
बांग्लादेश हिंसा (फाइल फोटो)
ढाकाः बांग्लादेश में पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ हिंसक आंदोलन का बिगुल बजाने वाले विरोधी नेता उस्मान हादी की बृहस्पतिवार को मौत हो गई। उस्मान हादी को कुछ दिन पहले गोली मार दी गई थी, जिसमें वह घायल हो गए थे। इलाज के दौरान आज उनकी मौत हो गई।
सिंगापुर में हुई मौत
इंक़लाब मंच के प्रवक्ता और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रमुख विरोधी शरीफ उस्मान हादी का सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था, जहां उनकी मौत हो गई। इंक़लाब मंच ने फेसबुक पोस्ट के जरिए उनकी मौत की पुष्टि की है। उन पर गत 12 दिसंबर को ढाका के पुराना पल्टन इलाके में दिनदहाड़े मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली चला दी थी। वे बैटरी रिक्शा में चुनाव प्रचार कर रहे थे। गोली उनके सिर में लगी, जिससे हादी की हालत गंभीर हो गई। उन्हें पहले ढाका मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, जहां लाइफ सपोर्ट पर रखा गया। बाद में बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर एयरलिफ्ट किया गया, लेकिन वे बच नहीं सके।
कौन थे हादी और कैसे हुई थी हसीना से दुश्मनी?
34 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी 2024 के जुलाई विद्रोह (छात्र आंदोलन) के प्रमुख चेहरों में से एक थे, जिसने शेख हसीना की सरकार गिरा दी। वे इंक़िलाब मंच (Inqilab Mancha) के प्रवक्ता थे, जो आवामी लीग को भंग करने और हसीना पर मुकदमा चलाने की मांग करने वाला दक्षिणपंथी इस्लामी संगठन है। हादी ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 12 फरवरी 2026 के चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। उनके भाषण सोशल मीडिया पर वायरल होते थे, जहां वे “इंसाफ” (न्याय) की बात करते थे। कुछ रिपोर्ट्स में उन्हें भारत-विरोधी और कट्टरपंथी बताया गया था, क्योंकि हमले से कुछ घंटे पहले उन्होंने “ग्रेटर बांग्लादेश” का नक्शा शेयर किया था, जिसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्य शामिल थे।
यूनुस ने की थी हमले की निंदा
अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने हमले की कड़ी निंदा की और जांच के आदेश दिए थे। कई छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस घटना के बाद विरोध प्रदर्शन करके हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग की थी। कुछ पक्षों ने हमले का आरोप हसीना समर्थकों या आवामी लीग से जुड़े लोगों पर लगाया, जबकि यूनुस सरकार ने भारत से हमलावरों की गिरफ्तारी में मदद मांगी। हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है, क्योंकि चुनाव नजदीक हैं। यह घटना बांग्लादेश में बढ़ती राजनीतिक हिंसा का संकेत है, जहां हसीना के गिरने के बाद भी अस्थिरता बनी हुई है। हादी की मौत से जुलाई विद्रोह के समर्थकों में गुस्सा है और वे इसे “लोकतंत्र पर हमला” बता रहे हैं।
