
एआई और इंसानों का रिश्ता
ChatGPT, Google Gemini, Perplexity जैसे AI टूल्स के आने से इंसानों के कई काम आसान हो गए हैं। जेनरेटिव एआई अब सिर्फ एक टेक्नोलॉजी या टूल नहीं रह गया है, बल्कि अब यह हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें एआई को दोस्त, साथी और जीवनसाथी माना गया है। कई लोगों ने एआई से शादी रचाने की इच्छा तक जाहिर की है। ऐसे उटपटांग मांग को देखते हुए AI से शादी को लेकर कानून बनाया गया है। आप एआई से दोस्ती तो कर सकते हैं लेकिन शादी नहीं कर सकते हैं।
क्यों बना कानून?
AI को लेकर यह कानून अमेरिका के ओहायो प्रांत में बनाया गया है। वहां के विधायक थेडियस क्लैगेट (Thaddeus Claggett) ने पिछले महीने हाउस बिल 469 पेश किया था। इस बिल में एआई और इंसानों के बीच होने वाले शादी और किसी दर्जे को मान्य देने को लेकर सवाल उठाए गए थे। बिल के मुताबिक, कोई भी एआई सिस्टम किसी इंसान या फिर दूसरे एआई के साथ शादी, घरेलू रिश्तेदारी या किसी वैवाहिक दर्जे के लिए मान्य नहीं होगा।
कानून का मतलब साफ है कि अगर कोई शख्स या चैटबॉट किसी दूसरे एआई चैटबॉट या इंसान से शादी का सपना देख रहा है तो उसे कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि एआई को इंसानों जैसी कानूनी पहचान और अधिकार न मिल सके। ओहायो के विधायक का कहना है कि यह बिल भावनात्मक रिश्तों को रोकने के लिए नहीं बल्कि कानूनी सीमाएं तय करने के लिए लाया गया है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे-जैसे एआई सिस्टम इंसानों जैसे बन रहे हैं, यह जरूरी है कि उन्हें ऐसे अधिकार न दिए जाएं, जिन्हें सिर्फ इंसानों के लिए बनाए गए हैं। इस तरह के अधिकारों में वसीयत, संपत्ति का अधिकार, पावर ऑफ अटॉर्नी आदि शामिल हैं। ओहायो के विधायक का कहना है कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि एआई को कभी भी इंसानों जैसे अधिकार न मिल सके।
एआई को लेकर उठ चुके हैं सवाल
AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं, जिनमें एआई चैटबॉट्स के साथ भावनात्मक जुड़ाव महसूस किया गया है। कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि एआई कभी-कभी इंसानों से बेहतर भावनात्मक रिश्ता दिखाते हैं। इस तरह के रिश्तों पर सवाल खड़े होने लगे हैं। अगर, एआई को भी इंसानों की तरह अधिकार मिलने लगे, तो आने वाले समय में ये इंसानी दुनिया के लिए घातक साबित हो सकता है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि अन्य राज्यों और देशों को इसे रोकने के लिए कानून बनाने पर विचार करना चाहिए।
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