भारत ने अपने गोल्ड रिजर्व में इतिहास रच दिया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के विदेशी मुद्रा भंडार आंकड़ों के अनुसार, भारत के सोने के भंडार ने पहली बार 100 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है। ग्लोबल मार्केट में सोने की कीमतों में तेजी और इसके बढ़ते मूल्य के चलते यह रिकॉर्ड हासिल हुआ, भले ही इस साल केंद्रीय बैंक की सोने की खरीद काफी धीमी रही।
RBI के आंकड़ों के अनुसार, 10 अक्टूबर तक सप्ताह में भारत के सोने के भंडार में 3.595 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई और कुल 102.365 बिलियन डॉलर हो गया। इसके विपरीत, कुल विदेशी मुद्रा भंडार 2.18 बिलियन डॉलर घटकर 697.784 बिलियन डॉलर पर आ गया। ट्रेडर्स के अनुसार, सोने का हिस्सा भारत के कुल भंडार में 14.7% तक पहुंच गया है, जो 1996-97 के बाद का हाई लेवल है।
दोगुना हुआ भंडार
पिछले दशक में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा लगभग दोगुना हो गया है। यह वृद्धि न केवल RBI द्वारा लगातार सोने की खरीद के कारण है, बल्कि दुनिया भर में सोने की बढ़ती कीमतों का भी परिणाम है। 2025 के पहले नौ महीनों में केंद्रीय बैंक ने केवल चार बार सोने की खरीद की, जबकि 2024 में यह लगभग मासिक स्तर पर होती रही थी। जनवरी से सितंबर तक कुल सोने की खरीद केवल 4 टन रही, जो पिछले साल इसी अवधि में 50 टन थी।
एक्सपर्ट्स की क्या राय?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सोने के मूल्य में 65% की वृद्धि ने भी इस रिकॉर्ड को संभव बनाया। ग्लोबल लेवल पर केंद्रीय बैंक अपने भंडार में डॉलर से हटकर सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं, जो कि भू-राजनीतिक जोखिम, प्रतिबंधों और डी-डॉलराइजेशन के चलते हो रहा है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता देश है और देश में मांग को पूरा करने के लिए सोने का आयात करता है। भारत में सोने की खरीद केवल निवेश के लिए नहीं, बल्कि परंपरा और सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण भीगहराई से जुड़ी हुई है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोने का यह उछाल निवेशकों और केंद्रीय बैंक दोनों के लिए लाभकारी साबित होगा। भविष्य में, सोने का यह मजबूत रिटर्न भारत के भंडार को और भी सुदृढ़ करने में मदद करेगा और ग्लोबल मार्केट में भारत की स्थिति को और मजबूत बनाएगा।