
अफगानिस्तान और पाकिस्तान का संघर्ष
Explainer: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संघर्ष अपने चरम पर है। अफगानिस्तान ने अपने इलाके में पाकिस्तान की ओर से किए गए एयर सट्राइक का बदला लेते हुए बॉर्डर पर चलाए गए अभियान में पाकिस्तान के 58 सैनिकों को मार गिराया है। इस हफ्ते की शुरुआत में अफगान अधिकारियों ने पाकिस्तान पर राजधानी काबुल और देश के पूर्वी हिस्से में एक बाजार को निशाना बनाकर बमबारी करने का आरोप लगाया था। तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अफगान बलों ने 25 पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया है, 58 सैनिक मारे गए हैं और 30 अन्य घायल हुए हैं। इस लेख में हम मौजूदा संघर्ष के शुरू होने की वजह और अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच संघर्ष के इतिहास पर चर्चा करेंगे।
संघर्ष का लंबा इतिहास
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंध कभी मधुर नहीं रहे। दोनों देशों के बीच संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है। हाल के दिनों में यह संघर्ष बढ़ गया है। इसकी वजह है कि पाकिस्तान अपने इलाके में हुए आतंकी हमलों के लिए तहरीक-ए-तालिबान ( TTP) को जिम्मेदार मानता है और यह आरोप लगाता रहा है कि उसे अफगानिस्तान की मौजूदा तालिबान सरकार का संरक्षण प्राप्त है। TTP एक पाकिस्तानी तालिबान गुट है, जो पाकिस्तान में सैनिकों और नागरिकों पर हमले करता है। 2021 में अफगान तालिबान के सत्ता में आने के बाद TTP ने अपनी गतिविधियां तेज कर दीं, और पाकिस्तान का दावा है कि अफगानिस्तान से ही ये हमले प्लान होते हैं।
मौजूदा संघर्ष और उसकी वजह
हाल में 8 अक्टूबर को अफगान सीमा पर स्थित पाकिस्तान की चौकियों पर TTP ने हमला कर दिया। इस हमले में पाकिस्तानी सेना के 11 जवान मारे गए। इससे बौखला कर पाकिस्तान ने 9 अक्टूबर को काबुल खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका में हवाई हमले किए। पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने इस एयर स्ट्राइक में TTP के कथित सरगना नूर वली महसूद को मार गिराया है। हालांकि बाद में ऐसी खबरें भी आईं कि नूर वली महसूद की ओर से एक संदेश जारी किया गया कि वह अभी जिंदा है। उधर, अफगानिस्तान भी पाकिस्तान पर आरोप लगाता रहा है कि वह पाकिस्तान की मिट्टी से संचालित होने वाले आतंकी गिरोहों को प्रक्षय देता है जो निर्देष अफगान नागरिकों को अपना निशाना बनाते हैं। पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर डूरंड रेखा (1893 में ब्रिटिश काल में खींची गई) को पाकिस्तान मान्यता देता है, लेकिन अफगानिस्तान इसे अस्वीकार करता है। यह 2,640 किमी लंबी सीमा पर लगातार घुसपैठ, चौकी निर्माण और गोलीबारी का कारण है।
एक साल में 600 से ज्यादा हमले
पाकिस्तान के अनुसार, अफ़ग़ान तालिबान टीटीपी का समर्थन करता है और उसे अपनी धरती से आतंकी हमले करने की अनुमति देता है। अमेरिका स्थित एक एनजीओ, आर्म्ड कॉन्फ्लिक्ट लोकेशन एंड इवेंट डेटा (एसीएलईडी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, टीटीपी ने 2024 में पाकिस्तानी सेना पर 600 से ज़्यादा हमले किए हैं। टीटीपी 2000 के दशक से एक्टिव है और इसका उद्देश्य पाकिस्तान सरकार को उखाड़ फेंकना है। बैतुल्लाह महसूद द्वारा गठित टीटीपी मुख्यतः पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख्वा में सक्रिय है। अमेरिकी डिफेंस विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस समूह में3,000 से 4,000 के बीच आतंकवादी हैं।
1949 में भी हुआ था संघर्ष
पाकिस्तान के गठन के बाद से ही दोनों देशों के बीच संघर्ष शुरू हो गए थे। 1949 में आजाद पश्तूनिस्तान बनाने के मुद्दे पर पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की आदिवासी बस्तियों पर बमबारी की थी। 1949 से 1950 के दौरान पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा पर कई झड़पें हुईं। ये झड़प इस स्तर तक पहुंच गई कि उनके बीच राजनयिक संबंध भी टूट गए। 1961 में दोनों देशों के बीच संबंध और बिगड़ गए। दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गईं। बाद में अमेरिका ने दखल दिया और फिर अफगानिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री प्रिंस नईम को पाकिस्तान और ईरान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए मजबूर कर दिया। बाद में अफगानिस्तान पर सोवियत संघ का कब्जा हो गया। इस दौरान भी पाकिस्तान के साथ सीमा पर झड़पें हुईं लेकिन वो ज्यादा रिपोर्ट नहीं की गईं।
हाल के दिनों में झड़प की घटनाएं बढ़ीं
वर्ष 2000 के बाद से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर झड़पों में अचानक वृद्धि हो गई। पाकिस्तानी और अफगान सेनाएं सीमा चौकियों को लेकर भिड़ गईं। अफगान सरकार ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना ने सीमावर्ती मोहम्मद एजेंसी के पास याकूबी क्षेत्र में अफगानिस्तान के 600 मीटर अंदर तक अड्डे बना लिए। 2007 में, पाकिस्तान ने दक्षिणी वजीरिस्तान के अंगूर अडा के पास अफगानिस्तान के कुछ सौ मीटर अंदर बाड़ और चौकियां खड़ी कीं, लेकिन अफगान नेशनल आर्मी ने उन्हें जल्दी से हटा दिया। 5 मई 2007 में, अफगान सैनिकों ने पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हमला किया, जिनके बारे में उनका दावा था कि वे अफगान धरती पर अवैध रूप से बनाई गई थीं, एक पाकिस्तानी सैनिक घायल हो गया। पाकिस्तान की सेना ने अफगानिस्तान पर तोपों से गोले बरसाए।
2016 में भी हुआ था बड़ा संघर्ष
सबसे हाल की लड़ाई 12 जून 2016 की रात तोरखम में गेट के निर्माण स्थल पर शुरू हुई। अफ़ग़ान मीडिया के मुताबिक जब अफ़ग़ान बलों ने तोरखम में गेट लगाने से रोका तो पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान की तरफ़ गोलाबारी शुरू कर दी। हालांकि, पाकिस्तानी मीडिया में यह आरोप भी लगाया गया है कि अफ़ग़ान सीमा बलों ने पाकिस्तानी सीमा रक्षकों पर बिना उकसावे के गोलीबारी शुरू कर दी, जब वे शांतिपूर्वक गेट लगा रहे थे। पाकिस्तान का कहना था कि इस गेट का निर्माण उनके आतंकवाद विरोधी अभियानों का एक हिस्सा है। यह सीमा पार लोगों और वाहनों की आवाजाही के प्रबंधन और सुगमता को मज़बूत करना आतंकवाद विरोधी प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और साथ ही नशीले पदार्थों की तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों पर भी लगाम लगाने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
बढ़ते तनाव को देखते हुए, दोनों देशों ने क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिक और टैंकों सहित भारी सैन्य उपकरण तैनात कर दिया। झड़प में 5 अफ़ग़ान सीमा बल के जवान शहीद हो गए, साथ ही कई सैन्यकर्मी और नागरिक गंभीर व मामूली रूप से घायल हो गए। झड़प में एक पाकिस्तानी मेजर शहीद हो गया, जबकि पाकिस्तानी सीमा कर्मियों को गंभीर व मामूली रूप से चोटें आईं। दोनों पक्षों ने बुधवार, 15 जून, 2016 को कुछ देर की बैठक के बाद, क्षेत्र में युद्धविराम की घोषणा की, जिसके बाद उन्होंने अपने-अपने पक्षों की ओर से सफेद झंडे लहराए।