
Vladimir Putin (L) PM Narendra Modi (R)
Vladimir Putin India Visit: रूस और भारत के संबंध ट्राइड एंड टेस्टेड हैं। भारतीय हिंदी फिल्मों के गानों में भी रूस का जिक्र हुआ है। कई मौकों पर रूस भारत के साथ खड़ा रहा है। बदलते वक्त के दौर में भी भारत और रूस एक दूसरे के करीब नजर आए हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ महीने पहले रूस की यात्रा की थी और इस दौरान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी गजब केमिस्ट्री देखने को मिली थी। अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आ रहे हैं। पुतिन के इस भारत दौरे पर दुनिया भर के देशों की निगाहें टिकी हुई हैं।
अहम है पुतिन का भारत दौरा
रूसी राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा बदलते वैश्विक हालात खासकर यूक्रेन युद्ध और एशिया में शक्ति संतुलन के बीच कई मायनों में बेहद अहम माना जा रहा है। भारत और रूस के संबंध दशकों पुराने हैं। डिफेंस से लेकर व्यापार तक, व्यापार से लेकर स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप तक में दोनों देश हमेशा एक-दूसरे के साथ रहे हैं। पुतिन का भारत आना भी अब इस रिश्ते की मजबूती का संकेत देता है। तो चलिए ऐसे में समझते हैं कि पुतिन का भारत दौरा क्यों खास है और दोनों देशों के संबंध कितने मजबूत हैं।
दोस्त के साथ है रूस
वैसे देखा जाए तो रूसी राष्ट्रपति पुतिन का भारत आना सिर्फ औपचारिक यात्रा नहीं है। पुतिन की इस यात्रा से संदेश साफ है कि रूस आज भी एशिया में अपने पुराने दोस्त के साथ खड़ा है और संबंधों को गहरा करना चाहता है। यह समय ऐसा है जब पश्चिमी देशों के साथ रूस के संबंध सामान्य नहीं कहे जा सकते हैं। ऐसे समय में एशिया और उसमें भी खासकर भारत-रूस की दोस्ती का महत्व और भी बढ़ जाता है।

Vladimir Putin
भारत-रूस संबंधों का इतिहास
भारत और रूस के संबंधों के अपना इतिहास है। यह संबंध लगभग 70 साल पुराना है। 1971 की भारत–सोवियत मैत्री संधि दोनों देशों की दोस्ती का सबसे बड़ा उदाहरण है। इतना ही नहीं रूस ने हमेशा से ही भारत को सैन्य तकनीक और हथियार देने में संकोच नहीं किया है। रूस ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में सहयोग तो किया ही है साथ ही ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देशों की साझेदारी बेहद अहम है। दुनिया बदली है, दोस्त बदले हैं लेकिन भारत और रूस के बीच पुराने कूटनीतिक रिश्तों का भरोसा आज भी साफ नजर आता है।
रक्षा क्षेत्र में साथ हैं भारत और रूस
रक्षा एक क्षेत्र है जिसे भारत और रूसी साझेदारी की रीढ़ कहा जा सकता है। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि भारतीय सेना के करीब 60 से 70 प्रतिशत उपकरण आज भी रूसी तकनीक पर आधारित हैं। इनमें S-400 मिसाइल सिस्टम, ब्राह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, T-90 टैंक, मिग और सुखोई फाइटर जेट, अकुला क्लास न्यूक्लियर सबमरीन के बारें में सभी जानते हैं। राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इस क्षेत्र को और विस्तार मिलने की पूरी उम्मीद है।
ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ी साझेदारी
हाल के दिनों में रक्षा से आगे बढ़कर ऊर्जा के क्षेत्र में भी रूस भारत के लिए बड़ा साझेदार बन गया। यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका के विरोध को दरकिनार कर भारत ने रूस से तेल खरीदा है। भारत अब रूस से सबसे अधिक तेल खरीदने वाले देशों में शामिल है। इतना ही नहीं न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट्स में भी दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ रहा है। भारत के तमिलनाडु राज्य में कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट रूस की ही मदद से ही बन रहा है।

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यूक्रेन जंग पर हो सकती है चर्चा
आज के समय में रूस यूक्रेन के साथ जंग में उलझा हुआ है। भारत ने इस जटिल स्थिति में भी रूस के साथ रिश्ते को संतुलित और व्यावहारिक रखा है। भारत ने रूस का खुला समर्थन नहीं किया है लेकिन उसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में वोट भी नहीं किया है। भारत ने हमेशा बातचीत और कूटनीतिक समाधान पर जोर दिया। अब पुतिन के भारत दौरे से दोनों देशों के बीच जंग के हालात पर भी चर्चा हो सकती है और पुतिन चाहेंगे कि भारत और रूस के बीच रणनीतिक संतुलन बना रहे।
भारत-रूस के बीच होंगे अहम समझौते?
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच हो बड़े समझौते हो सकते हैं। इनमें ब्राह्मोस मिसाइल के नए वेरिएंट पर समझौते के साथ-साथ S-500 एयर डिफेंस सिस्टम पर भी चर्चा संभव है। दोनों देश इस दौरान नए हेलिकॉप्टर या फाइटर जेट पर भी समझौता कर सकते हैं। इसके अलावा न्यूक्लियर ऊर्जा के नए प्रोजेक्ट और चिप्स, आईटी, साइबर सुरक्षा में सहयोग भी बढ़ सकता है। पुतिन की यात्रा को दौरान होने वाले समझौते भारत–रूस संबंधों के भविष्य की दिशा भी तय करेंगे।
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