’22 मिनट में 9 टेररिस्ट टारगेट को तबाह, 88 घंटे में लड़ाई खत्म’, ऑपरेशन सिंदूर के बारे में और क्या बोले आर्मी चीफ?


Upendra dwivedi- India TV Hindi
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उपेंद्र द्विवेदी, आर्मी चीफ

नई दिल्ली: आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने एक बार फिर ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सैनिकों की वीरता और सफलता का उल्लेख करते सेना के शौर्य को सलाम किया। उन्होंने NDIM के 27वें कॉन्वोकेशन में अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर एक भरोसेमंद ऑर्केस्ट्रा था, जहां हर म्यूजिशियन ने मिलकर काम किया; 22 मिनट में 9 टेररिस्ट टारगेट को खत्म किया और 88 घंटे में लड़ाई खत्म कर दी।

पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले के बाद भारतीय सेना ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। भारतीय सेना के हमले में पाकिस्तान स्थित 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया गया था। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों और रिहायशी इलाकों को निशाना बनाने की कोशिश की। लेकिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए उसके कई एयरबेस को तबाह कर दिया था। जिसके बाद पाकिस्तान को भारतीय सेना के आगे घुटने टेकने पड़े थे और सीजफायर के लिए बात करनी पड़ी।

इसे पहले सोमवार को भी जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया था कि कैसे इंडियन आर्म्ड फोर्सेज के तेज एक्शन और डिफेंस कैपेबिलिटी ने भारत को ऑपरेशन सिंदूर के रूप में पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने का मौका दिया। जनरल द्विवेदी ने नई दिल्ली में ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग्स’ के कर्टेन रेजर में कहा था कि “ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक ट्रेलर था जो 88 घंटे में खत्म हो गया। हम भविष्य में किसी भी हालात के लिए तैयार हैं। अगर पाकिस्तान मौका देता है, तो हम उसे सिखाएंगे कि पड़ोसी देश के साथ जिम्मेदारी से कैसे पेश आना है।”

जनरल द्विवेदी ने कहा कि कि कैसे इंडियन आर्म्ड फोर्सेज के तेज एक्शन और डिफेंस कैपेबिलिटी ने भारत को ऑपरेशन सिंदूर के रूप में पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने का मौका दिया। ऑपरेशन को “88 घंटे का ट्रेलर” बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर ऐसे हालात आए तो आर्म्ड फोर्सेज “उन्हें (पाकिस्तान को) पड़ोसी देश के साथ जिम्मेदारी से पेश आना सिखाने” के लिए तैयार हैं।

जनरल द्विवेदी ने तीन मुख्य बातों पर जोर दिया; सेनाओं के बीच इंटीग्रेशन, लंबी लड़ाई के लिए सही सप्लाई पक्का करना, और यह भी पक्का करना कि कमांड चेन के हर लेवल पर फैसले लिए जाएं। उन्होंने कहा, “जब भी कोई ऑपरेशन होता है, हम उससे सीखते हैं, इस बार भी हमने कुछ सीखा। हमने जो एक चीज़ सीखी, वह यह थी कि हमारे पास कोई भी फ़ैसला लेने के लिए बहुत कम समय होता है, और हम हर लेवल पर समय पर फ़ैसला लेते हैं।”

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