
राफेल लड़ाकू विमान (फाइल)
नई दिल्लीः ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की तबाही का पर्याय बने राफेल विमान अब दुश्मनों पर और अधिक कहर बरपाने को तैयार हो रहे हैं। भारत ने हवा से हवा में मार करने वाली दुनिया की सबसे उन्नत मिसाइलों में शुमार मेटियोर मिसाइलों की खरीद के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इसका मकसद भारतीय वायुसेना की ताकत को पहले से कई गुना अधिक फौलादी बनाना है। अगर यह सौदा तय हुआ तो अब राफेल फ्लीट से दुश्मनों पर मेटियोर मिसाइलें कहर बनकर टूटेंगी।
भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ेगी
भारत का अधिक मेटियोर मिसाइलें हासिल करने का कदम ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान पर हुई हाल की कार्रवाइयों से प्राप्त अनुभवों पर आधारित है। इस अभियान में भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी सैन्य और आतंकी ठिकानों पर प्रभावी ढंग से हमला किया था। लिहाजा अब भारत अपनी वायु शक्ति के वर्चस्व को और अधिक मजबूत करने की तैयारी कर रहा है। इसमें भारतीय वायु सेना के राफेल लड़ाकू विमानों के लिए मेटियोर बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) एयर-टू-एयर मिसाइलों की नई खेप खरीदना शामिल है।
1500 करोड़ के सौदे पर मंथन
रक्षा मंत्रालय लगभग 1,500 करोड़ रुपये मूल्य के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, जिसमें ये उन्नत यूरोपीय मिसाइलें शामिल हैं। यह अपनी सटीकता और विस्तारित रेंज के लिए जानी जाती हैं। रक्षा सूत्रों के अनुसार यूरोपीय निर्माता एमबीडीए से अतिरिक्त मेटियोर मिसाइलें खरीदने का प्रस्ताव अपनी अंतिम अवस्था में है और उच्च स्तरीय रक्षा बैठक में इसे जल्द ही अनुमोदन मिलने की उम्मीद है।
क्या है मेटियोर मिसाइल
मेटियोर मिसाइल वैश्विक स्तर पर सबसे उन्नत एयर-टू-एयर हथियारों में से एक मानी जाती है। इसकी मारक क्षमता लगभग 200 किलोमीटर है, जो राफेल फ्लीट को बेजोड़ हवाई श्रेष्ठता प्रदान करती है। भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा संचालित राफेल जेट वर्तमान में ये यूरोप निर्मित मिसाइलें लॉन्च करने वाले एकमात्र विमान हैं। 2016 में फ्रांस से प्राप्त 36 राफेल जेट्स की प्रारंभिक खेप मेटियोर से लैस थी। आगामी 26 नौसेना संस्करणों के राफेल भी अब इन मिसाइलों से सुसज्जित होंगे। इन्हें अगले कुछ वर्षों में शामिल किए जाने की उम्मीद है।
ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई को और प्रभावी करने की रणनीति
यह फैसला हालिया युद्ध के सबक और रणनीतिक आवश्यकता को ध्यान में रखकर लिया जा रहा है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’में भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी सैन्य और आतंकी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया था। जवाब में पाकिस्तानी वायु सेना ने चीनी मूल की पीएल-15 एयर-टू-एयर मिसाइलों और सरफेस-टू-एयर हथियारों का उपयोग करके बड़े पैमाने पर प्रतिशोध की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय संपत्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सका। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान चीनी निर्मित मिसाइलों के अपने शस्त्रागार का विस्तार कर रहा है, जिससे भारत को बियॉन्ड-विजुअल-रेंज युद्ध में अपनी श्रेष्ठता को और मजबूत करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
वायुसेना के बेड़े में कई और मिसाइलें होंगी शामिल
मेटियोर की उन्नत प्रणोदन प्रणाली और रडार-निर्देशित निशाना लगाने की क्षमता इसे हवाई युद्ध में सबसे भयानक सिस्टमों में से एक बनाती है। स्वदेशी बीवीआर क्षमताओं का विकास समानांतर रूप से भारत एस्ट्रा सीरीज की बीवीआर मिसाइलों को स्वदेशी रूप से विकसित और तैनात करने का मजबूत कार्यक्रम चला रहा है। भारतीय वायु सेना के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन की गई लगभग 700 एस्ट्रा मार्क 2 मिसाइलें खरीदने की योजना है। 200 किलोमीटर से अधिक दूरी पर दुश्मन विमानों को नष्ट करने में सक्षम एस्ट्रा मार्क 2 को सु-30 एमकेआई और तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) फ्लीट्स के साथ एकीकृत किया जाएगा।
राफेल फ्लीट दागेंगे मेटियोर मिसाइल
राफेल फ्लीट के लिए मेटियोर मिसाइलें प्राथमिक बीवीआर हथियार बनी रहेंगी, जबकि स्वदेशी सिस्टम में भविष्य की एक एंटी-रेडिएशन मिसाइल शामिल है, जो बाद में एकीकृत की जा सकती है। ताकि आयातित और स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों का संतुलन सुनिश्चित हो सके। दीर्घ-रेंज मेटियोरों और स्वदेशी रूप से विकसित एस्ट्रा मिसाइलों से अपनी हवाई शस्त्रागार को मजबूत करके, भारत क्षेत्रीय हवाई युद्ध परिदृश्यों में निर्णायक रणनीतिक बढ़त बनाए रखने का लक्ष्य रखता है। मेटियोर मिसाइल की उन्नत ट्रैकिंग और संलग्नता क्षमताएं सुनिश्चित करेंगी कि भारतीय राफेल संभावित विरोधियों को मात दे सकें, जिससे किसी भी भविष्य के संघर्ष में निरोध स्थापित हो।
