
रूस की इस्कंदर मिसाइल (प्रतीकात्मक)..जिसने यूक्रेन में मचाई तबाही।
मॉस्को: रूस की ‘इस्कंदर’ मिसाइल आधुनिक युद्ध के दौर में सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक मानी जाती है। इस मिसाइल को नाटो ने SS-26 स्टोन नाम दिया है। यह आधुनिक सैन्य रणनीति में एक क्रांतिकारी हथियार है। यह छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) प्रणाली है, जो 9K720 इस्कंदर-एम के रूप में विकसित की गई। इसकी मारक क्षमता अत्यंत घातक है।
करीब 19 साल पहले रूस की सेना में हुई थी शामिल
यह मिसाइल करीब 19 साल पहले यानि 2006 में रूसी सेना में शामिल हुई थी। अब यह मिसाइल यूक्रेन युद्ध में रूस की ‘गहरी स्ट्राइक’ क्षमता का प्रतीक बनी हुई है। इसकी घातकता और तकनीकी श्रेष्ठता ने नाटो और यूक्रेन को गंभीर चुनौतियां दी हैं। जिसका अब तक नाटो देश कोई काट नहीं ढूंढ़ सके हैं। यह बहुत व्यापक और विनाशकारी हमलों के लिए जानी जाती है।
कितनी घातक है इस्कंदर
इस्कंदर मिसाइल सड़क-मोबाइल लॉन्चर पर तैनात होती है, जो इसे छिपाने और तैनाती में आसान बनाती है। इसकी अधिकतम रेंज 500 किलोमीटर है, जबकि निर्यात संस्करण (9M720) की रेंज 280 किलोमीटर तक सीमित है। पेलोड क्षमता 480 से 700 किलोग्राम तक है। इसमें पारंपरिक और न्यूक्लियर वारहेड ले जाने की क्षमता है। इस मिसाइल की गति हाइपरसोनिक है। टर्मिनल फेज में माच 6-7 (लगभग 2-3 किलोमीटर प्रति सेकंड) तक पहुंच जाती है, जो इसे दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम से बचाने में सक्षम बनाती है।
रडार को भ्रमित कर देन की क्षमता
इसमें क्वासी-बैलिस्टिक ट्रैजेक्टरी सिस्टम है, जो मिसाइल को हवा में मैन्यूवर करने की अनुमति देती है। इसका डिकॉय (झूठे लक्ष्य) सिस्टम रडार को भ्रमित कर देता है और उच्च सटीकता के साथ हमले करता है। यह रडार-एवेडिंग सामग्री से बनी है, जिससे इसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। रूसी इंजीनियरों ने इसे INF संधि के दायरे में डिजाइन किया, लेकिन अब यह रूस की रणनीतिक श्रेष्ठता का आधार है।
इस्कंदर का दूसरा नाम है ‘गेम चेंजर’
यह मिसाइल इतनी खतरनाक है कि युद्ध के मैदान में इसे ‘गेम चेंजर’ के नाम से भी जाना जाता है। यूक्रेन में इसका इस्तेमाल शहरों, सैन्य ठिकानों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमलों के लिए हुआ है, जहां इसकी गति और मैन्यूवरेबिलिटी ने पेट्रियट जैसे डिफेंस सिस्टम को नाकाम किया। न्यूक्लियर वारहेड से लैस होने पर यह पूरे क्षेत्र को तबाह कर सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसकी सटीकता और पेलोड इसे पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों से कहीं अधिक घातक बनाते हैं। नाटो इसे ‘स्केयर’ मानता है, क्योंकि इसे रोकना लगभग असंभव है।
हालांकि, रूस ने दावा किया है कि यह रक्षात्मक हथियार है, लेकिन यूक्रेन युद्ध ने इसकी आक्रामक क्षमता उजागर की। वैश्विक तनाव के बीच, इस्कंदर जैसी मिसाइलें हथियार नियंत्रण वार्ताओं को प्रभावित कर रही हैं। क्या यह शांति का खतरा बनेगी या रक्षा का साधन? समय ही बताएगा।
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