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DoT यानी दूरसंचार विभाग ने साइबर फ्रॉड के लिए पूरी तैयारी कर ली है। दूरसंचार विभाग ने इसके लिए टेलीकॉम कंपनियों Airtel, BSNL, Jio और Vi (Vodafone idea) समेत टेक इंडस्ट्री के लिए नए साइबर सिक्योरिटी नियम को नोटिफाई किया है। दूरसंचार विभाग के ये नए नियम तेजी से बढ़ रहे साइबर फ्रॉड की घटनाओं को रोकने के लिए बनाए गए हैं। हालांकि, टेक इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये नए नियम नॉन-टेलीकॉम फर्म को दूरसंचार विभाग के अंदर लाने के लिए है, जिसकी वजह से यूजर्स की प्राइवेसी को खतरा हो सकता है।
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ET टेलीकॉम की रिपोर्ट की मानें तो दूरसंचार विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह नियम दूरसंचार विभाग के लाइसेंसी टेलीकॉम ऑपरेटर्स के साथ-साथ अन्य एंटिटिज जैसे कि बैंक, फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट और इंश्योरेंस फर्म को एक साथ लाने के लिए है। उन्होंने आगे कहा कि दूरसंचार विभाग का लक्ष्य केवल टेलीकॉम कंपनियों और उनके लाइसेंस वाले एंटिटिज को रेगुलेट करने का है।
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नए नियमों के मुताबिक, दूरसंचार विभाग एक मोबाइल नंबर वैलिडेशन प्लेटफॉर्म (MNV) तैयार करेगा, जिसके जरिए इस बात की जांच की जाएगी कि यह नंबर KYC के मुताबिक सही यूजर का है या किसी और का है? टेलीकॉम कंपनियों के पास यूजर्स का KYC डिटेल रहता है, जिसके जरिए वे ये वेरिफाई कर सकते हैं। इस प्लेटफॉर्म को आने वाले कुछ महीनों में लॉन्च किया जाएगा।
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इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बैंक, फाइनेंशियल इंस्टिटयूशन और इंश्योरेंस फर्म ग्राहकों के नए अकाउंट ओपन करते समय कर सकते हैं, जो बड़े पैमाने पर साइबर फ्रॉड को रोकने में मदद कर सकता है। फिलहाल इस तरह का कोई भी कानूनी मैकेनिज्म नहीं है, जिसके जरिए यह चेक किया जा सके कि बैंक अकाउंट के साथ लिंक मोबाइल नंबर उसी अकाउंट होल्डर का है या नहीं।
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इस गैप को भरने के लिए दूरसंचार विभाग ने इस मोबाइल नंबर वैलिडेशन प्लेटफॉर्म लाने की पहल की है, जिसमें बैंकों और फिनटेक फर्म डायरेक्ट टेलीकॉम ऑपरेटर्स के साथ टेलीफोन नंबर वेरिफाई कर सकेंगे। इसका फायदा साइबर अपराधों को रोकने के लिए किया जा सकेगा। हालांकि, अन्य बिजनेस और ई-कॉमर्स फर्म जैसे कि फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म को इस नियम के साथ रेगुलेट नहीं किया जाएगा।
