
ऋषभ शेट्टी
कांतारा: चैप्टर 1 ने 600 करोड़ रुपयों की कमाई कर इतिहास रच दिया है। बाहुबलि और केजीएफ के बाद तीसरी ऐसी फिल्म बनी है जिसके सीक्वल का लोगों को इंतजार था और आते ही हिट हो गया। अब कांतारा: चैप्टर 1 के एक्टर-डायरेक्टर ऋषभ शेट्टी ने इसकी सफलता पर बात की है। साथ ही ये भी बताया कि फिल्म किसी भी सामाजिक एंजेडे को बढ़ावा नहीं देती।
क्या बोले ऋषभ शेट्टी?
अभिनेता एवं निर्देशक ऋषभ शेट्टी ने कहा कि फिल्म कांतारा: चैप्टर 1 तटीय कर्नाटक की समृद्ध लोककथाओं में निहित आस्था और आध्यात्मिकता के विषयों को दर्शाती है। शेट्टी ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी विशिष्ट विचारधारा से जुड़ी फिल्म बनाना नहीं था, बल्कि एक ऐसी दमदार कहानी साझा करना था, जो सार्वभौमिक मानवीय अनुभवों से मेल खाती हो। कर्नाटक की पूर्व-औपनिवेशिक पृष्ठभूमि पर आधारित यह कन्नड़ फिल्म, कांतारा जंगल के आदिवासियों और एक तानाशाही राजा के बीच संघर्ष को दर्शाती है। दो अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी और अब तक वैश्विक स्तर पर 600 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है। शेट्टी ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘एक कहानीकार के रूप में, मैं हमेशा सोचता हूं कि मुझे कभी भी पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं होना चाहिए और हमें लोगों को कहानियां सुनानी चाहिए, जैसे कि हमारी लोककथाएं, भारतीयता और प्रकृति पूजा की हमारी आस्था प्रणाली। इसलिए इन सभी तत्वों को मिलाकर हमने यह कहानी बनाई।’ शेट्टी ने कहा, ‘इस (फिल्म) में कोई विचारधारा या एजेंडा नहीं है, हम बस इस कहानी को स्थापित कर रहे हैं और लोग इसे पसंद कर रहे हैं और इसकी सराहना कर रहे हैं।’ कांतारा: चैप्टर 1 में 2022 की ब्लॉकबस्टर फिल्म कांतारा के पहले की कहानी है, जो अब तक की सबसे अधिक कमाई करने वाली कन्नड़ फिल्मों में से एक बन गई है।
फिल्म की भव्यता पर किया काम
उन्होंने बताया, ‘यह शुरू से ही चुनौतीपूर्ण था, कहानी मिलने से लेकर शुरुआत तक। जैसे, ‘कांतारा’ कहानी के लिहाज से आसान थी, यह एक ऐसे व्यक्ति के बारे में एक सीधी-सादी कहानी है, जो गलत रास्ते पर है, और हर कोई जानता है कि उसे इसका एहसास होगा, उसे ज्ञान मिलेगा, दैव उसे सही रास्ते पर लाएंगे। और यही होता है।’ उन्होंने कहा, ‘वेशभूषा पर व्यापक काम किया गया था, हमने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि पात्र रंगीन और यथार्थवादी दिखें और इसके लिए प्रगति (उनकी पत्नी) और टीम ने बहुत शोध किया, उन्होंने महिला पात्रों के लिए वेशभूषा बनाने के लिए मंदिरों के डिजाइन से प्रेरणा ली।’