसा कि आंकड़ों में बताया गया।
क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार
बता दें, किसी भी देश में विदेशी मुद्रा भंडार वह विदेशी मुद्रा और सोने जैसी संपत्ति है जो उस देश का केंद्रीय बैंक (जैसे भारत में भारतीय रिजर्व बैंक) अपने पास रखता है। इसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय भुगतान, मुद्रा को स्थिर करने और देश की आर्थिक स्थिरता को दर्शाने के लिए किया जाता है। ये भंडार यह सुनिश्चित करते हैं कि देश में विदेशी मुद्रा लेनदेन करने या भुगतान संतुलन घाटे से निपटने के लिए पर्याप्त तरलता उपलब्ध हो। इनका आर्थिक महत्व देश की स्थिति के अनुसार बदलता रहता है। एक केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार (विदेशी मुद्राओं) का उपयोग विदेशी मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप करने और अपनी मुद्रा की विनिमय दर को प्रभावित करने के लिए कर सकता है।