
जोकर मेघवाल
राजस्थान के झुंझुनूं जिले की सूरजगढ़ तहसील के एक छोटे से गांव में बीते 9 सालों से लोहे की बेड़ियों में जकड़े जोकर मेघवाल की जिंदगी अब बदलने की उम्मीद जागी है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने इस संवेदनशील मामले में संज्ञान लेते हुए जोकर के इलाज और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
INDIA TV की खबर का असर
दरअसल, “पति को 9 साल से लोहे की बेड़ियों में बांध रखा है, पत्नी बोली – सरकारी तंत्र से हारी, मजबूरी में बांध रखा है” शीर्षक से इंडिया टीवी पर खबर प्रकाशित होने के बाद मंत्री ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।
पत्नी ने लोहे की बेड़ियों से क्यों बांधा?
जोकर मेघवाल पहले कुओं की खुदाई का काम करता था, लेकिन मानसिक संतुलन बिगड़ने के बाद उसका व्यवहार अनियंत्रित हो गया। पत्नी नरेश देवी ने हरसंभव इलाज करवाया लेकिन सुधार नहीं हुआ। मजबूरी में उसे बेड़ियों में जकड़ना पड़ा ताकि वह खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचा सके। नरेश देवी ने बताया कि जब भी उसे खुला छोड़ती हैं, वह खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने लगता है।
जोकर मेघवाल
मजदूरी कर परिवार पाल रही पत्नी
नरेश देवी मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करती है। उसकी चार बेटियां हैं, जिनमें से दो बेटियों सोनम और शर्मीला की शादी हो चुकी है, जबकि नीतू (कक्षा 10वीं) और ऋषिका (कक्षा 3) गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ रही हैं। गरीबी और बेबसी के बीच परिवार की हालत बेहद दयनीय है।
मंत्री अविनाश गहलोत ने लिया संज्ञान
खबर सामने आने के बाद मंत्री अविनाश गहलोत फाउंडेशन सक्रिय हुआ। फाउंडेशन के सचिव रामनिवास भाटी ने बताया कि मंत्री के मार्गदर्शन में अजमेर समाज कल्याण विभाग और मुख्यमंत्री पुनर्वास केंद्र से संपर्क कर जोकर के इलाज, रेस्क्यू और आर्थिक सहायता की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। फाउंडेशन की टीम, जिसमें संदीप सैनी भी शामिल थे, जाखोद गांव पहुंचकर जोकर के परिवार से मिली और भरोसा दिलाया कि अब परिवार को चिकित्सा सुविधा, आर्थिक सहायता और सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ दिलाया जाएगा।
यह पहल न केवल जोकर मेघवाल के जीवन में नई उम्मीद जगाती है, बल्कि उन तमाम परिवारों के लिए भी एक संदेश है जो मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे अपनों के लिए मदद की राह तकते हैं।
(रिपोर्ट- अमित शर्मा)
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