
साबिर अली और नीतीश कुमार
पटना/पूर्णिया: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कई दिलचस्प चीजें देखने को मिल रही हैं। दरअसल जेडीयू ने 11 साल पहले 2014 में अपने एक नेता को पीएम मोदी की तारीफ करने की वजह से पार्टी से निकाल दिया था लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। जेडीयू ने इसी नेता को बिहार की अमौर विधानसभा सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है।
कौन है वो नेता?
यहां जिस नेता के बारे में बात हो रही है, उनका नाम पूर्व राज्यसभा सांसद साबिर अली है। उन्हें जेडीयू ने शनिवार को बिहार की अमौर विधानसभा सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया। इस मामले की सियासी गलियारों में काफी चर्चा हो रही है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी ने एक बयान के माध्यम से अचानक घोषणा की, जिसमें 2020 के विधानसभा चुनावों में दूसरे स्थान पर रहने वाली सबा जफर को हटा दिया गया, जिन्हें दो दिन पहले सीट के लिए उम्मीदवार बनाया गया था।
साबिर अली पूर्णिया जिले में पार्टी में दोबारा शामिल हुए, जहां अमौर स्थित है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री की विश्वासपात्र लेशी सिंह भी मौजूद थीं, जो राज्य की मंत्री हैं और लगातार चौथी बार निकटवर्ती धमदाहा सीट को बरकरार रखना चाहती हैं। हालांकि अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि पार्टी ने जफर को क्यों हटा दिया, जिन्होंने 2010 में भाजपा के चुनाव चिन्ह पर यह सीट जीती थी।
2014 में क्या हुआ था?
साबिर अली ने दिवंगत रामविलास पासवान की लोजपा के राज्यसभा सांसद के रूप में शुरुआत की थी, बाद में वह जेडीयू के टिकट पर उच्च सदन में लगातार दूसरी बार जीते। साल 2014 में पीएम मोदी की प्रशंसा करने की वजह से नीतीश कुमार के साथ उनका टकराव हो गया। पीएम मोदी की राष्ट्रीय लोकप्रियता के कारण ही बिहार के मुख्यमंत्री ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया था।
इसके बाद, अली भाजपा में शामिल हो गए, लेकिन पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा उन पर इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी यासीन भटकल से संबंध होने का आरोप लगाने के बाद उन्हें निष्कासित कर दिया गया। उन्हें 2015 में फिर से शामिल किया गया और छह साल बाद भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का महासचिव बनाया गया। (इनपुट: PTI)