
अक्षय खन्ना और ओशो।
बॉलीवुड अभिनेता अक्षय खन्ना का कमबैक इन दिनों छाया हुआ है, आदित्य धर की फिल्म ‘धुरंधर’ को लेकर वो लगातार सुर्खियों में हैं। लाइमलाइट से पूरी तरह दूर रहने वाले अक्षय खन्ना बेहद प्राइवेट इंसान है। 50 की उम्र में सिंगल एक्टर अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जी रहे हैं। उनका मानना है कि वो फिल्मों में काम भी अपनी मर्जी से करेंगे, जो काम, जो किरदार उन्हें मंजूर नहीं होगा उसे नहीं करेंगे। उनका कहना है कि जिस रोल को करने के लिए उन्हें अपनी प्राइवेट लाइफ बदलनी पड़ेगी, वो उसे छोड़ देंगे। वैसे 5 साल पहले इस प्राइवेट लाइफ जीने वाले एक्टर ने अपनी लाइफ से जुड़े कई पन्नों को खोला था, इसमें उनके पिता और ओशो का भी जिक्र आया था। उन्होंने क्या कहा था चलिए आपको बताते हैं।
विनोद खन्ना का बड़ा फैसला
फिल्म सेक्शन 375 के प्रमोशन के दौरान मिड डे से बातचीज में अक्षय खन्ना ने पिता और दिग्गज स्टार विनोद खन्ना के जीवन के उस अध्याय पर खुलकर बात की थी, जिसने उनके परिवार को गहराई तक प्रभावित किया, वह दौर जब विनोद खन्ना सबकुछ छोड़कर ओशो के आश्रम और बाद में रजनीशपुरम, ओरेगन चले गए थे। करियर के चरम पर पहुंचे विनोद खन्ना ने अचानक फिल्मी दुनिया और परिवार से दूरी बना ली। अपनी पत्नी और दो छोटे बेटों को भारत में छोड़कर वे ओशो के मार्ग पर चलने अमेरिका रवाना हो गए। बचपन में यह बात अक्षय के लिए बेहद उलझन भरी थी, लेकिन बड़े होने पर उन्होंने उस निर्णय को नए नजरिए से समझना शुरू किया।
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क्यों लौटे थे विनोद खन्ना?
एक इंटरव्यू में अक्षय ने कहा था कि उनके पिता ने सिर्फ परिवार को नहीं, बल्कि संन्यास लेकर अपनी पूरी जीवनशैली को त्याग दिया था। यह कदम किसी साधारण व्यक्ति के लिए असंभव जैसा होता है। उनके मुताबि, ऐसा तभी हो सकता है जब इंसान के भीतर कोई गहरी हलचल पैदा हो जाए, एक ऐसी टूटन या भूकंप, जो जीवन का रास्ता बदल दे। अक्षय कहते हैं कि ऐसा कर पाना बहुत मुश्किल होता है खासतौर पर जब आपके सब कुछ हो और कोई कोई कमी न हो। अक्षय बताते हैं कि पिता की वापसी किसी निजी पछतावे का नतीजा नहीं थी। रजनीशपुरम का पतन, अमेरिकी सरकार के साथ टकराव और कम्यून का बिखरना, ये सारी स्थितियां उन्हें भारत लौटने पर मजबूर कर गईं। अक्षय का मानना है कि अगर वह कम्यून न टूटता तो शायद विनोद कभी वापस न आते।
ओशो के प्रति सम्मान
अक्षय ने यह भी खुलकर कहा कि उन्होंने खुद ओशो के प्रवचन और शिक्षाओं को बहुत पढ़ा-सुना है और उनके प्रति गहरा सम्मान रखते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि वो ओशो को प्यार करते हैं। वे संन्यास लेने की क्षमता अपने भीतर देखते हैं या नहीं, यह अलग बात है, लेकिन ओशो की सोच और दार्शनिकता उन्हें बेहद आकर्षित करती है। अक्षय ने बताया कि जब उनके पिता सब त्यागकर ओशो के आश्रम में गए तो वो सिर्फ 5 साल के थे। उन्होंने कहा कि वो उस वक्त इतने छोटे थे कि उन्हें ये समझ नहीं थी और उनका नजरिया भी ऐसा नहीं था कि वो ये सोचे कि उनके पिता उन्हें ओशो की वजह से छोड़कर चले गए। उन्होंने साफ किया उनके मन ऐसे ख्याल कभी नहीं आए कि ओशो की वजब से उनके पिता उनके आस पास नहीं थे। एक्टर आगे कहते हैं कि ये सारी चीजें दिमाग में बहुत बाद में आते ही हैं, जब आप 24-25 साल के होते हैं।
विनोद खन्ना की दूसरा इनिंग
अक्षय ने ये भी कहा कि उनकी मंजिल अलग है और उनकी सोच उनके पिता से अलग है और उनसे उनकी तुलना नहीं होनी चाहिए। भारत लौटने के बाद विनोद खन्ना ने एक बार फिर फिल्मों में सक्रियता दिखाई और जीवन के अंतिम वर्षों तक अभिनय करते रहे। 2017 में उनके निधन तक उनका यह दूसरा सफर जारी रहा। फिलहाल अब अक्षय के करियर की भी दूसरी पारी की शुरुआत हुई है। अक्षय खन्ना के काम को ‘धुरंधर’ में काफी पसंद किया जा रहा है। रहमान डकैत के रोल में वो छाए हुए हैं।
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