
सेना को मिलेंगे क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन।
भारतीय सेना अपने आधुनिकीकरण अभियान के तहत अगले एक वर्ष में 4.25 लाख क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन हासिल करने जा रही है। इंडिया टीवी से विशेष बातचीत में लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार, डीजी इन्फेंट्री ने बताया कि यह कार्बाइन सेना की नजदीकी युद्ध क्षमता (close combat capability) को नई ताकत देगी। इनमें से 60 प्रतिशत कार्बाइन भारत फोर्ज (Bharat Forge) द्वारा डीआरडीओ (ARDE लैब) के साथ मिलकर बनाई जाएंगी, जबकि 40 प्रतिशत PLR (अदाणी समूह) से ली जाएंगी। यह कॉन्ट्रैक्ट पिछले महीने ही साइन किया गया है, और अगले कुछ महीनों में इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा।
भैरों बटालियन: घातक कमांडो और स्पेशल फोर्स के बीच कड़ी
भारतीय सेना ने 5 नई भैरों बटालियन तैयार की हैं, जिनका उद्देश्य घातक कमांडो और स्पेशल फोर्स के बीच की क्षमता को जोड़ना है। यह बटालियन उच्च तीव्रता वाले अभियानों के लिए प्रशिक्षित की जा रही हैं। इन बटालियनों का ट्रेनिंग 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक चलेगा। जानकारी के मुताबिक, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जल्द ही जोधपुर में इनकी ट्रेनिंग और डेमोंस्ट्रेशन देखने पहुंचेंगे। आने वाले 6 महीनों में सेना लगभग 25 भैरों बटालियन तैयार करने की योजना बना रही है। प्रत्येक बटालियन में करीब 250 सैनिक होंगे। सैनिकों का चयन सिर्फ इन्फेंट्री से नहीं बल्कि आर्टिलरी, सिग्नल्स और एयर डिफेंस यूनिट्स से भी किया जा रहा है, जिससे यह बटालियन मल्टी-डोमेन (बहु-क्षेत्रीय) युद्ध क्षमता रखेगी।
भारतीय सेना को मिलेंगे नए हथियार।
अश्नि (फायर) बटालियन: भारतीय सेना की पहली ड्रोन बटालियन
भारतीय सेना अब पूरी तरह ड्रोन-आधारित यूनिट्स की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है। इसके तहत सेना 380 अश्नि (फायर) बटालियन तैयार कर रही है। प्रत्येक बटालियन में लगभग 20 ड्रोन ऑपरेटर होंगे। ये बटालियन सर्विलांस (निगरानी) और कामिकाजे (आत्मघाती) ड्रोन के संचालन में विशेषज्ञ होंगी। अश्नि बटालियन का उद्देश्य रीयल-टाइम इंटेलिजेंस, लक्ष्य पहचान और सटीक प्रहार (precision strike) की क्षमता प्रदान करना है। यह कदम सेना की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत एआई और मानव रहित (Unmanned) प्रणालियों को युद्धक्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल किया जा रहा है।
सेना को मिलेंगे ‘भैरों’ और ‘अश्नि’ बटालियन।
आधुनिकीकरण की नई दिशा
CQB कार्बाइन की इंडक्शन, भैरों बटालियनों का गठन और अश्नि ड्रोन बटालियनों की स्थापना — ये सभी कदम दर्शाते हैं कि भारतीय सेना तेजी से स्वदेशीकरण, तकनीकी उन्नति और युद्ध तत्परता की दिशा में बढ़ रही है। इन नई योजनाओं से भारतीय सेना न केवल आधुनिक युद्ध की चुनौतियों के लिए तैयार होगी बल्कि भविष्य के युद्धक्षेत्र में एक तकनीकी बढ़त भी हासिल करेगी।
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