
प्रतीकात्मक तस्वीर
सीआरपीएफ छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा की कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर जवानों के लिए एक कमांडो ट्रेनिंग स्कूल स्थापित करने की योजना बना रही है। यह पहाड़ी सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियानों में से एक का स्थल है। यहां इस साल अप्रैल और मई के बीच 31 माओवादी मारे गए थे। सूत्रों के अनुसार लगभग 60 किलोमीटर लंबे, 5-20 किलोमीटर चौड़े, गुफाओं और बंकरों के अलावा मधुमक्खियों, चमगादड़ों, भालुओं और विभिन्न प्रकार के कीड़ों से भरी इस जगह पर एक उपयुक्त स्थान खोजने के लिए सर्वे किया जा रहा है।
जंगल में युद्ध करने में माहिर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की कोबरा कमांडो यूनिट ने छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ मिलकर कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में तीन सप्ताह लंबा ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट चलाया था। अप्रैल और मई के बीच इस ऑपरेशन में 31 माओवादी मारे गए और हथियारों और गोला-बारूद का एक बड़ा जखीरा जब्त किया गया। इस अभियान को माओवादियों के खिलाफ अब तक का “सबसे बड़ा” अभियान बताया गया और यह केंद्र सरकार की मार्च 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने की घोषणा का हिस्सा था।
ट्रेनिंग स्कूल खोलने की योजना
एक सीनियर अधिकारी ने कहा, “केजीएच अभियान के समापन के बाद, पहाड़ी पर छिपे हुए आईईडी और बमों को निष्क्रिय करने के लिए एक व्यापक सफाई अभियान चलाया गया। यह कार्य लगभग पूरा हो चुका है और अब यहां सीआरपीएफ द्वारा संचालित एक प्रशिक्षण विद्यालय स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है, ताकि पहाड़ी की सतह साफ और स्वच्छ रहे।” उन्होंने कहा, “उग्रवाद का इतिहास बताता है कि एक बार जब आप जीत की घोषणा कर देते हैं, तो आपको सुरक्षा बलों के माध्यम से क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रखना होता है, अन्यथा उग्रवादी या अलग हुए कैडर केजीएच की तरह फिर से संगठित हो सकते हैं।”
गर्मी और मूलभूत सुविधाओं की कमी बड़ी समस्या
एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि अर्धसैनिक बल और छत्तीसगढ़ पुलिस के अधिकारियों की एक टीम रसद और बुनियादी ढांचे के पहलुओं पर विचार कर रही है ताकि कमांडो के प्रशिक्षण के लिए केजीएच में एक स्थायी अड्डा बनाया जा सके। दोनों अधिकारियों ने कहा कि गर्मियों में पहाड़ी का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहता है और पानी व बिजली से जुड़ी समस्याएं भी हैं। अधिकारियों ने कहा कि इन बुनियादी समस्याओं का समाधान हो जाने के बाद अंतिम योजना लागू की जाएगी।
अब दुर्गम नहीं है पहाड़ी
‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ के दौरान, सैनिकों ने पहाड़ियों के पार जाने के लिए रास्ते बनाए थे और अब यह दुर्गम नहीं है। हालांकि, इलाका अभी भी बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण है। केजीएच के कुछ हिस्सों को पर्यटकों के लिए खोलने की भी योजना है और एक सुरक्षा बेस की मौजूदगी इस योजना को आगे बढ़ाने में भी मदद करेगी। सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस की संयुक्त टीमों ने 1,200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले केजीएच में अभियान के दौरान 450 आईईडी, 35 उच्च-गुणवत्ता वाले हथियार, 2 टन विस्फोटक बरामद किए और 250 गुफाओं और 214 बंकरों को ध्वस्त किया। (इनपुट- पीटीआई)