वैज्ञानिकों को पहली बार दिखा डार्क मैटर? जानें क्या कहती है टोक्यो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टोटानी की रिसर्च


Gamma Ray map- India TV Hindi
Image Source : TOKYO UNIVERSITY PROFESSOR TOTANI
गामा रे मैप

जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टोमोनोरी टोटानी की एक रिसर्च में डार्क मैटर को देखे जाने की बात कही गई है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन अगर यह सच है तो फिजिक्स और एस्ट्रोनॉमी में बड़ा बदलाव हो सकता है। डार्क मैटर लंबे समय से यूनिवर्स में मौजूद हैं। उनका वजन सामान्य मैटर से पांच गुना ज्यादा होता है और यूनिवर्स के भार का 85 फीसदी वजन डार्क मैटर का ही होता है।

डार्क मैटर न तो रोशनी निकालते हैं, न ही इसे परावर्तित करते हैं और न ही अवशोषित करते हैं। इसी वजह से इन्हें अब तक देखा नहीं जा सका है, लेकिन वैज्ञानिक कई वर्षों से इनकी मौजूदगी के बारे में कहते रहे हैं।

1933 में पहली बार डार्क मैटर पर हुई थी रिसर्च

डार्क मैटर पर पहली रिसर्च 1933 में हुई थी। फ्रिट्ज ज्विकी ने कहा था कि कोमा क्लस्टर की आकाशगंगाओं में इतना गुरुत्वाकर्षण बल नहीं था, जो इन्हें क्लस्टर से अलग कर सके। इसके बाद 1970 में वेरा रुबिन और उनके साथियों ने पाया कि सर्पिल आकाशगंगाओं के बाहरी किनारे भी उतनी ही गति से घूम रहे थे, जिस गति से अंदरूनी हिस्से घूम रहे थे। यह तभी संभव था, जब उसका पूरा वजन केंद्र में न हो। ऐसे में माना गया कि दोनों मामलों में अद्रश्य गुरुत्वाकर्षण बल और वजन डार्क मैटर का ही था, जिन्हें देखा नहीं जा सकता है।

डार्क मैटर से निकल सकती हैं गामा किरणे

डार्क मैटर रोशनी को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। हालांकि, दो डार्क मैटर कण आपस में मिलने पर गामा किरणों का उत्सर्जन कर सकते हैं। क्योंकि, सामान्य कणों के मिलने पर रोशनी निकलती है। गामा किरणें सामान्य आंखों से नहीं देखी जा सकती हैं, लेकिन अंतरिक्ष के दूरबीन से इन्हें देखा जा सकता है। टोटानी ने कहा, “हमने 20 गीगाइलेक्ट्रॉनवोल्ट (या 20 अरब इलेक्ट्रॉनवोल्ट, जो ऊर्जा की एक बहुत बड़ी मात्रा है) फोटॉन ऊर्जा वाली गामा किरणों का पता लगाया है जो आकाशगंगा के केंद्र की ओर एक प्रभामंडल जैसी संरचना में फैल रही हैं।” उन्होंने आगे कहा, “गामा-किरण उत्सर्जन घटक डार्क मैटर प्रभामंडल से अपेक्षित आकार से काफी मिलता-जुलता है।”

प्रोटॉन से 500 गुना ज्यादा हो सकता है विशाल कणों का मास

गामा-किरणों की ऊर्जा विशेषताएं कमजोर परस्पर क्रिया करने वाले विशाल कणों के विनाश से उत्पन्न होने वाली भविष्यवाणी से काफी मिलती-जुलती हैं। इनका मास प्रोटॉन से लगभग 500 गुना ज्यादा हो सकता है। टोटानी का सुझाव है कि ऐसी कोई अन्य खगोलीय घटना नहीं है जो फर्मी द्वारा देखी गई गामा-किरणों की आसानी से व्याख्या कर सके। उन्होंने कहा, “अगर यह सही है, तो मेरी जानकारी के अनुसार, यह पहली बार होगा जब मानवता ने डार्क मैटर को ‘देखा’ होगा और यह पता चला है कि डार्क मैटर एक नया कण है, जो कण भौतिकी के वर्तमान मानक मॉडल में शामिल नहीं है। यह खगोल विज्ञान और भौतिकी में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है।”

ज्यादा डेटा होना जरूरी

टोटानी को विश्वास है कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने जो पता लगाया है, वह आकाशगंगा में एक-दूसरे को नष्ट करने वाले डार्क मैटर का संकेत है , लेकिन सामान्य रूप से वैज्ञानिक समुदाय को इस लगभग एक सदी पुराने रहस्य पर किताब बंद करने से पहले और अधिक ठोस सबूतों की आवश्यकता होगी। टोटानी ने कहा, “अधिक डेटा एकत्रित होने के बाद यह संभव हो सकेगा और यदि ऐसा हुआ तो इससे इस बात का और भी मजबूत प्रमाण मिलेगा कि गामा किरणें डार्क मैटर से उत्पन्न होती हैं।”

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