‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर कांग्रेस की महारैली, खरगे-राहुल रामलीला मैदान से भरेंगे हुंकार


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दिल्ली में कांग्रेस की रैली

नई दिल्ली:  दिल्ली के रामलीला मैदान में आज कांग्रेस ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर एक महारैली का आयोजन कर अपने अभियान को तेज करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस सभा को संबोधित करेंगे। वहीं सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी भी रैली में शामिल होंगी। इस महारैली में शामिल होने के लिए कोने-कोने से कांग्रेस कार्यकर्ता रामलीला मैदान में पहुंच रहे हैं। 

कोने-कोने से कार्यकर्ता रामलीला मैदान पहुंचे

दिल्ली के हर एक कोने मे इस रैली से जुड़े पोस्टर लगाए गए हैं। हरियाणा से लेकर कर्नाटक और तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उड़ीसा  से कार्यकर्ता रामलीला मैदान पहुंच रहे हैं।  पार्टी के सीनियर नेता पार्टी मुख्यालय इंदिरा भवन में इकट्ठा होंगे और फिर बस से रामलीला मैदान के लिए रवाना होंगे। कांग्रेस महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल ने कहा है कि पार्टी ने ‘वोट चोरी’ के खिलाफ लगभग 55 लाख हस्ताक्षर एकत्र किए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘राहुल जी ने सबूतों के साथ दिखाया कि वोट चोरी कैसे हो रही है। उन्होंने गृह मंत्री को प्रेसवार्ता में उनसे बहस करने की चुनौती दी। लेकिन गृह मंत्री ने इसका भी जवाब नहीं दिया।’’ 

रैली के बाद राष्ट्रपति से मुलाकात!

केसी वेणुगोपाल ने कहा कि लोग इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं और हमने इसे गति देने का फैसला किया है। इस रैली के बाद, हमने राष्ट्रपति से मुलाकात का अनुरोध भी किया है, ताकि उन्हें 5.5 करोड़ हस्ताक्षरों वाला यह ज्ञापन सौंपा जा सके। बता दें कि यह रैली लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हुई तीखी बहस के कुछ दिनों बाद हो रही है। लोकसभा में सरकार और विपक्ष के बीच मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और अन्य चुनावी अनियमितताओं को लेकर तीखी बहस हुई। 

सरकार पर संविधान को कमजोर करने का आरोप

इससे पहले शनिवार को  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार पर संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाया। कांग्रेस पार्टी की अनुसूचित जाति (एससी) सलाहकार समिति की पहली बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि  दलितों की शिक्षा और नौकरियों के लिए पिछली कांग्रेस सरकारों की पहलों को मौजूदा सरकार ने उलट दिया है। खरगे ने आरोप लगाया कि बीजेपी की सरकार आरक्षण को कमजोर कर रही है और भेदभाव को न्यायसंगत ठहराती है, जबकि कांग्रेस ने नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम (1955) और एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम (1989) जैसे कानून बनाकर सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाया। 

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