
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
बंगाल से चौंकाने वाली खबर आई। पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट का जो ड्राफ्ट सामने आया है, उसमें 58 लाख से ज्यादा लोगों के वोट कटे हैं लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि पश्चिम बंगाल में एक करोड़ नब्बे लाख से ज्यादा वोटर्स को suspicious (संदेहास्पद) की कैटगरी में रखा गया है। बंगाल की वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट रोल के मुताबिक, कुल वोटर्स की संख्या करीब 7 करोड़ 66 लाख है। अगर इनमें भी एक करोड़ नब्बे लाख वोटर संदेह के दायरे में हैं तो ये बहुत बड़ी संख्या है। दावा किया जा रहा है कि इन एक करोड़ नब्बे लाख लोगों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए हो सकते हैं। SIR के दौरान जो फॉर्म भरे गए, उनके अध्ययन से पता लगा कि लाखों फॉर्म ऐसे हैं जिनमें पिता और उसके बेटों की उम्र में पन्द्रह साल से कम का अंतर हैं, आठ लाख से ज्यादा फॉर्म ऐसे हैं जिनमें पिता और पुत्र की उम्र में पचास साल से ज्यादा का अन्तर हैं। इसी तरह की अलग-अलग गड़बड़ियों वाले लाखों मामले हैं। चुनाव आयोग को करीब 12 लाख ऐसे फार्म मिले, जिनमें पिता और बच्चे की उम्र का अंतर 15 साल से कम है।
चूंकि देश में शादी की कानूनी उम्र 18 साल है इसलिए पिता और बच्चे की उम्र में 15 साल का अंतर कैसे हो सकता है? इसी तरह 8 लाख 77 हजार से ज्यादा ऐसे फॉर्म हैं जिनमें मां-बाप और बच्चों की उम्र का अंतर 50 साल से ज्यादा है। तीन लाख से ज्यादा ऐसे फॉर्म्स मिले हैं जिनमें दादा-दादी और पोते-पोती की उम्र का अंतर 40 साल से कम है। करीब 85 लाख फॉर्म ऐसे हैं जिनमें पिता का नाम या तो है नहीं या फिर रिकॉर्ड से मैच नहीं हो रहा है। डेटा की एनालिसिस में 24 लाख से ज्यादा ऐसे फॉर्म मिले जिनमें बच्चों की संख्या छह या उससे ज्यादा हैं। SIR के दौरान 45 साल से ज्यादा उम्र के करीब 20 लाख लोगों ने पहली बार वोटर लिस्ट में अपना नाम डलवाने के लिए आवेदन किया है। इन सारे मामलों को संदेहास्पद कैटेगरी में रखा गया है। अब चुनाव आयोग जिलेवार ऐसे सारे मामलों की जांच करा रहा है जिससे अगर डेटा एंट्री में गड़बड़ी हुई है तो सुधारा जा सके। और अगर वाकई में ये लोग फर्जी वोटर हैं या फिर घुसपैठिए हैं, तो उनकी पहचान की जा सके।
बंगाल में जिन एक करोड़ नब्बे लाख लोगों को संदेहास्पद कैटेगरी में रखा गया है, उन सबको नोटिस भेजा गया है। उन्हें सफाई का मौका दिया जाएगा लेकिन इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स ने ज़मीनी स्तर पर इस तरह के मामलों की जब पड़ताल की, तो हैरान करने वाला सच सामने आया। बंगाल के बर्धमान जिले में हमारे संवाददाता उस परिवार के पास पहुंचे जिसके enumeration फॉर्म के मुताबिक पिता की उम्र 63 साल है जबकि उसके दो बेटों की उम्र 59 और 58 साल की है। पिता और बेटे की उम्र में सिर्फ 4 साल का फासला है। जब परिवार वालों से बात की गई तो पता लगा कि जिन दो लोगों को बेटों के तौर पर दिखाया गया है, वो असल में बांग्लादेशी हैं। बर्धमान जिले के शीतल गांव बूथ की वोटर लिस्ट में सरोज माझी की उम्र 63 साल दर्ज है जबकि उनके एक बेटे लक्ष्मी माझी की उम्र 59 साल और दूसरे बेटे सागर माझी की उम्र 58 साल लिखी हुई है।
हमारे संवाददाता ने सरोज माझी से पूछा कि क्या लक्ष्मी माझी और सागर माझी आपके बेटे हैं, तो सरोज मांझी ने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके बेटों का नाम तो सुजीत माझी और अनूप माझी है। सरोज माझी ने कहा कि लक्ष्मी माझी और सागर मांझी उनके गांव में रहते हैं, लेकिन वो उनके बेटे नहीं हैं। सरोज मांझी ने कहा कि वो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं इसलिए ये नहीं बता सकते कि लक्ष्मी और सागर का नाम उनके बेटों के तौर पर कैसे दर्ज हो गया। जब हमारे संवाददाता सागर माझी के पास पहुंचे तो सागर ने साफ बता दिया कि वो बांग्लादेशी है। सागर माझी ने बताया कि वो बांग्लादेश से काम की तलाश में भारत आया था, फिर यहीं बस गया। उस वक्त बंगाल में वाम मोर्चा की सरकार थी। CPI-M के कार्यकर्ताओं ने उसका वोटर कार्ड बनवाया और उसमें पिता की जगह सरोज माझी का नाम लिखवा दिया था।
इसके बाद सागर माझी की पत्नी लिपिका माझी ने भी इस बात की पुष्टि की कि वो बांग्लादेशी हैं। लिपिका ने कहा कि सरोज मांझी उसके मुंहबोले ससुर हैं। वोटर कार्ड में उनका नाम पिता की जगह लिखा है। लिपिका ने कहा कि वे लोग बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार से परेशान होकर भारत आए थे। यहां के नेताओं ने जो कहा उसे मान लिया। इसीलिए सरोज मांझी का नाम पिता की जगह लिखवा कर वोटर कार्ड बनवा लिया था। अब ये तो साफ हो चुका है कि बंगाल में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल हैं। लेकिन एक करोड़ नब्बे लाख से ज्यादा संदेहास्पद वोटर्स की पहचान और 58 लाख से ज्यादा लोगों के नाम वोटर लिस्ट से कटने पर ममता बनर्जी की पार्टी परेशान है।
हालांकि जिन लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटे गए हैं, उसकी सही वजह चुनाव आयोग ने बताई है। चुनाव आयोग का कहना है कि बंगाल में जिन 58 लाख वोटर्स के नाम कटे हैं, उनमें 24 लाख से ज्यादा की तो मौत हो चुकी है, 20 लाख ऐसे लोगों के नाम हैं, जो दूसरे राज्यों में जाकर बस गए हैं, 1 लाख 38 हजार से ज्यादा लोग ऐसे मिले जिनके नाम पर दो या उससे भी ज्यादा वोट बने थे और 12 लाख बीस हजार वोटर्स को कई अता-पता नहीं है। इसलिए उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया। दिलचस्प बात ये है कि बंगाल में वोटर लिस्ट से सबसे ज्यादा नाम नॉर्थ और साउथ परगना इलाके में कम किए गए हैं। दोनों जिलों में करीब 8-8 लाख वोटर्स के नाम लिस्ट से हटाए गए हैं।
लेकिन SIR के बाद वोटर लिस्ट में कुछ गलतियां भी सामने आई हैं। कोलकाता के न्यू अलीपुर में शुकदेव रूपराय नाम के शख्स का दावा है कि उनका नाम 2002 की वोटर लिस्ट में था लेकिन SIR के दौरान उनका फॉर्म नहीं आया। जब उन्होंने BLO से पूछा तो पता लगा कि उनका नाम मृत कैटेगरी में डाल दिया गया है। हैरानी की बात ये है कि शुकदेव की मां का फॉर्म आया है। उनकी मां की मौत 2024 में हो चुकी है। तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि पार्टी के बहुत से नेता और कार्यकर्ता ऐसे हैं, जो जिंदा है लेकिन लिस्ट में उन्हें मृत घोषित कर दिया है। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी तनाव में है क्योंकि ममता के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में 44 ,787 लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटे गए हैं। जैसे ही ये जानकारी आई वैसे ही ममता ने तृणमूल कांग्रेस के बूथ लेवल एजेंट्स को अलर्ट किया है। उनके साथ मीटिंग कर उन्हें निर्देश दिया कि अब भी वक्त है, पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाएं, जिन लोगों के नाम वोटर लिस्ट से कटे हैं उनकी कानूनी सहायता करें।
बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में, जहां उन्होने पिछली बार ममता बनर्जी को हराया था, 10 हजार से ज्यादा लोगों के नाम काटे गए हैं। बीजेपी ने बंगाल में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के नाम वोटर लिस्ट से कटने के लिए ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया है। बंगाल में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए बसे हैं। आज से नहीं, 50 साल से घुसपैठ हो रही है। ये बात सब जानते हैं। जब बंगाल में वाम मोर्चा सरकार थी तब वामपंथी दलों के नेता घुसपैठियों को बसाते थे, उनके राशन कार्ड, वोटर कार्ड बनवाते थे। ये काम वाम मोर्चा सरकार जाने के बाद भी जारी है। बंगाल में घुसपैठियों के बसने की बात जानते सब थे लेकिन बोलता कोई नहीं था। 2006 में जब कांग्रेस की सरकार थी तो उस वक्त के गृह मंत्री ने संसद में कबूल किया था कि भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या दो करोड़ से ज्यादा है लेकिन उनकी पहचान कैसे होगी, घुसपैठियों को देश से बाहर कैसे निकाला जाएगा, इसकी बात कोई नहीं करता था। अब SIR हुआ तो असलियत सबूत के साथ सामने आ रही है। इसका असर बंगाल के सियासी समीरकणों पर भी पड़ेगा। इसीलिए ममता बनर्जी SIR को लेकर इतनी परेशान हैं।
यूपी में SIR को लेकर दिक्कतें
SIR को लेकर दिक्कतें उत्तर प्रदेश में भी आ रही हैं लेकिन किसी भी असली वोटर का नाम छूट न जाए इसके लिए पूरा प्रशासन लगा है। मिसाल के तौर पर गाजियाबाद में अभी भी 35 प्रतिशत वोटर्स का फॉर्म वापस नहीं आया है। इनमे से 15 प्रतिशत स्थायी रूप से दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं, 15 प्रतिशत का कोई अता-पता नहीं है। गाज़ियाबाद और नोएडा जैसे शहरों में आबादी का एक बड़ा हिस्सा नौकरी के हिसाब से जगह बदलता रहता है। सोसाइटी में रहने वाले लोगों में ज्यादातर किराए के घर में रहते हैं। वो भी सोसाइटी बदलते रहते हैं। गाज़ियाबाद जिले में SIR के नोडल ऑफिसर ADM सौरभ भट्ट ने कहा कि गाज़ियाबाद एक औद्योगिक क्षेत्र है, यहां बड़ी संख्या में ऐसे मजदूर भी हैं जो फैक्ट्रियों में काम करते हैं, झुग्गियों में रहते हैं, ये लोग माइग्रेट करते रहते हैं। इनमें बहुत से लोगों ने enumeration फॉर्म नहीं भरा है। इसीलिए SIR के फॉर्म वापस आने का आंकड़ा कम दिखाई दे रहा है।
उत्तर प्रदेश से मेरी जानकारी ये है कि जहां जहां मुस्लिम बहुल इलाके हैं, वहां लोगों ने जमकर form भरे हैं, अपने नाम मतदाता सूची में जुड़वाए हैं और ये सुनिश्चित किया है कि किसी का नाम न कटे, इस काम में मुस्लिम संगठनों ने सक्रिय होकर काम किया, मस्जिदों से SIR के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया गया, जो अच्छी बात है। दूसरी तरफ हिंदू बहुल इलाकों में SIR पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। किसका नाम कटा है और किसका नाम शामिल हुआ, इसकी लोगों ने ज्यादा परवाह नहीं की। अब बीजेपी के नेताओं को इसकी चिंता हुई है और पार्टी ने अपने संगठन के लोगों से वोटर लिस्ट पर ध्यान देने को कहा है। दो दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बात की पुष्टि की थी, उन्हें लगता है जिन इलाके में लोगों के वोट काटे गए उनमें 90 प्रतिशत बीजेपी के मतदाता हैं। अब योगी ने भी इसपर संगठन से ज़ोर लगाने को कहा है। (रजत शर्मा)
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