
महाराष्ट्र नगर निकाय चुनाव 2025
महाराष्ट्र में दो दिसंबर को नगर निकाय चुनाव के लिए वोटिंग होगी। इससे पहले महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने अदालत को बताया है कि 57 नगर निकायों में आरक्षण की सीमा पार हो चुकी है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कड़ी चेतावनी दी और संकेत दिया कि उन स्थानीय निकायों में चुनाव रद्द करने से कोर्ट पीछे नहीं हटेगा, जहां आरक्षण की संवैधानिक सीमा 50% की से अधिक है। कोर्ट में चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह शुक्रवार तक इन 57 निकायों की सूची और प्रत्येक में ओबीसी आरक्षण का विवरण प्रस्तुत करे।
आरक्षण को लेकर फंसा पेंच
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह तथा शेखर नफाडे ने बताया कि पांच ज़िलों में आरक्षण सीमा इसलिए बढ़ रही है, क्योंकि वहां की आबादी में आदिवासियों की संख्या ज्यादा है।
राज्य चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि मुंबई में गलत वार्ड में दर्ज हुए मतदाताओं के मामलों पर अब बीएमसी आयुक्त फैसला लेंगे। क्योंकि यह निर्णय सीधे आयुक्त के अधिकार में होगा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह और नरेंद्र हुड्डा ने दावा किया है कि कुल 57 नगर निकायों में आरक्षण की सीमा टूट गई है। जबकि राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह ने कहा कि 32 जिला परिषदों और 20 नगर निगमों के चुनाव कार्यक्रम अभी तय नहीं हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि सरकार आरक्षण को संतुलित करने के प्रयास कर रही है और इस पर दो दिन में अंतिम स्थिति स्पष्ट की जा सकेगी। इस पर बेंच ने कहा कि यदि कहीं भी आरक्षण 50% सीमा से अधिक पाया गया तो चुनाव रद्द कर दिए जाएंगे, क्योंकि यह संविधान का उल्लंघन होगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव पूरा होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट इन्हें रद्द करने का अधिकार रखता है यदि आरक्षण संवैधानिक मानदंडों के विपरीत पाया गया।
