
चिराग पासवान और जीतनराम मांझी।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आते ही NDA और महागठबंधन दोनों में सीट बंटवारे को लेकर तकरार तेज हो गई है। खासकर एनडीए में केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने ‘अपमान’ की बात कहते हुए 15 सीटों की मांग पर अड़े होने का ऐलान किया है। उन्होंने साफ धमकी दी है कि अगर इतनी सीटें नहीं मिलीं तो उनकी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी। दूसरी ओर, लोक जनशक्ति (राम विलास) के नेता चिराग पासवान ने खुलकर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन इशारों में ‘हर कदम पर लड़ना सीखो’ का संदेश देकर सहयोगियों को चेतावनी दी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या एनडीए में मांझी और चिराग की राहें जुदा हो जाएंगी?
जीतनराम मांझी ने किया आर-पार का ऐलान
NDA की सबसे बड़ी टेंशन जीतनराम मांझी से जुड़ी है। हमेशा NDA का साथ देने का दावा करने वाले मांझी ने कहा है कि अब NDA को उनका साथ देना होगा। उन्होंने 15 सीटों की मांग दोहराई है और चेतावनी दी कि लड़ेंगे तो 15 पर, वरना एक पर भी नहीं। मांझी ने कहा, ‘हम नरेंद्र मोदी के चहेते हैं, उनके चेले हैं। जो नरेंद्र मोदी का इशारा होगा, एनडीए का होगा, उसके लिए हम रात-दिन एड़ी-चोटी का पसीना एक करेंगे।’ मांझी ने कहा कि ये अपमान का घूंट कितना दिन सहकर रहेंगे? उन्होंने कहा, ‘जिसका एक विधायक नहीं है, वो अपने को बड़ा समझता है। जिसको 1-2 विधायक हैं, वो अपने को बड़ा समझता रहता है। और क्या-क्या मांगता है, वो मैं नहीं करना चाहता।’
जीतनराम मांझी ने 15 सीटों की मांग की है।
मांझी ने आगे कहा, ‘हर समय हम एनडीए का साथ देते हैं, लेकिन एनडीए का भी फर्ज बनता है कि जीतनराम मांझी को अपमानित नहीं होने दे। हमको इतना सीट दीजिए कि 60% स्कोरिंग सीट जीतकर लाऊं। तो 8 सीट जीतकर आ रहे हैं। इसका मतलब 8 दूना 16 नहीं तो 15 सीट। अगर हमको मिलती है तो हम 8 या 9 सीट जीत लेंगे। अगर 15 सीट नहीं मिलती है तो कहने का मतलब है कि हम निबंधित पार्टी ही रह जाएंगे। तो चुनाव लड़ने का क्या फायदा है? हम चुनाव नहीं लड़ेंगे।’ मांझी की नाराजगी इसलिए भी है क्योंकि बीजेपी उन्हें सिर्फ 7-8 सीटें देने को तैयार है, जबकि उनकी पार्टी को राज्य स्तर पर मान्यता चाहिए। अगर 15 में से 8-9 जीत लीं तो पार्टी मजबूत हो जाएगी।
बिना कुछ कहे ही चिराग ने भी दी चेतावनी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी-जेडीयू मिलकर 205 सीटें ले सकती हैं, बाकी छोटे सहयोगियों में बंटेंगी। वहीं, दूसरी तरफ लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के नेता चिराग पासवान ने सीधे तौर पर नाराजगी नहीं जताई, लेकिन अपने पिता राम विलास पासवान के शब्दों से सहयोगियों को सचेत कर दिया। चिराग ने कहा कि उनकी मांग सिर्फ ‘बिहार फर्स्ट’ की है, न कि पद या सीटों की। लेकिन इशारों में उन्होंने ‘लड़ाई’ का संदेश देते हुए कहा, ‘हर रोज देखता हूं, आज चिराग नाराज हैं। तो आज चिराग खुश हैं। आज चिराग ने इतनी सीटों की मांग की। आज चिराग ने इतनी सीटों की मांग की। एक बात मैं स्पष्ट तौर से कह दूं कि बातचीत अच्छे तरीके से चल रही है। मैं मानता हूं कि सही समय पर सही फैसला ले लिया जाएगा।’
लोक जनशक्ति (राम विलास) चिराग पासवान ने इशारों में चेतावनी दी है।
चिराग पासवान ने कहा, ‘मेरे ऊपर ये आरोप लगाना कि चिराग नाराज हैं, चिराग इतनी सीटों की डिमांड कर रहे हैं, चिराग ये मांग कर रहे हैं, चिराग वो मांग कर रहे हैं। चिराग पासवान सिर्फ एक मांग करता है, वो है बिहार को फर्स्ट, बिहारियों को फर्स्ट बनाने की। चिराग की मांग ना किसी पद को लेकर है, ना किसी से नाराजगी को लेकर है, ना किसी की सीटों को लेकर है। बिहार को फर्स्ट बनाने के संकल्प के साथ निकला हूं। उसी लक्ष्य के साथ हम लोग चुनाव में जाएंगे।’ चिराग 30-40 सीटें मांग रहे हैं, लेकिन बीजेपी 20-25 देने को तैयार है। खासकर वे उन लोकसभा क्षेत्रों की विधानसभा सीटें चाहते हैं जहां 2024 में उनकी पार्टी जीती।
महागठबंधन में भी दिखाई दे रही उलझन
एनडीए की तरह महागठबंधन में भी सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पा रही। RJD 130 सीटें लेना चाहती है, जबकि कांग्रेस 60-65 की मांग कर रही है। लेकिन लालू प्रसाद के RJD ने कांग्रेस को 50-55 से ज्यादा देने से इनकार कर दिया है। सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों के बीच फ्रेंडली फाइट होगी? मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी 35-40 सीटें मांग रही है, जो पहले 11 पर लड़ी थी। साहनी ने डिप्टी सीएम का दावा भी ठोंका है। लेफ्ट पार्टियां भी 30-40 सीटें चाहती हैं, खासकर CPI (ML) ने 19 की बजाय 30 की लिस्ट सौंपी है।
मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी 35-40 सीटों की मांग कर रही है।
RJD ने VIP को 14-18, लेफ्ट को 30-32, JMM को 3 और पशुपति पारस की RLJP को 2 सीटें देने का प्लान बनाया है। लेकिन साहनी अपनी पसंदीदा सीटें (मुजफ्फरपुर, पटना साहिब आदि) न मिलने से नाराज हैं। माना जा रहा है कि महागठबंधन में कांग्रेस अगर 55 से कम पर सहमत हुई तो फ्रेंडली फाइट का खतरा है। दोनों गठबंधनों की बैठकें लगातार जारी हैं, लेकिन फाइनल घोषणा 2-3 दिनों में हो सकती है। बिहार के 243 सीटों पर चुनाव 2 फेज में नवंबर में होने वाले हैं। सूबे में 6 नवंबर और 11 नवंबर को वोटिंग होगी जबकि नतीजे 14 नवंबर को आएंगे।