
बैंक अधिकारियों की सतर्कता से महिला ठगी का शिकार होने से बच गई।
लखनऊ: साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं। कभी वे पुलिस स्टेशन जैसा माहौल बनाते हैं, कभी सीबीआई या ईडी के अधिकारी बनकर डराते हैं, तो कभी कोर्ट जैसा सेट बनाकर जज की भूमिका निभाते हैं। ऐसे ही एक मामले में लखनऊ की एक बुजुर्ग महिला को ठगों ने डराकर उसकी जीवनभर की कमाई के डेढ़ करोड़ रुपये हड़पने की कोशिश की। लेकिन बैंक अधिकारियों की सतर्कता से वह ठगी का शिकार होने से बच गईं। आइए जानते हैं कैसे बैंक अधिकारियों की वजह से एक बुजुर्ग महिला साइबर क्राइम का शिकार होते-होते रह गईं।
‘कॉल करने वाला पुलिस की वर्दी में था’
लखनऊ के विकास नगर में रहने वाली उषा शुक्ला के पास एक अनजान नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और कहा कि उनके फोन नंबर का इस्तेमाल पहलगाम हमले में आतंकवादियों को पैसा पहुंचाने के लिए किया गया है। यह सुनकर उषा शुक्ला बुरी तरह घबरा गईं। उन्होंने बताया, ‘कॉल करने वाला पुलिस की वर्दी में था। वहां दो और लोग बैठे थे, जिनमें एक महिला भी शामिल थी। उन्होंने कहा कि अगर मैं गिरफ्तारी से बचना चाहती हूं, तो मुझे डिजिटल अरेस्ट में रहना होगा। घर में किसी से बात नहीं करनी और किसी को कुछ नहीं बताना।’ उषा शुक्ला घर में अकेली रहती हैं। उनके बच्चे बाहर रहते हैं।
ठगों को उषा शुक्ला की FD के बारे में पता चला
पहली कॉल 11 दिसंबर को आई थी। उसके बाद ठग लगातार संपर्क में रहे। उन्होंने घर में नौकरानी के आने पर भी रोक लगा दी। ठगों ने निर्देश दिया कि उषा शुक्ला 24 घंटे वीडियो कॉल पर रहेंगी। सुबह उठते ही गुड मॉर्निंग कहेंगी, हर घंटे मैसेज देंगी और सोने से पहले गुड नाइट कहेंगी, लेकिन फोन कभी बंद नहीं करना है। उषा शुक्ला इतना डर गईं कि उन्होंने अपने बेटे को भी कुछ नहीं बताया। ठगों ने उनके बैंक खातों की जानकारी ली। जब उन्हें पता चला कि महिला के पास डेढ़ करोड़ रुपये की FD है, तो उन्होंने एक खाता नंबर दिया और कहा कि सारा पैसा उसमें ट्रांसफर कर दें, जांच के बाद दो-तीन दिन में पैसा वापस आ जाएगा। साथ ही धमकी दी कि अगर किसी को बताया, तो परिवार की जान खतरे में पड़ सकती है।
बैंक अधिकारी को उषा के हाव-भाव पर शक हुआ
इसके बाद उषा शुक्ला विकास नगर में पंजाब नेशनल बैंक की शाखा पहुंचीं। उन्होंने अपनी 13 फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़कर ठगों द्वारा दिए गए खाते में पैसा ट्रांसफर करने को कहा। बैंक काउंटर पर बैठी महिला अधिकारी को उनके हाव-भाव पर शक हुआ। उसने अपने वरिष्ठ को सूचना दी। वरिष्ठ ने पुलिस को बुलाया, क्योंकि उषा शुक्ला इतना फंस चुकी थीं कि किसी को कुछ बताने को तैयार नहीं थीं। पुलिस के आने पर सारा सच सामने आया और उषा शुक्ला ठगी से बच गईं। ठगों ने उषा शुक्ला को बताया था कि अगर बैंक अधिकारी पूछें कि सारा पैसा क्यों निकाल रही हैं, तो क्या जवाब देना है। फोन किसी को नहीं दिखाना और अगर जरूरत पड़े तो बैंक से बाहर आकर ही ठगों से बात करनी है। बैंक पहुंचने पर उषा शुक्ला ने ठीक वैसा ही किया, उस समय भी ठग व्हाट्सएप कॉल पर थे।
‘कुछ बताने को तैयार नहीं थीं उषा शुक्ला’
बैंक में उषा शुक्ला की पहली बात बैंकर अंकिता से हुई। अंकिता ने बताया, ‘मैंने उनसे बार-बार पूछा कि वे सारा पैसा क्यों ट्रांसफर करना चाहती हैं। मैंने उन्हें बहुत समझाया, लेकिन वे कुछ बताने को तैयार नहीं थीं। इससे मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है। तब मैंने ब्रांच मैनेजर को सूचना दी।’ इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक के विकास नगर ब्रांच मैनेजर श्रवण राठौर ने खुद उषा शुक्ला से बात की। उन्होंने उन्हें तीन घंटे तक अपने पास बैठाया। फिर कहा कि दिया गया खाता नंबर गलत है। उषा शुक्ला बैंक से बाहर गईं और चुपके से ठगों से बात करने लगीं। तब मैनेजर ने चपरासी को उन पर नजर रखने को कहा। जब बैंक वालों को यकीन हो गया कि वे डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगों के जाल में फंसी हैं, तो उन्होंने पुलिस को बुला लिया। जैसे ही पुलिस सक्रिय हुई, ठगों ने फोन काट दिया।
आंकड़ा जानकर CJI भी चौंक गए थे
बता दें कि डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी करने वाले अपराधी अब तक भोले-भाले लोगों से तीन हजार करोड़ रुपये लूट चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के सामने यह आंकड़ा आने पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत भी चौंक गए थे। उन्हें अंदाजा नहीं था कि ठगी की रकम इतनी बड़ी हो सकती है। डिजिटल अरेस्ट का पैमाना कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि इस साल के शुरुआती 2 महीनों में ही 17,718 मामले दर्ज हुए। ज्यादातर शिकार बुजुर्ग होते हैं, जिन्हें डराकर बैंक से पैसा ट्रांसफर करा लिया जाता है। सरकार ने साइबर अपराध रिपोर्ट करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया है। अगर आपके साथ ऐसी कोई घटना हो, तो 1930 पर रिपोर्ट करें। जितनी जल्दी रिपोर्ट करेंगे, अपराधियों के पकड़े जाने की संभावना उतनी बढ़ेगी।
