
मेट्रो
चेन्नई: DMK सरकार की कोयंबटूर और मदुरै में मेट्रो रेल नेटवर्क बनाने की योजनाओं को झटका बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार ने दोनों प्रोजेक्ट्स की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) यह कहते हुए लौटा दी है कि ये शहर नेशनल मेट्रो रेल पॉलिसी, 2017 के तहत आबादी के क्राइटेरिया को पूरा नहीं करते हैं। तमिलनाडु सरकार ने कोयंबटूर के लिए दो और मदुरै के लिए एक मेट्रो कॉरिडोर के प्रस्ताव की DPR तैयार कर उन्हें मंज़ूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा था क्योंकि मेट्रो प्रोजेक्ट्स दोनों सरकारें मिलकर लागू करती हैं।
क्यों लौटाई डीपीआर?
डेक्कन हेराल्ड में छपी खबर के मुताबिक 14 नवंबर को राज्य सरकार को भेजे गए एक लेटर में, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने कहा कि दोनों शहर मेट्रो नेटवर्क के लिए क्वालिफ़ाई नहीं करते हैं और प्रशासन से ट्रांसपोर्ट के अन्य तरीके खोजने को कहा। कम्युनिकेशन में कहा गया है कि 2011 की जनगणना के अनुसार, मदुरै की आबादी 15 लाख और कोयंबटूर की आबादी 15.84 लाख थी। नेशनल मेट्रो टेल पॉलिसी, 2021 के अनुसार, मेट्रो रेल नेटवर्क के लिए क्वालिफ़ाई करने के लिए, शहर की आबादी कम से कम 20 लाख होनी चाहिए।
सरकार के सूत्रों ने केंद्र से लेटर मिलने की पुष्टि की है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, “हम स्टडी कर रहे हैं।” हालांकि 2025 में दोनों शहरों की आबादी 20 लाख से ज़्यादा होगी, लेकिन केंद्र सिर्फ़ 2011 की आबादी के आंकड़े ही गिनेगा क्योंकि 2020 से दस साल की जनगणना नहीं हुई है। मंत्रालय ने कहा कि मेट्रो प्रोजेक्ट महंगे हैं और उन्हें लंबे समय तक चलने के लिए प्लान किया जाना चाहिए।
डीएमके बना सकती है राजनीतिक मुद्दा
केंद्र द्वारा DPRs लौटाने से राजनीतिक विवाद खड़ा होने वाला है क्योंकि DMK उन दो प्रोजेक्ट्स को लेकर बहुत उत्सुक थी जिनसे मदुरै और कोयंबटूर का नज़ारा बदलने की संभावना है। DMK ने 2024 में केंद्र पर चेन्नई मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के दूसरे फेज़ को मंज़ूरी देने का दबाव बनाया था, जिसे राज्य सरकार अपने रिसोर्स का इस्तेमाल करके बना रही थी। DMK ने तब BJP पर तमिलनाडु को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया था क्योंकि राज्य भगवा पार्टी को वोट नहीं देता है। बता दें कि तमिलनाडु में असेंबली चुनाव बस कुछ ही महीने दूर हैं, ऐसे में DMK इस कदम का अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए इस्तेमाल कर सकती है।
