
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
पश्चिम बंगाल में जैसे जैसे चुनाव करीब आ रहा है, हिन्दू-मुस्लिम सियासत तेज़ हो रही है और इसका केंद्र बना है मुर्शिदाबाद। तृणमूल कांग्रेस से निलम्बित किए गए हुमांयू कबीर मुसलमानों के हीरो बनने की कोशिश कर रहे हैं। हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद बनवाने का एलान किया है। 6 दिसंबर को मस्जिद की नींव रख दी गई थी। अब हर जुमे को उस खेत में नमाज के लिए हजारों लोगों को इकट्ठा किया जा रहा है जिसमें बाबरी मस्जिद बननी है। शुक्रवार को नमाज के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। हुमायूं कबीर ने दावा किया कि बंगाल के अलावा असम, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लोग भी पहुंचे हैं।
हुमायूं कबीर ने जुमे की नमाज से पहले ही ऐलान कर दिया कि वो 22 दिसंबर को नई पार्टी का गठन करेंगे। चुनाव में उनकी पार्टी का मुकाबला बीजेपी के साथ साथ ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से भी होगा। हुमायूं कबीर ने दावा किया कि अब मुसलमान ममता बनर्जी के बहकावे में नहीं आएंगे क्योंकि मुसलमान समझ गए हैं कि ममता सिर्फ उनका वोट लेती हैं लेकिन उनके लिए कुछ नहीं करती हैं। 6 दिसंबर से पहले हुमायूं कबीर की पहचान ममता की पार्टी के विधायक के तौर पर थी। मुर्शिदाबाद के मुसलमानों में उनकी पैठ थी लेकिन ममता बनर्जी से अलग उनका कोई अस्तित्व नहीं था। बाबरी मस्जिद की नींव रखने के बाद हुमायूं कबीर पूरे बंगाल के मुसलमानों के नेता बन गए।
ममता बनर्जी ने जब उन्हें पार्टी से सस्पेंड किया तो इसका उल्टा असर बंगाल के मुसलमानों पर पड़ा और अब हुमायूं कबीर इसी का फायदा उठा रहे हैं। बंगाल चुनाव में मुस्लिम वोटों को लामबंद करने के लिए वो हर जुमे को बेलडांगा में मुसलमानों को नमाज़ के लिए बुलाएंगे। वो AIMIM के साथ गठबंधन करके तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में लगे हैं। ज़ाहिर है इससे सबसे ज्यादा नुकसान ममता बनर्जी को होने वाला है। शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद हुमायूं कबीर ने कहा कि उनका लक्ष्य साफ है, बंगाल से ममता बनर्जी और बीजेपी दोनों को बाहर करना है।
हुमायूं कबीर बंगाल के मुसलमानों को जो पैगाम देना चाह रहे हैं, वो ज़मीन पर पहुंच भी रहा है। इसीलिए शुक्रवार को इतनी बड़ी संख्या में लोग बेलडांगा पहुंच गए कि जगह कम पड़ गई। दो शिफ्ट में नमाज अदा करवानी पड़ी। बेलडांगा पहुंचे लोगों ने कहा कि 1992 में जो जख्म मुसलमानों के दिलों पर लगा था, हुमांयू कबीर उस ज़ख्म पर मरहम लगाने की कोशिश कर रहे हैं। नमाज पढ़ने आए लोगों ने कहा कि ममता बनर्जी तो बंगाल में राम मंदिर बनवा रही हैं, हुमांयू कबीर ने बाबरी मस्जिद बनवाने की हिम्मत दिखाई है, इसलिए अब चुनाव में हुमायूं कबीर का ही साथ देंगे।
हुमायूं कबीर का दावा है कि मुर्शिदाबाद में बनने वाली बाबरी मस्जिद की डिजाइन हूबहू वैसी ही होगी जैसी अयोध्या में थी लेकिन नई मस्जिद ज्यादा बड़ी और भव्य होगी। अयोध्या में बाबरी ढ़ांचा 65 फुट ऊंचा था। हुमांयू कबीर बेलडांगा में इससे उंची मस्जिद तामीर करना चाहते हैं। उनका दावा है कि मुर्शिदाबाद की बाबरी मस्जिद में 25 हजार लोग एक साथ नमाज़ पढ़ सकेंगे। इतनी बड़ी मस्जिद बनाने के लिए 300 करोड़ रुपये चाहिए। सारा पैसा चंदे के जरिए इक्कठा किया जाएगा। बेलडांगा में जगह जगह डोनेशन बॉक्स लगाए गए हैं। अब तक 2 करोड़ 19 लाख 53 हज़ार 204 रुपए कैश और दो करोड़ का मैटेरियल इक्कठा हो गया है। जो लोग बेलडांगा पहुंच रहे हैं, उनसे अपने साथ कम से एक ईंट लाने को कहा गया है। इसीलिए शुक्रवार को जो लोग नमाज पढ़ने पहुंचे, उनमें से ज्यादातर लोग ईंटें लेकर आए थे।
नोट करने वाली बात ये है कि शुक्रवार को जो लोग मुर्शिदाबाद से नमाज पढ़ने बेलडांगा पहुंचे थे, वे तो खुलकर हुमांयू कबीर का समर्थन कर रहे हैं लेकिन जो लोग बंगाल के दूसरे जिलों से आए थे, उनका रुख अलग था। इन लोगों ने कहा कि बाबरी मस्जिद बनाकर हुमांयू कबीर अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन चुनाव में ममता का समर्थन करना है या हुमायूं कबीर की पार्टी को, ये चुनाव के वक्त ही तय करेंगे। मज़े की बात ये है कि हुमायूं कबीर तो बाबरी मस्जिद के नाम पर चंदा वसूल रहे हैं, लेकिन मौके का फायदा दूसरे लोग भी उठा रहे हैं। कुछ लोगों ने अपनी दुकान लगा ली, कोई टी शर्ट बेचने लगा जिस पर बाबरी मस्जिद की तस्वीर छपी थी, किसी ने बाबरी मस्जिद के डिजाइन वाली फोटो की दुकान लगा ली।
जहां नमाज हुई, उसके आसपास खाने के स्टॉल, छोटी छोटी रेहड़ियां लग गई हैं। बाबरी मस्जिद की तस्वीर वाली टीशर्ट्स 150 रुपये में बेची जा रही हैं। इस टी शर्ट में बाबरी मस्जिद की फोटो के साथ हुमायूं कबीर का नाम भी लिखा गया है। सामान बेचने वालों ने कहा कि अभी तो मस्जिद बनी नहीं तब इतना फायदा हो रहा है। जब मस्जिद तामीर हो जाएगी तो मुर्शिदाबाद के लोगों के पास न काम की कमी होगी, न पैसे की। झारखंड से आए कुछ नौजवानों ने कहा कि उनका जन्म तो 1992 के बाद हुआ है। उन्होंने बाबरी मस्जिद के बारे में सिर्फ सुना है, इसलिए अब वो यहां आकर देखना चाहते थे कि बाबरी मस्जिद कैसी थी और अब नई मस्जिद कैसी बनेगी।
‘बाबरी’ मस्जिद बनाने के बहाने हुमायूं कबीर मुर्शिदाबाद में मुसलमानों के बड़े नेता बन गए हैं। उनके पास भीड़ भी है और करोड़ों रुपये भी आ गए हैं। हुमायूं कबीर ममता के लिए चिंता का सबब बन गए हैं। शुरुआती दौर में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने हुमायूं कबीर को discredit करने की कोशिश की थी, ये कहा था कि उन्हें बीजेपी ने ममता के खिलाफ खड़ा किया है लेकिन ज़ाहिर है ऐसी बातों का किसी ने यक़ीन नहीं किया और अब हुमायूं कबीर अपनी पार्टी बनाकर ममता को चुनौती देना चाहते हैं। (रजत शर्मा)
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