
क्लाउड सीडिंग के बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बारिश
नोएडा: क्लाउड सीडिंग के बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बारिश दर्ज की गई है। IIT कानपुर की रिपोर्ट के मुताबिक, क्लाउड सीडिंग के बाद नोएडा में 0.1 MM और ग्रेटर नोएडा में 0.2 MM बारिश दर्ज की गई।
आज दूसरी बार क्लाउड सीडिंग
आज जो दूसरी बार क्लाउड सीडिंग हुई थी उसमें नोएडा में भी क्लाउड सीडिंग की गई थी। इसके साथ ही क्लाउड सीडिंग के बाद दिल्ली के जिन इलाकों में क्लाउड सीडिंग हुई वहां पर PM 2.5 MM और PM 10 में भारी गिरावट दर्ज की गई।
मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली में 27 से 29 अक्टूबर के दौरान जितनी नमी का अनुमान लगाया था, उससे बहुत कम नमी थी। क्लाउड सीडिंग के दौरान सिर्फ 10-15% ही नमी दर्ज की गई। बारिश नहीं होने की ये बड़ी वजह है।
क्लाउड सीडिंग की वजह से PM 2.5 में 10-40 % की गिरावट दर्ज की गई। जबकि PM 10 में 30-60% की गिरावट दर्ज की गई।
क्लाउड सीडिंग क्या है?
क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसमें बादलों में कृत्रिम रूप से रासायनिक पदार्थ डाले जाते हैं ताकि बारिश या बर्फबारी को बढ़ाया जा सके या नियंत्रित किया जा सके। इसे मौसम संशोधन का हिस्सा माना जाता है।
इसका उद्देश्य बादलों में मौजूद पानी की छोटी-छोटी बूंदों को बड़ा करके बारिश में बदलना होता है। क्लाउड सीडिंग के लिए हवाई जहाज से छिड़काव और जमीन से रॉकेट या तोपों से गोले दागना शामिल है। इसमें ड्रोन का इस्तेमाल (आधुनिक तकनीक) भी हो सकता है।
इसके तमाम फायदे भी हैं, जिसमें सूखे से राहत, जलाशयों में पानी बढ़ाने में मदद और प्रदूषण से राहत शामिल है। क्लाउड सीडिंग एक उपयोगी तकनीक तो है लेकिन ये मौसम को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर सकती है। हालांकि सूखे और जल संकट में इसका इस्तेमाल मदद जरूर कर सकता है। क्लाउड सीडिंग की दिल्ली-एनसीआर में काफी चर्चा भी रही।
