
पाकिस्तान में टीएलपी का विरोध प्रदर्शन (फाइल)
लाहौर: पाकिस्तान में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के चलाए गए विरोध प्रदर्शनों ने आज शनिवार को एक नया मोड़ लिया है। इसने हिंसा और आगजनी की घटनाओं को जन्म दिया है। पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शनों के दौरान स्थिति तेजी से बिगड़ गई है, जिसमें सरकार के खिलाफ गुस्से और आक्रोश का इज़हार किया जा रहा है। इससे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ असीम मुनीर की कुर्सी भी डवांडोल होने लगी है। पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया के अनुसार इस विरोध प्रदर्शन में कई आंदोलनकारियों के साथ पुलिस कर्मियों की भी मौत हो गई है। दर्जनों लोग घायल हुए हैं।
क्यों विरोध पर उतरे टीएलपी समर्थक
TLP के समर्थक और कार्यकर्ता ईशनिंदा कानून और धार्मिक संवेदनाओं के मुद्दों पर सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने लाहौर, इस्लामाबाद, कराची, और अन्य बड़े शहरों में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है। साथ ही सुरक्षा बलों के साथ हिंसक झड़पों का सिलसिला जारी है। इन प्रदर्शनों में कई मौतें हुई हैं और सैकड़ों लोग घायल हो गए हैं।
हिंसा और आगजनी
TLP समर्थकों ने पुलिस और सुरक्षा बलों के खिलाफ जमकर हिंसा की, और कई जगहों पर सरकारी वाहनों को आग के हवाले कर दिया। लाहौर और कराची में बड़ी संख्या में दुकानों और बैंकों में आग लगाई गई है। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर बेरिकेड्स लगाए, और पुलिस को खदेड़ते हुए गाड़ियों को जलाया। इस हिंसा ने न केवल सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि शहरों की सुरक्षा स्थिति को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
राजनीतिक संकट गहराया
इन विरोध प्रदर्शनों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और स्थिति को खतरे में डाल दिया है। अब तक सुरक्षा बलों की कार्रवाई में भारी नुकसान हुआ है। पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर के खिलाफ भी लोगों में जमकर गुस्सा है। शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर सरकार जल्दी इस स्थिति को काबू नहीं कर पाई तो यह पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिरता को गहरे संकट में डाल सकता है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, शहबाज शरीफ और असीम मुनीर दोनों की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है।
कई जगहों पर कर्फ्यू और सेना की तैनाती
पाकिस्तान की पुलिस और सेना ने इन विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई की है, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सेना के हस्तक्षेप की संभावना जताई जा रही है। कई इलाकों में सेना को तैनात किया गया है, और शहरों में कर्फ्यू लगाने की भी खबरें आ रही हैं। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने सेना के खिलाफ भी नारेबाजी शुरू कर दी है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।
अब तक कई मौतें
सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में कई लोगों की मौतें हो चुकी हैं। विभिन्न स्रोतों के अनुसार कम से कम 30 लोगों के मारे जाने की खबर है, जबकि 100 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इसे एक राष्ट्रीय संकट करार दिया है और अस्पतालों में आपातकालीन स्थिति घोषित कर दी गई है।