बेटे ने 290 किसानों का कर्ज चुकाकर मां को दी सच्ची श्रद्धांजलि, दिल खोलकर दिया दान, रकम कर देगी हैरान


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संतोक बेन जिरावाला और उनका बेटा बाबू भाई जिरावाला (उद्योगपति)

मेरा मुझ में कुछ नहीं, तेरा तुझको को अर्पण… संत कबीर की इस पंक्ति को सच्ची साबित करने वाला किस्सा गुजरात के सूरत में सामने आया है। सूरत के एक उद्योगपति ने अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए 290 किसानों का कर्ज चुकाकर अपने गांव के प्रति लगाव और मां को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए 90 लाख रुपया दान कर गांव के किसानों को कर्ज मुक्त कर दिया।

गुजरात के अमरेली जिले के सावरकुंडला तहसील के जीरा गांव में एक भावुक करने वाली घटना सामने आई है। गांव के मूल निवासी और सूरत में रहने वाले बाबू भाई जिरावाला ने माता की पुण्यतिथि पर गांव के 290 किसानों को कर्ज चुकाया। इसके लिए उन्होंने 90 लाख रुपये दान किए। उनकी इस मानवीय पहल से गांव के सभी किसान कर्जमुक्त हो गए और गांव में खुशी का माहौल छा गया।

गलत तरीके से किसानों के नाम पर दर्ज हुआ था कर्ज  

बता दें कि जीरा गांव में 100 वर्ष पूर्व सेवा सहकारी समिति की स्थापना हुई थी। बताया जाता है कि 1990 के दशक में एक घोटाले के चलते किसानों के नाम पर गलत तरीके से कर्ज दर्ज हो गया। तब गांव के लोगों ने बैंक के खिलाफ आंदोलन भी किया था और मामला अदालत तक में लंबित है। 

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किसानों को बैंक सर्टिफिकेट वितरित किया गया।

सूरत के रियल एस्टेट कारोबारी बाबू भाई चोडवडिया ने गांव के किसानों की परेशानी समझी और मां को सच्ची श्रद्धांजलि देने का निश्चय किया। उन्होंने भावनगर बैंक के अधिकारियों से संपर्क कर गांव के सभी किसानों का बकाया चुकाने की इच्छा जताई। इस पर बैंक ने भी उनकी सामाजिक पहल को स्वीकार कर लिया।

इंसानियत की मिसाल बना बेटा

बाबू भाई जिरावाला ने बताया, मेरे गांव के 290 किसान भाइयों का 1995 से बैंक के ऋण का मामला लंबित था। इसकी वजह से गांव के किसानों को बैंक कोई लोन नहीं देती थी, जिसके कारण किसान परेशान थे। मेरी माता की इच्छा थी कि मेरे पास जो गहने हैं, उसे बेचकर गांव में कुछ अच्छा किया जाएं। मेरे गहने बेचकर गांव के किसानों का बैंक का कर्जा चुकाया जाए।

किसानों को दिया ‘नो कर्ज सर्टिफिकेट’ 

आगे उन्होंने बताया, ”मैं ओर मेरे भाई बैंक अधिकारियों से जाकर मिले और इच्छा जताई तो अधिकारियों ने भी सहयोग किया। कुल 90 लाख रुपये का गांव के किसानों पर कर्ज था, वह हमने भर दिया और बैंक से किसानों के नाम नो कर्ज सर्टिफिकेट लेकर सभी किसानों को एक समारोह में दे दिया। आज मैं ओर मेरा परिवार खुश है कि हमने मां की इच्छा पूरी की और मां को सच्ची श्रद्धांजलि दी।”

(रिपोर्ट- शैलेष चांपानेरिया)





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