
सूरत के करोड़पति कपड़ा व्यापारी की 19 साल की बेटी बनी जैन साध्वी।
देश में नई पीढ़ी पर एक तरफ पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति हावी हो रही है, तो दूसरी तरफ सूरत की एक ऐसी लड़की है जो करोड़ों की विरासत छोड़ संयम और आध्यात्म की तरफ बढ़ रही है। सूरत में करोड़पति कपड़ा कारोबारी की 19 साल की बेटी ने सांसारिक जीवन छोड़कर संन्यास का मार्ग अपनाया है। 19 साल की क्रिया जैन अब श्री शीलमुदित श्रीजी महाराज साहब बन गई हैं।
ऐशो आराम की जिंदगी छोड़ संयम पथ अपनाया
सूरत में करोड़पति कपड़ा कारोबारी की बेटी क्रिया सभी ऐशो आराम की जिंदगी छोड़ जैन साध्वी बन गई हैं। खेलने कूदने की उमर में क्रिया संन्यास के रास्ते पर चल पड़ी है। करोड़ों की संपति और अपना डांसिंग का शौक, क्रिकेट, वॉलीबॉल खेलने का शौक, अच्छी तरह सजने संवरने जैसे सारे शौक को छोड़कर एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जिसमें सांसारिक मोह माया की कोई जगह नहीं है। क्रिया का परिवार भी बेटी के फैसले से खुश हैं।
क्रिया ने बताया कैसा था परिवार का रिएक्शन
दीक्षार्थी क्रिया ने बताया कि मुझे डांस का इतना शौक था कि मैं चलते-चलते भी डांस करने लगती थी। साथ में मुझे फोटोग्राफी, धार्मिक गाने, अच्छी तरह मेकअप करना, खेलकूद में वॉलीबॉल और क्रिकेट भी खेलती थी जैसे बहुत सारे शौक थे। पर जब हमारे धर्म में उपाध्याय तप की आराधना होती है जिसमें 47 दिन का उपवास रखना पड़ता है। जब मैंने उपाध्याय तप की आराधना की तो मेरे सारे विचार बदल गए। मुझे लगा कि जिस व्यक्ति का जन्म होता है उसकी मृत्यु निश्चित है तो मैंने सोचा कि मुझे जो जीवन मिला है तो जिंदगी में कुछ तो करेंगे, ऐसे जिंदगी को व्यर्थ नहीं जाने देना है ऐसा मैंने निश्चय किया।
आगे उसने बताया, ”मुझे लगा कि जिंदगी में हमारे रिश्तेदार भी अपने नहीं होते हैं और संयम जीवन में जो अपने नहीं होते हैं वह भी अपने हैं इसलिए मैंने 16 साल की उम्र में ही जैन साध्वी बनने का निश्चय किया। परिवार के लोगों ने पहले विरोध किया पर 3 साल तक उन्होंने मेरी धर्म के प्रति बढ़ती आस्था को देख ओर उन्होंने मुझे सम्मति दे दी। आज परिवार भी बहुत खुश है।”
देखें वीडियो-
क्रिया के पेरेंट्स ने क्या कहा?
क्रिया के पापा महावीर जैन ने बताया कि हमारे जैन धर्म में उमर कुछ मायने नहीं रखती है। 8 साल की उम्र में भी हमारे धर्मगुरु दीक्षा देते है। हम भी चाहते थे कि हमारी बेटी जैन साध्वी बने। आज हम खुश है कि मेरी बेटी संयम मार्ग पर जा रही है। हमें भी संयम मार्ग पर जाना है पर हमारा मन अभी मक्कम्म नहीं हो रहा है, थोड़ा ढीले पड़ जाते है, बाकी सबको धर्म के रास्ते ही जाना चाहिए। हमें तो बहुत खुशी है कि मेरी मेरी बेटी जैन साध्वी बनी, आगे तो वोह बहुत सुखी होने वाली है इस लिए कोई दुख नहीं है।
वहीं, दीक्षार्थी क्रिया की मां रेखा बेन ने बताया कि मैं चाहती थी कि मेरी बेटी संसार में न जाए, कीचड़ में न फंसे, मोक्ष मार्ग के रास्ते पर चलकर अपने आत्मा का कल्याण करे इसलिए हमने संयम मार्ग में रवाना किया है। हमारी इच्छा भी यही थी कि मेरी बेटी संयम के पथ पर चले, आज हम बहुत खुश है कि मेरी बेटी ने संयम मार्ग पसंद किया है।
भावुक हुई क्रिया की दादी
क्रिया की दादी ने रोते हुए बताया कि जब वह उपाध्यान तप के लिए गुरु महाराज के पास गई और वापस आई तो वह दीक्षा लेने की जिद कर रही थी। हम विरोध कर रहे थे। जब मैंने देखा कि क्रिया का दीक्षा लेने का भाव है तो हमें परवानगी देनी चाहिए। गुरु महाराज की सम्मति मिली तो हम 4 महीनों से उसकी तैयारी कर रहे थे और आज गुरु महाराज ने दीक्षा दी। एक तरफ हमें दुख भी है बालिका दीक्षा ले रही है पर दूसरी तरफ आनंद भी है कि हमारी बेटी संयम के रास्ते जा रही है।
(रिपोर्ट- शैलेष चांपानेरिया)
यह भी पढ़ें-
कौन होते हैं खिचड़ी नागा साधु, कहां होती है इनकी दीक्षा? जानें
अहमदाबाद: 8 साल की बेटी ने त्यागे सांसारिक सुख, परिवार की मोहमाया छोड़ ली दीक्षा
